Ganesh Visarjan 2023 / जानिए गणपति बप्पा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन ही क्यों किया जाता है?

देश भर में भक्तों ने 19 सितंबर को गणपति बप्पा का स्वागत किया और अब बप्पा के विदाई का वक्त भी आ रहा है. पिछले कई दिनों से पंडालों और घरों में गणपति बप्पा की मूर्ति को स्थापित कर लोग पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा अर्चना कर रहे हैं. अब दस दिनों के बाद पूरे विधि विधान से बप्पा का विसर्जन करने की तैयारी चल रही है. 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा का विसर्जन किया जाएगा. आखिर क्यों इस दिन करते हैं बप्पा का विसर्जन?

Vikrant Shekhawat : Sep 26, 2023, 02:16 PM
Ganesh Visarjan 2023: देश भर में भक्तों ने 19 सितंबर को गणपति बप्पा का स्वागत किया और अब बप्पा के विदाई का वक्त भी आ रहा है. पिछले कई दिनों से पंडालों और घरों में गणपति बप्पा की मूर्ति को स्थापित कर लोग पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा अर्चना कर रहे हैं. अब दस दिनों के बाद पूरे विधि विधान से बप्पा का विसर्जन करने की तैयारी चल रही है. 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा का विसर्जन किया जाएगा. आखिर क्यों इस दिन करते हैं बप्पा का विसर्जन?

जैसे भगवान की पूजा के लिए शुभ दिन की मान्यता होती है, वैसे ही विसर्जन भी शुभ दिन देखकर ही किया जाता है. गणपति बप्पा का विसर्जन हर साल अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है, इस दिन बप्पा का विसर्जन करने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है.

अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन की पौराणिक कथा

पौराणिक कहानियों के मुताबिक गणपति बप्पा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन इसलिए किया जाता है, क्योंकि गणपति बप्पा जल तत्व के अधिपति हैं. ग्रंथों के अनुसार एक बार वेद व्यास जी गणपति बप्पा को महाभारत की कथा सुना रहे थे और भगवान श्री गणेश उस कथा को लिख रहे थे, लेकिन गणेश भगवान ने कथा लिखने से पहले एक शर्त रखी थी कि वो कलम नहीं रोकेंगे और जब कलम रुक जाएगा उस वक्त कथा लिखना छोड़ देंगे. तब वेदव्यास जी ने गणपति बप्पा के शरीर का तापमान ना बढ़े, इसलिए गणेश जी को मिट्टी का लेप लगाकर उनकी पूजा की, उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी.

कथा इतनी लंबी चली कि वेद व्यास जी ने कथा सुनाते वक्त अपनी आंखें बंद कर ली और पूरे 10 दिन तक कथा चली, साथ ही गणेश जी लगातार कथा को लिखते गए. जब दस दिनों के बाद कथा खत्म हुई तो वेद व्यास जी ने अपनी आंखें खोलीं और देखा कि गणपति बप्पा के शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया था. फिर वेदव्यास जी ने गणेश जी के शरीर का तापमान ठंडा करने के लिए उन्हें पानी में डुबा दिया और थोड़ी देर के बाद गणपति जी का शरीर ठंडा हो गया. जिस दिन महाभारत का लिखने का काम खत्म हुआ, उस दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था. तबसे ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री गणेश को शीतल करने के लिए उनका विसर्जन किया जाता है.