Bikini Spacecraft / ISRO ‘बिकिनी’ लॉन्च करके रचेगा अब नया इतिहास , जानिए क्या है पूरा प्लान

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले साल बिकिनी स्पेसक्रॉफ्ट लॉन्च करेगा. इस स्पेसक्राफ्ट का वजन 40 किलो है. यह स्पेसक्राफ्ट बड़े रीयूजेबल री-एंट्री मॉड्यूल निक्स का छोटा रूप है. यूरोपियन स्टार्टअप द एक्सप्लोरेशन कंपनी के इस री-एंट्री व्हीकल को खास मकसद से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसे 120 से 140 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाने के बाद छोड़ा जाएगा. जानिए क्या है इसरो का नया बिकिनी मिशन, इसे क्योंं लॉन्च किया जा रहा

Vikrant Shekhawat : Sep 24, 2023, 11:00 PM
Bikini Spacecraft: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले साल बिकिनी स्पेसक्रॉफ्ट लॉन्च करेगा. इस स्पेसक्राफ्ट का वजन 40 किलो है. यह स्पेसक्राफ्ट बड़े रीयूजेबल री-एंट्री मॉड्यूल निक्स का छोटा रूप है. यूरोपियन स्टार्टअप द एक्सप्लोरेशन कंपनी के इस री-एंट्री व्हीकल को खास मकसद से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसे 120 से 140 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाने के बाद छोड़ा जाएगा. जानिए क्या है इसरो का नया बिकिनी मिशन, इसे क्योंं लॉन्च किया जा रहा है, इससे कौन-कौन सी जानकारियां हासिल हो सकती हैं.

क्या है मिशन बिकिनी?

यूरोपियन स्पेस स्टार्टअप द एक्सप्लोरेशन कंपनी अंतरिक्ष में नई संभावनाओं पर काम कर रही है. यूरोपियन स्टार्टअप चाहता है, अंतरिक्ष में डिलीवरी की व्यवस्था की जा सके. अगले साल जनवरी में इस मिशन को लॉन्च किया जाएगा. अगर यह मिशन सफल होता तो अंतरिक्ष में कॉमर्शियल उड़ान का रास्ता साफ हो सकेगा. आसान भाषा में समझें तो अंतरिक्ष तक सामान पहुंचाना आसान हो सकेगा. मिशन की सफलता अंतरिक्ष में सस्ती डिलीवरी का रास्ता खोलेगी.

इस मिशन के जरिए जो जानकारी और डाटा मिलेगा, जिसकी मदद से री-एंट्री और रिकवरी टेक्नोलॉजी को विकसित किया जाएगा.

कैसे पूरा होगा मिशन?

यूरोपियन स्पेसक्राफ्ट बिकिनी (Bikini Spacecraft) को इसरो के पीएसएलवी रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. इसरो का रॉकेट यूरोपियन स्पेसक्राफ्ट को धरती से 500 किलोमीटर ऊपर तक ले जाएगा और वहां से छोड़ेगा. इसके बाद ये धरती की तरफ वापस लौटेगा. धरती पर वापसी के दौरान वैज्ञानिक कई तरह की जांच और पड़ताल करेंगे. वायमुमंडल को पार करते हुए जब यह समुद्र में गिरेगा. इस मिशन से वैज्ञानिक यह समझ पाएंगे कि किसी भी चीज को अंतरिक्ष तक पहुंचाने में कितनी चुनौतियां हैं.

ऐसे मिला इसरो को यह मिशन

इस मिशन से एक बार फिर दुनिया में भारत की धाक बढ़ेगी. दरअसल, पहले इस मिशन की जिम्मेदारी यूरोपियन कंपनी एरियन स्पेस को दी जा जानी थी, लेकिन भारतीय न्यूस्पेस कंपनी इसे हासिल करने में सफल रही. दरअसल, एरियन स्पेस के जिस रॉकेट से बिकिनी स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया जाना था उसमें देरी हो रही थी. इसलिए इसे लॉन्च करने की जिम्मेदारी इसरो को मिली.

कैसे काम करेगा मिशन?

मिशन के लिए PSLV रॉकेट की चौथी स्टेज यानी पीएस4 का इस्तेमाल किया जाएगा. पीएस4 धरती के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए कई प्रयोग करता करता है. बिकिनी स्पेसक्राफ्ट को पीएस4 में ऊपर की तरफ लगाया जाएगा. इस तरह मिशन के सफल होने की दर अधिक रहेगी.

बिकिनी स्पेसक्राफ्ट के पास अपना कोई प्रोप्लशन सिस्टम नहीं है कि इसलिए इसे पीएस4 के सहारे अंतरिक्ष में छोड़ा लाएगा. एक तय ऊंचाई तक पहुंचने के बाद यह पीएस4 इस स्पेसक्राफ्ट से अलग हो जाएगा. इस तरह यह स्पेसक्राफ्ट कुछ समय अंतरिक्ष में बिताएगा फिर वायुमंडल से होते हुए धरती पर समुद्र में आ गिरेगा.