Israel-Iran War / अब ईरानी न्यूक्लियर ठिकाने इजराइल के टारगेट पर? IDF ने सेट किया प्लान

ईरान की परमाणु शक्ति वैश्विक चिंता का विषय बनी हुई है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1950 के दशक से चल रहा है, लेकिन यह तब सुर्खियों में आया जब पश्चिमी देशों ने आरोप लगाया कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। इजराइल, अमेरिका के साथ, ईरान के परमाणु तेवर से चिंतित है।

Vikrant Shekhawat : Oct 06, 2024, 01:00 AM
Israel-Iran War: ईरानी परमाणु शक्ति विश्व के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में, ईरान ने अपनी परमाणु क्षमता को तेजी से बढ़ाया है, जिससे वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ी है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1950 के दशक में शुरू हुआ था, लेकिन यह तब सुर्खियों में आया जब पश्चिमी देशों ने आरोप लगाया कि ईरान परमाणु हथियारों के विकास की दिशा में बढ़ रहा है। इस संदर्भ में इजराइल ने अपने "ट्रूथफुल प्रॉमिस-2" ऑपरेशन को लॉन्च करने की तैयारी कर ली है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम का संदर्भ

ईरान का परमाणु कार्यक्रम शुरू से ही विवादास्पद रहा है। हालांकि ईरान का तर्क है कि उनका कार्यक्रम शांति और ऊर्जा उत्पादन के लिए है, पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और इजराइल ने इसे परमाणु हथियारों के विकास के लिए एक छद्म आवरण के रूप में देखा है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कई बार चेतावनी दी है कि ईरान ने वास्तव में परमाणु हथियार विकसित कर लिए हैं, जिससे अमेरिकी और इजराइली अधिकारियों के बीच चिंता की लहर दौड़ गई है।

इजराइल के लिए ईरान पर परमाणु हमला क्यों मुश्किल है?

ईरान के परमाणु ठिकाने भूमिगत और पहाड़ी क्षेत्रों में छिपे हुए हैं, जिससे इजराइल के लिए उन्हें नष्ट करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इजराइल के लड़ाकू विमानों को ईरान के ठिकानों तक पहुंचने के लिए रिफ्यूलिंग करनी पड़ेगी, क्योंकि ये ठिकाने इजराइली एयरबेस से लगभग 2000 किलोमीटर दूर हैं। इसके अलावा, इजराइल के विमानों को सऊदी अरब और सीरिया जैसे देशों के हवाई क्षेत्र से गुजरना होगा, जो रणनीतिक रूप से खतरनाक हो सकता है।

ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को कई स्थानों पर फैला रखा है, जिससे उसे पूरी तरह से नष्ट करना असंभव हो जाता है। ईरानी मिसाइल और ड्रोन ठिकाने भी जमीन के नीचे और पहाड़ों के बीच छिपे हुए हैं, जो इजराइल के लिए उन ठिकानों को पूर्ण रूप से नष्ट करना और भी कठिन बना देता है। इस स्थिति में इजराइल के पास एक विकल्प ईरान के एयर डिफेंस ठिकानों पर हमला करने का हो सकता है।

परमाणु अटैक की चर्चाएं

हाल ही में, ईरान पर संभावित विध्वंसक हमले की चर्चाएँ तेज हो गई हैं। इजराइल की वॉर कैबिनेट ने हमले की मंजूरी दे दी है, और इजराइल रक्षा बल (IDF) का ऑपरेशन "ट्रूथफुल प्रॉमिस-2" जल्द ही लॉन्च होने की संभावना है। ईरानी सीमा के निकट इजराइल के F-35 फाइटर जेट्स की उपस्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि इजराइल हमले के लिए पूरी तरह तैयार है। ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम भी हमले के लिए अलर्ट मोड में है।

लेबनान में इजराइल के ग्राउंड ऑपरेशन

इस बीच, इजराइल ने लेबनान में भी अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है। पिछले 8 दिनों से इजराइल की सेना हवाई और ग्राउंड ऑपरेशंस के जरिए हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बना रही है। इस प्रकार की बढ़ती गतिविधियों से स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।

अमेरिका की प्रतिक्रिया

जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से ईरान के परमाणु केंद्र पर इजराइल के संभावित हमले के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि वे इस मामले में इजराइल का समर्थन नहीं करेंगे। बाइडेन ने कहा कि वे इजराइल के साथ चर्चा करेंगे, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इजराइल को अपनी सुरक्षा के लिए प्रतिक्रिया देने का अधिकार है।

निष्कर्ष

ईरानी परमाणु शक्ति और उसके विकास को लेकर चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। इजराइल की संभावित सैन्य कार्रवाई और अमेरिका की प्रतिक्रिया से स्थिति और भी जटिल हो गई है। वैश्विक स्तर पर इसके परिणामों की आशंका जताई जा रही है, और इस मुद्दे का समाधान निकाले बिना क्षेत्र में शांति और स्थिरता की उम्मीद करना मुश्किल हो सकता है। ईरान की परमाणु क्षमता के बढ़ने के साथ, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर इस समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है।