कारोबार / लग्जरी कारें, प्राइवेट जेट के मालिक होने के बावजुद भी 'कंगाल' अनिल अंबानी?

साल 2008 की बात है, अमीरों की संपत्ति आंकने वाली मैगजीन फोर्ब्स ने अनिल अंबानी को दुनिया का छठवां सबसे दौलतमंद शख्‍स बताया था। ये वो साल था जब अधिकतर लोग मान चुके थे कि अनिल अंबानी कारोबार जगत में स्‍थापित खिलाड़ी बन गए हैं। वहीं इसी साल से अनिल अंबानी के पतन की कहानी भी शुरू हो गई। आज हालात ये हो गए हैं कि अनिल अंबानी के पास लग्जरी कारें, प्राइवेट जेट और याट तो है लेकिन उनका नेटवर्थ ''जीरो'' है।

AajTak : Feb 08, 2020, 03:34 PM
साल 2008 की बात है, अमीरों की संपत्ति आंकने वाली मैगजीन फोर्ब्स ने अनिल अंबानी को दुनिया का छठवां सबसे दौलतमंद शख्‍स बताया था। ये वो साल था जब अधिकतर लोग मान चुके थे कि अनिल अंबानी कारोबार जगत में स्‍थापित खिलाड़ी बन गए हैं। वहीं इसी साल से अनिल अंबानी के पतन की कहानी भी शुरू हो गई। आज हालात ये हो गए हैं कि अनिल अंबानी के पास लग्जरी कारें, प्राइवेट जेट और याट तो है लेकिन उनका नेटवर्थ ''जीरो'' है।

दरअसल, ब्रिटेन की एक अदालत में अनिल अंबानी के वकीलों ने दावा किया है कि अनिल अंबानी के पास 11 या अधिक लग्जरी कारें, एक प्राइवेट जेट, एक याट और दक्षिण मुंबई में एक स्‍पेशल सीविंड पेंटहाउस है। लेकिन नेटवर्थ ''जीरो'' है। अंबानी के वकीलों के मुताबिक 2012 में अंबानी का निवेश सात अरब डॉलर से अधिक का था। आज यह 8।9 करोड़ डॉलर रह गया है। अगर उनकी देनदारियों को जोड़ा जाए, तो यह शून्य पर आ जाएगा। आइए जानते हैं अनिल अंबानी के पतन की पूरी कहानी के बारे में।।

साल 2002 में रिलायंस इंडस्ट्रीज के फाउंडर धीरूभाई अंबानी के निधन के करीब दो साल बाद अनिल अंबानी अपने भाई मुकेश अंबानी से अलग हो गए। इस दौरान मुकेश अंबानी को ऑयल रिफाइनरीज और पेट्रोकेमिकल का कारोबार मिलता तो वहीं अनिल के हिस्से में टेलीकॉम, फाइनेंस और एनर्जी यूनिट्स आईं।

दोनों भाइयों ने एक-दूसरे से होड़ या प्रतिस्पर्धा नहीं करने के एक समझौते पर भी दस्तखत किए—मुकेश टेलीकॉम कारोबार में पैर नहीं रखेंगे, जबकि अनिल ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल से दूर रहेंगे। कारोबार जगत के जानकारों की मानें तो इस बंटवारे में अनिल अंबानी को वो सभी चीजें मिल गईं जिसकी जिद कर रहे थे। हालांकि, शुरुआती सालों में अनिल अंबानी के लिए स्थितियां अनुकूल थीं। लेकिन कुछ वक्‍त बाद अनिल अंबानी के पतन की भी शुरुआत होने लगी। जानकारों के मुताबिक अनिल पारिवारिक कारोबार के बंटवारे के फौरन बाद से ही पूंजी निगलने वाली परियोजनाओं को हाथ में लेने पर उतारू थे। अनिल अंबानी के हर कारोबारी फैसले महत्वाकांक्षा के फेर में पड़कर लिए गए थे।

इसके अलावा वह कॉम्‍पिटीशन में बिना किसी रणनीति के कूद जाने में दिलचस्‍पी रखते रहे। वहीं अनिल अंबानी के लिए 2008 की वैश्विक मंदी ने भी बड़ा झटका दिया। एक अनुमान के मुताबिक इस मंदी में अनिल अंबानी को 31 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। इसके बाद अनिल अंबानी जिस कारोबार में हाथ लगा रहे थे, वहां उन्‍हें निराशा मिल रही थी। वहीं मुकेश अंबानी लगातार सफलता के शिखर पर पहुंच रहे थे।

आज मुकेश अंबानी दुनिया के टॉप 10 अमीरों में शामिल हैं तो वहीं अनिल अंबानी पर 45 हजार करोड़ के कर्ज और मुकदमों का पहाड़ है। हाल ही में अनिल अंबानी पर स्वीडन की कंपनी एरिक्सन ने 550 करोड़ रुपये चुकाने को कहा था। कोर्ट के आदेश के मुताबिक अगर वो नहीं चुकाते तो जेल जाना पड़ता। मुकेश अंबानी मुश्किल वक्‍त में अपने भाई का सहारा बने और पैसे चुकाकर जेल जाने से बचा लिया।

बहरहाल, अब लंदन कोर्ट ने चीन के बैंकों की अर्जी की सुनवाई करते हुए अनिल अंबानी से 10 करोड़ डॉलर की राशि जमा करने को कहा है। इसके लिए कोर्ट ने अनिल अंबानी को छह सप्ताह की समयसीमा दी है। अब ये देखना अहम है कि अनिल अंबानी इस रकम को कैसे दे पाते हैं।