Vikrant Shekhawat : Sep 18, 2024, 05:15 PM
One Nation One Election: मोदी सरकार ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी की सिफारिशों को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यह रिपोर्ट इस साल मार्च में सौंपी गई थी, जिसमें लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का सुझाव दिया गया था। चर्चा है कि एनडीए सरकार संसद में इस संबंध में विधेयक लाने की तैयारी कर रही है।कोविंद कमेटी की सिफारिशेंकोविंद कमेटी ने 191 दिनों तक विशेषज्ञों और विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से विचार विमर्श के बाद 18,626 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें की गई हैं:राज्यों के कार्यकाल का विस्तार: सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक करने का सुझाव दिया गया है, ताकि लोकसभा के चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव भी एक साथ कराए जा सकें।हंग असेंबली की स्थिति: रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि नो कॉन्फिडेंस मोशन या हंग असेंबली की स्थिति बनती है, तो 5 साल के बचे समय के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं।चुनाव की चरणबद्ध प्रक्रिया: पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है, जबकि दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं।इसके अलावा, चुनाव आयोग को इन चुनावों के लिए वोटर लिस्ट तैयार करने और सुरक्षा बलों, प्रशासनिक अधिकारियों, और मशीनों की योजना बनाने की सिफारिश की गई है।कमेटी की संरचनाकोविंद कमेटी में कुल आठ सदस्य शामिल थे, जिनमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, और अन्य प्रमुख व्यक्ति शामिल थे। इस विविधतापूर्ण टीम ने विभिन्न दृष्टिकोणों से विचार किया, जो इस मुद्दे की जटिलता को समझने में सहायक रहा।राज्यों पर प्रभावयदि 'वन नेशन-वन इलेक्शन' लागू होता है, तो कई राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल घट जाएगा, खासकर उन राज्यों में जहाँ 2023 में चुनाव हुए हैं। इन राज्यों के कार्यकाल को बढ़ाने की आवश्यकता होगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति से यह मॉडल 2029 में लागू किया जा सकता है।निष्कर्ष'वन नेशन-वन इलेक्शन' का विचार भारतीय लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया को अधिक संगठित और आर्थिक रूप से प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इसके कार्यान्वयन के लिए राजनीतिक सहमति और प्रशासनिक तैयारी की आवश्यकता होगी। इस नई प्रणाली से चुनावी खर्च में कमी, प्रशासनिक दक्षता, और विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा। अब यह देखना होगा कि मोदी सरकार इस प्रस्ताव को सफलतापूर्वक कैसे लागू करती है।