महाराष्ट्र / महाराष्ट्र सरकार ने 10% ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत मराठा आरक्षण को दी मंज़ूरी

महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार, मराठा समाज के पात्र उम्मीदवारों को शिक्षा व नौकरियों में 10% ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग) कोटे के तहत आरक्षण दिया जाएगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण से संबंधित कानून रद्द कर दिया था। बकौल आदेश, मराठाओं के लिए यह आरक्षण 9 सितंबर 2020 से 5 मई 2021 तक लागू होगा।

Vikrant Shekhawat : Jun 01, 2021, 01:34 PM
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा कोटा खत्म करने के तीन हफ्ते बाद, महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10% EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटा के तहत लाभ उठाने की अनुमति देने का फैसला किया है। लेकिन, मराठों को 10% ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए ओपन कैटेगरी में दूसरों के साथ कमपीट करना होगा। पहले समुदाय को नौकरियों में 12% और शिक्षा में 13% आरक्षण दिया गया था।

जब सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में मराठा कोटा पर रोक लगा दी थी, तब महाराष्ट्र ने मराठों को ईडब्ल्यूएस के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी, लेकिन साथ ही कहा था कि अगर वे ईडब्ल्यूएस लाभों का विकल्प चुनते हैं तो वे मराठा कोटे के तहत लाभ नहीं उठा सकते। हालांकि, अब कोर्ट ने मराठा कोटा ही खत्म कर दिया है।

'मराठा को जबरदस्ती तो पिछड़ा वर्ग नहीं कह सकते'

बीते 5 मई, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने  मराठा आरक्षण के राज्य सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत का कहना था कि मराठा रिजर्वेशन के चलते आरक्षण की 50 फीसदी तय सीमा का उल्लंघन होगा। 5 जजों की बेंच ने कहा था कि मराठा समुदाय को आरक्षण के दायरे में लाने के लिए शैक्षणिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ा नहीं घोषित किया जा सकता।

कौन आता है EWS वर्ग में?

बता दें कि केंद्र सरकार ने 2019 में ईडब्ल्यूएस वर्ग के लोगों को शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था। 8 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले व्यक्ति ईडब्ल्यूएस के तहत शिक्षा और नौकरी में आरक्षण प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही आरक्षण के लिए पात्र व्यक्ति का पारिवारिक खेती की जमीन पांच एकड़ से अधिक नहीं होना चाहिए।

'मराठा कोटा के लिए लड़ेंगे लड़ाई'

इधर, महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज शिवसेना ने सोमवार को अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि मराठा रिजर्वेशन की लड़ाई दिल्ली में लड़ी जाएगी। सामना के संपादकीय में कहा गया है कि यह जरूरी है कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर दिल्ली का दरवाजा खटखटाया जाए। सामना में पार्टी ने लिखा, 'यह टकराव निर्णायक साबित होगा। विपक्ष की ओर से महाराष्ट्र में अस्थिरता पैदा करने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसे में उन्हें समय पर रोकने की जरूरत है।