देश / शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली बच्चों की एजुकेशन के प्रमोशन के लिए जारी की गाइडलाइन्स

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने शिक्षा संवर्धन दिशा-निर्देश जारी करने के अवसर पर कहा, कोविड-19 महामारी के दौरान वर्तमान समय में, मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संस्थानों ने एक साथ मिलकर काम किया। डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके बच्चों को घर पर ही स्कूली शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया है

News18 : Aug 20, 2020, 04:17 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के लिए शिक्षा संवर्धन (promotion of education) दिशा-निर्देश जारी किये। जिनमें समुदाय के सदस्यों और पंचायती राज के सदस्यों की सहायता से सामुदायिक केंद्रों में हेल्पलाइन सेवा स्थापित करने जैसे उपाय हैं।


डिजिटल माध्यमों से बच्चों को घर पर मिली स्कूली शिक्षा 

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने शिक्षा संवर्धन दिशा-निर्देश जारी करने के अवसर पर कहा, कोविड-19 महामारी के दौरान वर्तमान समय में, मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संस्थानों ने एक साथ मिलकर काम किया। डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके बच्चों को घर पर ही स्कूली शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया है।


सामुदायिक केंद्रों में हेल्पलाइन सेवा स्थापित 

उन्होंने बताया कि इन दिशा-निर्देशों में समुदाय के सदस्यों और पंचायती राज के सदस्यों की सहायता से सामुदायिक केंद्रों में हेल्पलाइन सेवा स्थापित करने की भी बात कही गई है। इसमें माता-पिता को भी प्रणाली से अवगत कराने की सलाह दी गई है जिससे कि वे अपने बच्चों को सीखने में सहायता प्रदान कर सकें और उसमें शामिल हो सकें।

NCERT द्वारा वर्तमान और बाद के लिए दिशा-निर्देश तैयार 

शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर एनसीईआरटी द्वारा छात्रों के लिए महामारी की वर्तमान स्थिति और महामारी के बाद की स्थिति के लिए भी शिक्षा संवर्धन दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं।

-पहला, जिसमें छात्रों के पास कोई डिजिटल संसाधन उपलब्ध नहीं है।

-दूसरा, जिसमें छात्रों के पास सीमित डिजिटल संसाधन उपलब्ध हैं।

-तीसरा, जिसमें छात्रों के पास ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने के लिए डिजिटल संसाधन उपलब्ध हैं।

स्कूल के साथ मिलकर काम करने वाले समुदाय पर बल

मंत्री ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों में, स्कूल के साथ मिलकर काम करने वाले समुदाय पर बल दिया गया है। जिससे कि शिक्षकों और स्वयंसेवकों द्वारा बच्चों को उनके घर पर कार्यपुस्तिकाओं, कार्यपत्रों  जैसी शिक्षण सामग्री प्रदान की जा सके। इसमें स्वयंसेवकों या शिक्षकों द्वारा स्थानीय छात्रों को पढ़ाने, सामुदायिक केंद्रों में टेलीविजन स्थापित करने और सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन करने का भी सुझाव दिया गया है।