India-China Relation / भारत और चीन LAC से सैनिकों के हटने के बाद किस बात का कर रहे इंतजार

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के सैनिकों के पीछे हटने के बावजूद अभी भी बॉर्डर पर शांति की प्रतीक्षा है। उन्होंने कहा कि सैनिकों की वापसी का समझौता सभी की संतुष्टि के अनुरूप लागू किया जाएगा, जिससे स्थिति सामान्य हो सकेगी।

Vikrant Shekhawat : Nov 06, 2024, 06:00 AM
India-China Relation: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को पूर्वी लद्दाख में चल रहे भारत-चीन सीमा विवाद पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हालाँकि दोनों देशों के सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से पीछे हटाने का समझौता हो चुका है, लेकिन सीमा पर शांति और स्थिरता की स्थिति अभी भी बहाल नहीं हुई है। जयशंकर ने कहा कि सैनिकों के पीछे हटने का यह समझौता जल्द ही सभी पक्षों की संतुष्टि के अनुसार लागू होगा।

जयशंकर ने यह टिप्पणी ऑस्ट्रेलिया में ‘‘थिंक टैंक’’ ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एएसपीआई) के कार्यकारी निदेशक जस्टिन बस्सी के साथ बातचीत के दौरान की। बातचीत के दौरान जयशंकर से भारत-चीन के आने वाले दिनों में संबंधों की दिशा को लेकर सवाल किया गया था।

सैनिकों के पीछे हटने का समझौता और लद्दाख में स्थिरता की उम्मीद

भारत ने हाल ही में 21 अक्टूबर को घोषणा की कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त को लेकर चीन के साथ एक समझौता हुआ है, जिसके तहत दोनों सेनाओं के बीच चार साल से जारी सैन्य गतिरोध का अंत हो गया। इसके बाद जयशंकर ने कहा कि एलएसी पर तनाव घटाने की दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है, लेकिन फिलहाल स्थिति की स्थिरता पर काम करना अभी भी बाकी है।

जयशंकर ने स्पष्ट किया कि 2020 से पहले एलएसी के पास जितनी सैन्य तैनाती थी, उसकी तुलना में वर्तमान में सीमा पर कहीं अधिक तैनाती है। उन्होंने कहा कि ऐसे में ‘‘बातचीत का ही रास्ता’’ समाधान का सही मार्ग है। उनका मानना है कि इन चुनौतियों का हल सामरिक स्तर पर संवाद और समझौते से ही संभव है।

गलवान घाटी की घटना से लेकर मौजूदा प्रयास

जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत-चीन संबंधों में काफी गिरावट आई थी। इस झड़प के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा और सैनिकों की तैनाती में इजाफा हुआ। जयशंकर ने कहा कि उनकी प्राथमिकता 2020 से पहले की सामान्य स्थिति बहाल करना है, जिसमें नियमित गश्त और सीमा पर स्थिरता की स्थिति शामिल है। उनका कहना है कि सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है, और इस पर क्रियान्वयन का कार्य भी आने वाले दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।

सीमा पर शांति और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की अहमियत

जयशंकर ने जोर देते हुए कहा कि भारत का मानना है कि भारत-चीन संबंधों के विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर भी ध्यान आकर्षित किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हाल ही में हुई द्विपक्षीय बैठक में दोनों नेताओं ने सीमा पर स्थिरता की जरूरत पर सहमति जताई। इस बैठक में यह भी तय किया गया कि दोनों देशों के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अपने समकक्षों से मिलकर संबंधों में सुधार के रास्ते तलाश करेंगे।

दोनों देशों के भविष्य के संबंधों में संतुलन की कोशिश

जयशंकर ने इस बात की पुष्टि की कि भारत और चीन के संबंध, खासकर 2020 के बाद के दौर में, बेहद प्रभावित हुए हैं। भारत का मानना है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार तभी संभव है जब सीमा पर शांति और स्थिरता हो। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद का हल कूटनीति और बातचीत से ही संभव है, और इसी आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है।

निष्कर्ष

भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद में हाल ही में हुए समझौते से दोनों देशों के सैनिकों का पीछे हटना एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, जयशंकर का मानना है कि यह सिर्फ शुरुआत है और आने वाले समय में सीमा पर शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए और भी प्रयासों की जरूरत है। भारतीय सरकार इस दिशा में पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इस मामले को जल्द सुलझाने की कोशिश कर रही है ताकि सीमा पर तनावमुक्त वातावरण बने और दोनों देशों के संबंधों में संतुलन और सुधार हो सके।