देश / प. बंगाल हिंसा पर एनएचआरसी ने हाईकोर्ट को दी रिपोर्ट, सरकार पर लगाया उदासीनता का आरोप

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पश्चिम बंगाल में चुनाव पश्चात हुई कथित हिंसा पर जांच रिपोर्ट कोलकाता हाईकोर्ट के समक्ष पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा के दौरान राज्य सरकार ने पीड़ितों की दुर्दशा के प्रति भयावह उदासीनता दिखाई थी। आयोग ने कहा है कि यह मुख्य विपक्षी दल के खिलाफ सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं की प्रतिशोधात्मक हिंसा थी।

Vikrant Shekhawat : Jul 16, 2021, 07:20 AM
कोलकाता: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर अपनी रिपोर्ट कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष प्रस्तुत की। इसमें कहा गया है कि राज्य में हिंसक घटनाओं में पीड़ितों की दुर्दशा के प्रति राज्य सरकार की भयावह उदासीनता है, राज्य में कानून का शासन नहीं चलता बल्कि शासक का कानून चलता है। हिंसा के मामलों की जांच राज्य से बाहर या सीबीआई से कराई जाना चाहिए। 

आयोग ने कहा है कि यह मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों के खिलाफ सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों द्वारा की गई प्रतिशोधात्मक हिंसा थी। इसके परिणामस्वरूप हजारों लोगों के जीवन और आजीविका में बाधा उत्पन्न की गई और उनका आर्थिक रूप से गला घोंट दिया गया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट 13 जुलाई को पेश की।

रिपोर्ट की मुख्य बातें

बंगाल चुनाव बाद हिंसा की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। हत्या व दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों की जांच होनी चाहिए।

बंगाल में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा ये दिखाती है कि पीड़ितों की दुर्दशा को लेकर राज्य की सरकार ने भयानक तरीके से उदासीनता दिखाई है।

हिंसा के मामलों से जाहिर होता है कि ये सत्ताधारी पार्टी के समर्थन से हुई है। 

ये उन लोगों से बदला लेने के लिए की गई, जिन्होंने चुनाव के दौरान दूसरी पार्टी को समर्थन दिया। 

राज्य सरकार के कुछ अंग और अधिकारी हिंसा की इन घटनाओं में मूक दर्शक बने रहे और कुछ इन हिंसक घटनाओं में खुद शामिल रहे हैं।

ममता का आरोप-यूपी में क्यों नहीं भेजे आयोग

आयोग की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अच्छी तरह जानते हैं कि यूपी में कानून का राज नहीं है। ऐसी हालत में वहां पर कितने आयोग भेजे गए? हाथरस से लेकर उन्नाव तक कई घटनाएं हो चुकी हैं। हालत ये है कि पत्रकारों को भी नहीं बख्शा गया, लेकिन उन्होंने बंगाल को बदनाम किया। 

आयोग पर लगाया रिपोर्ट लीक करने का आरोप

ममता बनर्जी ने बंगला में चुनाव बाद कथित हिंसा संबंधी अपनी रिपोर्ट मीडिया में लीक करने को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की बृहस्पतिवार को निंदा की। उन्होंने बंगाल सरकार के विचार जाने बिना एनएचआरसी के निष्कर्ष पर पहुंचने को लेकर हैरानी जताई। उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा अब हमारे राज्य की छवि खराब करने और राजनीतिक बदला लेने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का सहारा ले रही है। एनएचआरसी को इसका सम्मान करना चाहिए था। ममता बनर्जी ने कहा कि यदि उन्हें समय दे दिया गया, तो वह अगले सप्ताह दिल्ली के अपने दौरे में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मिलना चाहेंगी। 

ममता बताएं, उन्हें हमारी रिपोर्ट का कैसे पता चला : राशीद

रिपोर्ट लीक करने के ममता बनर्जी के आरोप पर पलटवार करते हुए मानवाधिकार आयोग के तथ्यान्वेषी दल के सदस्य अतिफ राशीद ने कहा कि मुख्यमंत्री बताएं कि लीक रिपोर्ट वहीं क्यों है, जो कि कलकत्ता हाईकोर्ट में पेश की गई है? सीएम यह भी बताए कि उन्हें हमारी गोपनीय रिपोर्ट के बारे में कैसे पता चला? 

रिपोर्ट लीक होने का सवाल नहीं : आयोग

इस बीच मानवाधिकार आयोग ने रिपोर्ट लीक होने के आरोप को आधारहीन व तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है। आयोग ने कहा कि जब रिपोर्ट संबंधित पक्षों के पास पहले से मौजूद है तो आयोग के स्तर से इसके लीक होने का सवाल ही नहीं है।