लॉकडाउन का असर / तन्हाई में और निखरा ताज का हुस्न...इंतजार है आपका

बेपनाह मोहब्बत की बेजोड़ निशानी ताजमहल पर इन दिनों गजब का निखार है। बेशकीमती नगीनों से जड़ा संगमरमरी हुस्न तन्हाई के आलम में कुदरत के और करीब जो आ गया है। उत्तरी द्वार पर कल-कल करती कालिंदी झर झर बह रही है तो पूरब में पंछियों की चहचहाहट फिजा में मिठास घोल रही है। इन दिलकश नजारों को इंतजार है दीदार के मुंतजिर उन दीवानों का जिनकी चाहत के कदम इस वक्त की बंदिशों ने रोक रखे हैं।

AMAR UJALA : Apr 20, 2020, 09:04 AM
TajMahal: बेपनाह मोहब्बत की बेजोड़ निशानी ताजमहल पर इन दिनों गजब का निखार है। बेशकीमती नगीनों से जड़ा संगमरमरी हुस्न तन्हाई के आलम में कुदरत के और करीब जो आ गया है। उत्तरी द्वार पर कल-कल करती कालिंदी झर झर बह रही है तो पूरब में पंछियों की चहचहाहट फिजा में मिठास घोल रही है। इन दिलकश नजारों को इंतजार है दीदार के मुंतजिर उन दीवानों का जिनकी चाहत के कदम इस वक्त की बंदिशों ने रोक रखे हैं। 

अजूबे के आंगन में रंग बिरंगे फूलों की क्यारियां महक रही हैं। पेंजी, डहेलिया, सॉल्विया के उन गुलदस्तों से खुबसूरती और खिलखिला रही है जो 24 फरवरी को आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस्तकबाल में लगाए गए थे। जिस अनुपम सौन्दर्य पर ट्रंप-मेलानिया फिदा हो गए थे, लॉकडाउन की फुर्सत के दौरान कारीगरों ने मीनारों का मडपैक कर उसमें चार चांद लगा दिए हैं। शाहजहां ने कहा था, ताज की जिंदगी यमुना है। वक्त का पहियां कुछ यूं चला कि आब ओ हवा एकदम ताजा व साफ हो गई।

60 साल पहले जैसा दिख रहा ताज...

ताजमहल पर 34 साल तैनात रहे वरिष्ठ संरक्षण सहायक डॉक्टर आरके दीक्षित बताते हैं कि 60 साल पहले ताजमहल जिस तरह चमकदार और शानदार नजर आता था उसके पीछे यमुना नदी जिस स्वच्छता के साथ कल कल करती हुई बहती थी, वैसा ही नजारा इस लॉक डाउन के दौरान दिखाई दे रहा है। ताजमहल के मडपैक के बाद ताज छह दशक पहले जैसा दिखने लगा है।

1990 में गंदा हुआ यमुना का पानी

वरिष्ठ संरक्षण सहायक और इंजीनियर एमसी शर्मा के मुताबिक ताजमहल के पीछे यमुना नदी के प्रदूषण में इन 21 दिनों में कमी आई है।  वह याद करते हैं कि जब वह 1970 के दशक में ताज पर नए-नए तैनात हुए थे तब यमुना का पानी एकदम साफ था। 1990 के बाद गंदगी का प्रवाह शुरू हुआ। इसका असर ताज पर पड़ा। अब यमुना साफ है, हवा भी तर ओ ताजा है तो ताज पर और निखार आ गया है।

हवा साफ - एक्यूआई 100 के नीचे...

पिछले पांच साल में ताजनगरी में मार्च की हवा सबसे साफ रही। लॉकडाउन में एयर क्वालिटी इंडेक्स 15 दिन तक 100 के नीचे रहा। पीएम-10 कणों में कमी आई है। यह उस शहर का हाल है जब जनवरी, फरवरी में एक्यूआई 300 के पार तक पहुंचा। शहर को गैस चैंबर कहा जाने लगा था। स्मॉग की चादर छायी रहती थी।

यमुना का रंग साफ हुआ, बदबू खत्म...

लॉकडाउन से पहले 21 मार्च को जब यमुना के सैंपल लिए गए तो रंग मटमैला था, पानी से बदबू आ रही थी। पानी कम था। लॉकडाउन के दौरान चार अप्रैल को लिए गए नमूनो में रंग साफ आया। पानी में बदबू नहीं थी। पीएच वैल्यू सुधर गई। नमूने ताज केपास से भी लिए गए।

370 साल में पहली बार एक महीने के लिए बंद  ताज

शाहजहां के राज में तामीर होने के बाद ताजमहल पहली बार एक महीने के लिए बंद रहा है। इस स्मारक में वरिष्ठ संरक्षण सहायक रहे एसके शर्मा ने बताया कि 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय इसे 15 दिन बंद रखा गया था। इसके बाद 1978 में यमुना में आई बाढ़ के कारण सात दिन तक दरवाजे नहीं खोले गए थे।

2000 करोड़ का कारोबार, चार लाख लोगों की रोजी रोटी

देश-विदेश से रोज 20 हजार लोग आते हैं। जनवरी-फरवरी के सीजन में संख्या 30 से 40 हजार पहुंच जाती है। टिकटों से सालाना 104 करोड़ रुपये की आमदनी है। आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल ने बताया कि लगभग चार लाख लोगों की रोजी रोटी ताज से जुड़ी है।