India-China Border: पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच डेमचोक और देपसांग से सैनिकों की वापसी का समझौता हो गया है। दोनों देशों ने शेड और टेंट जैसे अस्थायी ढांचे हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, और 28-29 अक्टूबर तक इन क्षेत्रों से सैनिक पूरी तरह पीछे हट जाएंगे। इसके साथ ही, दोनों पक्ष अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में लौटकर गश्त करने के लिए स्वतंत्र होंगे। यह समझौता विशेष रूप से देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों पर लागू होगा और अन्य विवादित स्थानों के लिए नहीं।
सैनिकों की वापसी और गश्त का संचालन
सेना सूत्रों के अनुसार, सैनिकों के हटने के बाद ग्राउंड कमांडरों की बैठकों का आयोजन होगा ताकि गश्त के दौरान किसी भी तरह की गलतफहमी से बचा जा सके। दोनों पक्ष गश्त के कार्यक्रमों को साझा करेंगे ताकि गतिविधियां पारदर्शिता के साथ हों। इस महीने के अंत तक दोनों देश अपने-अपने गश्त बिंदुओं पर निगरानी शुरू कर देंगे।
समझौते की प्रगति में विदेश सचिव विक्रम मिस्री का बयान
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने हाल ही में घोषणा की कि दोनों देशों ने लंबी बातचीत के बाद पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर महत्वपूर्ण प्रगति की है। इस समझौते को 2020 में उत्पन्न तनाव के बाद एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। यह पहल संबंधों में स्थिरता लाने और एलएसी पर शांति सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बफर जोन पर सहमति की स्थिति
हालांकि गलवान, पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे, कैलाश रेंज और गोगरा-हॉट स्प्रिंग एरिया में बफर जोन पर सहमति बाकी है। 2020 के टकराव के बाद इन क्षेत्रों में बफर जोन बनाए गए थे, जहां किसी भी पक्ष को गश्त की अनुमति नहीं थी। लेकिन बातचीत की प्रगति से उम्मीद की जा रही है कि इन बफर जोन में भी भविष्य में गश्त बहाल करने को लेकर सहमति बन सकती है।भारत और चीन के बीच यह सैनिक वापसी समझौता कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर जारी संवाद की दिशा में सकारात्मक प्रगति को दर्शाता है।