Vikrant Shekhawat : Jan 12, 2021, 11:01 PM
Makar Sankranti 2021: हर साल जनवरी की 14 या 15 तारीख को मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2021) का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti Festival) का त्योहार विशेष महत्व रखता है। इस दिन श्रद्धालु भक्ति-भाव से भगवान सूर्य की उपासना करते हैं। मकर संक्रांति के दिन जितनी श्रद्धा-भाव से दान और स्नान किया जाता है, उनते ही हर्षोउल्लास के साथ पतंग भी उड़ाई जाती है। देश के हर राज्यों में अलग-अलग तरीके से यह त्योहार मनाया जाता है। गुजरात में मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी का विशेष आयोजन किया जाता है। इस कारण मकर संक्रांति (Makar Sankranti Shayari) को पतंग का त्योहार भी कहा जाता है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन पतंग की इन शायरियों के जरिए आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को त्योहार की बधाई दे सकते हैं। संक्रांति के मौके पर पढ़ें ये बेहतरीन शायरियां।
- -मैं हूँ पतंग-ए-काग़ज़ी डोर है उस के हाथ में
- चाहा इधर घटा दिया चाहा उधर बढ़ा दिया
- -पतंग कट गई तो इस का इतना ग़म क्यूँ है
- पतंग उड़ाने से पहले ये जान लेना था
- शहराम सर्मदी
- -पतंग उड़ाने से क्या मनअ कर सके ज़ाहिद
- कि उस की अपनी अबा में पतंग उड़ती है
- -लेकिन नीले आसमान को
- देख नहीं पाता हूँ मैं
- दिखाई देती है बस मुझ को अपनी पतंग
- आसमान और मिरे दरमियाँ
- -बाम-ए-फ़लक पे गर वो उड़ाता नहीं पतंग
- ख़ुर्शीद ओ माह डोर के फिर किस की गोले हैं
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
- -कटी पतंग की मानिंद डोलते हो तुम
- मुझे वतन से निकाले गए लगे हो तुम
- -पतंग उड़ाने से पहले ये जान लेना था
- -पतंग उड़ाने से पहले ये जान लेना था
- कि इस की असल है क्या और माहियत क्या है
- बहुत नहीफ़ सी दो बाँस की खपंचें हैं
- और उन से लिपटा मुरब्बे में ना-तवाँ काग़ज़
- ये जिस के दम पे हवा में कुलेलें भरती है
- ज़रा सी ज़र्ब से वो डोर टूट जाती है
- पतंग कट गई तो इस का इतना ग़म क्यूँ है
- पतंग उड़ाने से पहले ये जान लेना था
- कि इस की असल है क्या और माहियत क्या है