टेक डेस्क / जानिए सरकार अचानक कैसे बंद करती है इंटरनेट, इन प्रक्रियाओं को करना होता है पूरा

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के ज्यादातर राज्यों में प्रदर्शन चल रहा है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने दिल्ली, बंगलुरु समेत कई राज्यों में इंटरनेट को अस्थाई रूप से बंद कर दिया है। केंद्र और राज्य के गृह सचिव की तरफ से चुने गए जॉइंट सेक्रेटरी धारा 144 के दौरान इंटरनेट पर बैन लगाने का आदेश दे सकते हैं। लेकिन इस फैसले के लिए जॉइंट सेक्रेटरी को 24 घंटे के अंदर गृह सचिव से मंजूरी लेनी होती है।

AMAR UJALA : Dec 21, 2019, 01:23 PM
टेक डेस्क | नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देश के ज्यादातर राज्यों में प्रदर्शन चल रहा है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने दिल्ली, बंगलुरु समेत कई राज्यों में इंटरनेट को अस्थाई रूप से बंद कर दिया है। हाल ही में कई रिपोर्ट सामने आई हैं, जिनमें भारत इंटरनेट बंद करने के मामले में अन्य देशों से सबसे आगे है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत सरकार इंटरनेट को कैसे बंद करती है। आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि केंद्र सरकार इंटरनेट पर बैन लगाने के लिए किस प्रोसीजर को अपनाती है। साथ ही आप यहां जान सकेंगे कि देश के किस राज्य में कितनी बार इंटरनेट पर बैन लगा है। तो चलिए जानते हैं भारत में इंटरनेट कैसे बंद किया जाता है...

इस तरह लगता है इंटरनेट पर बैन

आपको बता दें कि केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट बैन करने का ऑर्डर देते हैं। इंटरनेट बैन के ऑर्डर को एसपी या उससे ऊपर के रैंक वाले अधिकारी के जरिए भेजा जाता है। इसके बाद अधिकारी टेलीकॉम कंपनी को उस राज्य में इंटरनेट बैन करने के लिए कहता है।

ऑर्डर को अगले वर्किंग डे में सरकार के रिव्यू पैनल के पास भेजा जाता है। यहां पैनल पांच दिन तक ऑर्डर का रिव्यू करता है। इस रिव्यू पैनल में  कैबिनेट सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और टेलीकम्युनिकेशन्स सेक्रेटरी शामिल होते हैं। दूसरी तरफ राज्य सरकार की तरफ से दिए गए ऑर्डर के रिव्यू में  चीफ सेक्रेटरी और लॉ सेक्रेटरी शामिल होते हैं। मंजूरी मिलने के बाद इंटरनेट पर बैन लगा दिया जाता है।

जॉइंट सेक्रेटरी धारा 144 के दौरान इंटरनेट पर लगा सकते हैं बैन 

केंद्र और राज्य के गृह सचिव की तरफ से चुने गए जॉइंट सेक्रेटरी धारा 144 के दौरान इंटरनेट पर बैन लगाने का आदेश दे सकते हैं। लेकिन इस फैसले के लिए जॉइंट सेक्रेटरी को 24 घंटे के अंदर गृह सचिव से मंजूरी लेनी होती है।

इंटरनेट बैन के नियमों में हुआ बदलाव

वर्ष 2017 से पहले क्षेत्र के डीएम इंटरनेट बंद करने के आदेश देते थे। लेकिन, केंद्र सरकार ने इंडियन टेलीग्राफ ऐक्ट 1885 के तहत टेम्प्ररी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) नियम में बदलाव किया था, जिसके बाद अब केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट बैन का आदेश दे सकते हैं।

इंटरनेट बंद के मामले में भारत है सबसे आगे

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकनॉमिक रिलेशन्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट बंद के मामले में भारत दूसरे देशों से बहुत आगे है। इंटरनेट पर बैन लगने से देश को आर्थिक नुकसान भी होता है। वहीं, अगली स्लाइड में आप जान सकेंगे कि किस राज्य में कितनी बार इंटरनेट पर बैन लगाया गया है।

कश्मीर में लंबे समय में बंद रहा इंटरनेट 

इंटरनेट शटडाउन वेबसाइट के मुताबिक, भारत में 2012 से लेकर 2019 तक कुल 374 बार इंटरनेट बंद हुआ है। वहीं, कश्मीर में 180 बार, राजस्थान में 67 बार, उत्तर प्रदेश में 25 बार, बिहार में 11 बार और उत्तराखंड में 2 बार इंटरनेट पर बैन लगाया गया है।

महाराष्ट्र और कई राज्यों में इतनी बार बंद हुआ इंटरनेट 

सरकार ने 2012 से लेकर 2019 तक महाराष्ट्र में कुल 10 बार, आंध्र प्रदेश में 1 बार, तमिल नाडु में 1 बार और पश्चिम बंगाल में 5 बार इंटरनेट बंद हुआ है।