Vikrant Shekhawat : Sep 13, 2024, 06:00 AM
India-China News: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आयोजित संवाद सत्र में पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा विवाद पर महत्वपूर्ण अपडेट दिया है। थिंकटैंक ‘जिनेवा सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी’ के साथ बातचीत में, जयशंकर ने सीमा पर सैनिकों की वापसी की स्थिति को लेकर सकारात्मक संकेत दिए, लेकिन उन्होंने सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण को लेकर चिंता भी व्यक्त की।जयशंकर ने कहा कि सीमा पर सैनिकों की वापसी से संबंधित समस्याओं का समाधान लगभग 75 प्रतिशत हो चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच अब भी कुछ मुद्दे सुलझाने की आवश्यकता है। लेकिन, समस्या केवल सैनिकों की वापसी तक सीमित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण की समस्या एक गंभीर चिंता का विषय है, जिसे समाधान की जरूरत है। जयशंकर ने कहा, ‘‘इससे कैसे निपटा जाए? हमें इससे निपटना होगा।’’गल्वान संघर्ष की छायाविदेश मंत्री ने गल्वान घाटी में जून 2020 में हुई हिंसा को भारत-चीन संबंधों पर एक गंभीर धब्बा बताया। उन्होंने कहा कि सीमा पर हिंसा के बाद यह कहना मुश्किल होता है कि बाकी संबंध इससे प्रभावित नहीं हुए हैं। जयशंकर ने जोर देते हुए कहा कि 1980 के दशक के अंत में दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो गए थे, और यह शांति और स्थिरता पर आधारित था। लेकिन, गल्वान संघर्ष के बाद स्थिति में गहरा बदलाव आया है।उन्होंने कहा कि 2020 में हुए संघर्ष ने कई समझौतों का उल्लंघन किया और इस पर क्या हुआ, यह अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। जयशंकर ने स्वीकार किया कि चीन ने सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया, जिसके जवाब में भारत ने भी अपनी सेनाएं भेजीं। इस दौरान कोविड-19 के लॉकडाउन की स्थिति ने स्थिति को और जटिल बना दिया।संबंध सुधार की उम्मीदजयशंकर ने यह भी कहा कि यदि सैनिकों की वापसी का मुद्दा हल हो जाता है, तो दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार हो सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि शांति लौटने के बाद दोनों देश अन्य संभावनाओं पर भी विचार कर सकते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति कायम नहीं होती, तब तक भारत और चीन के संबंध सामान्य नहीं हो सकते।वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशाफिलहाल, भारत और चीन के बीच कुछ टकराव वाले बिंदुओं पर गतिरोध बना हुआ है। दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है, लेकिन सीमा पर शांति की दिशा में अभी और प्रयासों की जरूरत है। जयशंकर ने यह भी उल्लेख किया कि चार वर्षों की बातचीत के बाद, सैनिकों की वापसी (डिसइंगेजमेंट) को एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा सकता है।जयशंकर की यात्रा के दौरान, उन्होंने सऊदी अरब और जर्मनी की भी यात्रा की, और अब उनके अंतिम चरण में स्विट्जरलैंड में संवाद सत्र के माध्यम से सीमा विवाद पर यह महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। यह स्थिति यह स्पष्ट करती है कि भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार के लिए आगे भी सतर्कता और समन्वय की आवश्यकता है।