AMAR UJALA : Jul 01, 2020, 11:47 PM
नई दिल्ली | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को लद्दाख का दौरा करेंगे। सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी ताजा हालात की समीक्षा करने जाएंगे। पूर्व एयर वाइस मार्शल एनबी सिंह के अनुसार अब पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में हालात लगातार जटिल हो रहे हैं।एयर वाइस मार्शल के अनुसार चीन तनाव घटाने की दिशा में कोई खास काम नहीं कर रहा है। इसके उलट उसके सभी रिजर्व सैन्य (रिटायर हुए) बल को बुलाने सूचना है। हालांकि भारत और चीन के बीच में सैन्य कमांडरों के स्तर पर वार्ता आगे भी जारी रहेगी।भारत-चीन सीमा विवाद से जुड़ा वर्किंग ग्रुप अपना काम कर रहा है। कूटनीतिक प्रयास भी काफी तेज हो गए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फ्रांस के विदेश मंत्री के साथ-साथ अब अन्य देशों के समकक्षों को ब्रीफ करना आरंभ कर दिया है।चीन अपनी जिद पर अड़ासैन्य सूत्र बताते हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और मेजर जनरल लियु लिन के बीच में चुशुल में तीसरे दौर की वार्ता का सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है। यह तीसरे दौर की वार्ता थी। 11 घंटे से अधिक समय की वार्ता के दौरान चीन फिंगर इलाके, पैंगोंग त्सो क्षेत्र पर पर अपनी उपस्थिति का दबाव बनाए हुए है।इसके साथ-साथ चीन ने सैन्य जमावड़े को काफी अधिक बढ़ा लिया है। तिब्बत से लेकर लद्दाख से एक हजार किमी दूर तक उसके सैनिक, तोप, टैंक, यूएवी, फाइटरजेट सब तैनात हैं।अनुमान के मुताबिक उसकी सेना को लद्दाख सीमा तक पहुंचने में 48 घंटे ही लगेंगे। चीन के प्रवक्ता और पड़ोसी देश के विदेश मंत्री यांग यी का वक्तव्य लगातार किसी शांति के ठोस प्रयास का संकेत नहीं दे रहा है।चीन के सामनांतर भारत की भी तैयारीचीन के सामानांतर भारतीय सैन्य बल भी लद्दाख में तैनात है। तोप, टैंक, आकाश प्रतिरक्षी मिसाइल, अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान, लड़ाकू हेलीकाप्टर और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए सी-130 जे हरक्युलिस, एन-31, आई-76, आईएल-78 किसी भी मिशन पर जाने में सक्षम है।वायुसेना ने चीन की चुनौती को ध्यान में रखकर अपनी सभी एयरफोर्स स्टेशन को सतर्क कर रखा है। इस बीच नौसेना ने फास्ट ट्रैक बोट, पेट्रोलिंग वेसेल्स, अटैकिंग में सक्षम बोट्स भी लद्दाख क्षेत्र में तैनात करना शुरू कर दिया है।दरअसल इस समय लद्दाख क्षेत्र में ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अक्साइ चिन से निकलने वाली गलवां नदी का पानी लद्दाख में आता है। पैंगोंग त्सो झील में भी पानी है। रास्ते में भी सैनिकों को इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ता है।पहले भी भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 और कई क्षेत्र में गश्त के लिए नदी के पानी को पार करके जाना पड़ता था। इसलिए चुनौती को देखते हुए सैन्य बलों ने तालमेल बनाकर यह कदम उठाया है।चीन ने युद्ध थोपा तो लड़ेंगेभारत हमेशा शांति, सद्भाव, संवाद के जरिए द्विपक्षीय हितों को हल करने का पक्षधर है, लेकिन लद्दाख में कोई कमजोरी नहीं दिखाना चाहते। वहीं चीन के राजनयिक, नेता लद्दाख में बनी तनातनी को डोकलाम से ज्यादा खतरनाक होने की लगातार धमकी दे रहे हैं।विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि चीन के सैनिकों ने लद्दाख क्षेत्र में एकतरफा कार्रवाई की है। उन्होंने मई में वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदलने का प्रयास किया। 15 जून को सुनियोजित तरीके से भारतीय सैनिकों पर हमला बोला और अब गैर जरूररी तथ्य लेकर अड़े हुए हैं।भारत ने चीन के इस आक्रामक रवैये के आगे रक्षात्मक कदम उठाने की रणनीति अपनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव पहले ही कह चुके हैं कि भारत अपनी एक भी इंच जमीन नहीं छोड़ेगा।भारत देश की एकता, अखंड़ता, इसकी संप्रभुता के लिए प्रतिबद्ध है। इस आधार पर सैन्य अफसरों का कहना है कि सेना हर चुनौती से निबटने के लिए तैयार है। देश का राजनीतिक नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा, सेना उसकी अनुपालना करेगी।लंबे समय तक तैनात रह सकते हैं दोनों देशों के सैनिकसैन्य सूत्रों को फिलहाल अभी दोनों देशों के बीच में तनातनी जारी रहने की ही आशंका है। पूर्व वाइस मार्शल एनबी सिंह का कहना है कि अभी युद्ध जैसी स्थिति काफी दूर है।चीन भी भारतीय सैन्य बलों की क्षमता को समझता है। इसलिए एनबी सिंह को लग रहा है कि युद्ध नहीं होगा।लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब दोनों देशों के सैनिक लंबे समय के लिए तैनात रह सकते हैं। एनबी सिंह का कहना है कि सैनिकों की लंबे समय की तैनाती को ध्यान में रखकर अब उन्हें लद्दाख जैसे क्षेत्र के अनुकूल सैन्य संसाधन भी उपलब्ध कराया जा रहा है।एनबी सिंह के मुताबिक भविष्य के बारे में पहले से कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना तय है कि चीन के इस तरह के बर्ताव से दोनों देशों के बीच में बने विश्वास के माहौल को गहरा धक्का लगा है।