Vikrant Shekhawat : Mar 01, 2022, 09:07 AM
Mahashivratri 2022 Date Tithi Kab Hai Shubh Muhurat Puja Vidhi : आज महाशिवरात्रि का त्योहार पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में भगवान शिव सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता है। भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव जल्द प्रसन्न करने वाले देवता हैं। यह मात्र के लोटा जल चढ़ाने और कुछ बेलपत्र अर्पित करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। वैसे तो हर महीने में मासिक शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है लेकिन साल के फाल्गुन माह में पड़ने वाली महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के पर्व पर जो शिव भक्त उपवास रहते हुए दिनभर शिव आराधना में लीन रहता है उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है। कष्टों और संकटों का जल्द निवारण हो जाता है। आरोग्यता की प्राप्ति होती है,सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। महाशिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव की स्तुति करने और कृपा पाने का सर्वोत्तम दिन माना जाता है। आइए जानते हैं इस वर्ष महाशिवरात्रि की तिथि,शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व आदि के बारे में विस्तार से... महाशिवरात्रि तिथि 2022हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च, मंगलवार को है। चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी।महाशिवरात्रि 2022 पूजन का शुभ मुहूर्त महाशिवरात्रि के त्योहार पर भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में करने का विधान होता है।प्रथम प्रहर की पूजा- 01 मार्च की शाम को 06 बजकर 21 मिनट रात्रि के 09 बजकर 27 मिनट तकदूसरे प्रहर की पूजा- 01 मार्च की रात्रि 09 बजकर 27 मिनट से रात्रि के 12 बजकर 33 मिनट तकतीसरे प्रहर की पूजा- 01 मार्च की रात 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 03 बजकर 39 मिनट तकचौथे प्रहर की पूजा- 02 मार्च की सुबह 03 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक।पारण का समय- 02 मार्च सुबह 6 बजकर 45 मिनट के बादमहाशिवरात्रि का महत्वमहाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन ही भगवान शिव लिंग के स्वरूप में प्रकट हुए थे। इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि इसी तिथि पर पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर अविवाहित कन्याएं पूरे दिन उपवास रखते हुए शिव आराधना में लीन रहती है और भगवान शिव से योग्य वर की प्राप्ति के लिए कामना करती हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से सभी तरह के सुख और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। महाशिवरात्रि पर सुबह से ही शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ जुटना प्रारंभ हो जाती है। महाशिवरात्रि पूजन विधि
सभी 12 महीनों में हर माह मनाई जाने वाली मासिक शिवरात्रि में फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि सबसे खास और मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली शिवरात्रि होती है। इस दिन सुबह जल्दी से उठकर स्नान करके पूजा का संकल्प लेते हुए पास के शिव मंदिर में जाएं। इसके बाद मन में भगवान शिव और माता पार्वती का स्मरण करते हुए उनका जलाभिषेकर करें। महाशिवरात्रि में शिव पूजा के दौरान अक्षत, पान, सुपारी, बेलपत्र, दूध, दधी, शहद, घी ,धतूरा आदि भगवान शिव को अर्पित करें। पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप करते रहें। महामृत्युंजय मंत्रॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।शिव आरतीजय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥
सभी 12 महीनों में हर माह मनाई जाने वाली मासिक शिवरात्रि में फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि सबसे खास और मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली शिवरात्रि होती है। इस दिन सुबह जल्दी से उठकर स्नान करके पूजा का संकल्प लेते हुए पास के शिव मंदिर में जाएं। इसके बाद मन में भगवान शिव और माता पार्वती का स्मरण करते हुए उनका जलाभिषेकर करें। महाशिवरात्रि में शिव पूजा के दौरान अक्षत, पान, सुपारी, बेलपत्र, दूध, दधी, शहद, घी ,धतूरा आदि भगवान शिव को अर्पित करें। पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप करते रहें। महामृत्युंजय मंत्रॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।शिव आरतीजय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥