देश / मथुरा से द्वारका तक सादगी से मनी जन्माष्टमी, कोरोना के कारण मंदिरों में कई पाबंदियां

कोविड-19 पाबंदियों के बीच जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया। हालांकि इस महामारी के कारण इस वर्ष यह पर्व प्रभावित हुआ है और मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ और व्यापक रूप से सजाई जाने वाली झांकियां नदारद थी। इस बार दही-हांडी उत्सवों का आयोजन भी नहीं किया गया। मुख्य मंदिरों के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। लोगों के बीच सामाजिक दूरी बनाये रखने की भी व्यवस्था की गई।

News18 : Aug 13, 2020, 07:09 AM
नई दिल्ली/मथुरा/मुंबई। कोविड-19 (Covid-19) पाबंदियों के बीच जन्माष्टमी (Janmashtami) का पर्व मनाया गया। हालांकि इस महामारी (Pandemic) के कारण इस वर्ष यह पर्व प्रभावित हुआ है और मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ और व्यापक रूप से सजाई जाने वाली झांकियां नदारद थी। इस बार दही-हांडी उत्सवों (Dahi-Handi Celebration) का आयोजन भी नहीं किया गया। मंदिरों में तड़के से ही पुजारियों ने शंखों को बजाते हुए पूजा शुरू कर दी थी। कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण पाबंदियों की वजह से इस बार ‘कृष्णलीला’(Kishna Leela) और कोई अन्य विशेष धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया। हालांकि कुछ मंदिरों में अनुष्ठान ऑनलाइन किये गये। उत्तर भारत (North India) में लोग पूरे दिन का उपवास रखते है और मध्य रात्रि में विशेष पूजा करते हैं।

मुख्य मंदिरों के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। लोगों के बीच सामाजिक दूरी (Social Distancing) बनाये रखने की भी व्यवस्था की गई। भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के जन्म स्थल मथुरा (Mathura) के मुख्य मंदिरों में इस बार भक्तों की भीड़ कम रही है। सामान्यत: इस मौके पर लाखों श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन करने पहुंचते थे। श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक है लेकिन मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान के बाहर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और भगवान कृष्ण के भजन गाकर अपनी आस्था को व्यक्त किया। राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ईस्ट ऑफ कैलाश में इस्कॉन मंदिर में पूजा की।

महाराष्ट्र का दही-हांडी उत्सव रहा फीका

कोविड-19 महामारी का असर मुंबई (Mumbai) और महाराष्ट्र (Maharashtra) के अन्य हिस्सों में दही-हांडी उत्सव पर भी देखने को मिला और इसकी वजह से त्यौहार फीका रहा। यहां के मंडलों ने पिछले वर्षों के मुकाबले इस साल सादे तरीके से ही त्योहार मनाने का निर्णय लिया था। सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों को देखते हुए दही-हांडी मंडल मानव पिरामिड बनाकर दही हांडी नहीं फोड़ रहे हैं। यह उत्सव भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के मौके पर मनाया जाता है।

मानव पिरामिड बनाने के बदले मंडल इस अवसर पर स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण अभियान चला रहे हैं। इसके तहत वे रक्तदान शिविर लगा रहे हैं और स्थानों से प्लास्टिक हटाने के कार्य में जुटे हैं। अनेक वर्षों से महाराष्ट्र में यह उत्सव काफी धूमधाम से मनाया जाता रहा है , खासतौर पर मुंबई और पड़ोसी क्षेत्र ठाणे में इस अवसर पर काफी जश्न का माहौल रहता था। दही-हांडी आयोजनों में धार्मिक संस्थाएं, नेता और रंगे-बिरंगे कपड़े पहने गोविंदा के रूप में युवाओं की टोली हिस्सा लेती थी। इस साल सिर्फ सांकेतिक तौर पर ही दही-हांडी मटकी फोड़ी जा रही है। सामाजिक दूरी बनाते हुए मास्क पहनकर सांकेतिक तौर पर कार्यक्रम को पूरा किया जा रहा है।


चीनी उत्पादों के बहिष्कार का संदेश दे रहे लोग

मुंबई के घाटकोपर क्षेत्र से भाजपा विधायक राम कदम ने कहा कि सामान्य स्थिति में उनके मंडल के दही-हांडी उत्सव में पांच-छह लाख लोग आते हैं। कदम ने कहा , ‘‘आम समय में दही-हांडी उत्सव का हमारा आयोजन भारत में सबसे बड़े स्तर पर होता है। लेकिन इस साल कोविड-19 संकट के मद्देनजर इसे हमने सादे तरीके से सामाजिक दूरी बनाते हुए मनाया। मानव पिरामिड नहीं बनाया गया। बस सांकेतिक तरह से त्योहार मनाने के लिए एक बच्चे ने मेज पर चढ़कर ऊपर टंगी हांडी को फोड़ा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस साल हमने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने और आत्मनिर्भर भारत बनाने का संदेश दिया है।’’

दही-हांडी उत्सव समन्वय समिति के प्रमुख बाला पडेलकर ने कहा कि इस साल लोगों का उत्साह पहले जैसा नहीं है और विभिन्न मंडलों के कई सदस्य दही-हांडी फोड़ने के लिए इस बार यात्रा करने पर सहमत नहीं हुए। इस मंडल में 950 से अधिक समूह हैं।


इस तरह लोगों ने प्रकट की अपनी आस्था

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि श्रद्धालु मंदिर के बाहर एकत्र हुए और भगवान कृष्ण के भजनों को गाकर उन्होंने अपनी आस्था को प्रकट किया। राधा रमण मंदिर वृंदावन के सचिव पद्मनाभ गोस्वामी ने बताया कि मंदिर के बाहर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आये। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के बीच सामाजिक दूरी बनाये रखते हुए लगभग एक घंटे तक चरणामृत वितरित किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मास्क पहनने हुए थे।

जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्रा ने बताया कि मथुरा में श्रद्धालुओं के प्रवेश को रोकने के लिए मुख्य मंदिरों के प्रवेश द्वार पर बड़ी संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया गया था।


देश के कुछ हिस्सों में मंगलवार को यह पर्व मनाया गया था।

वैदिक मंत्रों के बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार की रात गोरखनाथ मंदिर में जन्माष्टमी मनाई थी। मंदिर प्रबंधक द्वारिका तिवारी ने यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री बुधवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर के परिसर में स्थित गोशाला भी गये।