लॉकडाउन का ऐसा खौफ / रात के अंधेरे में समंदर की लहरों को चीरते, 1000 किमी नाव चलाकर गांव पहुंचे दो दर्जन से ज्यादा मछुआरे

दो दर्जन से ज्यादा मछुआरे रात के अंधेरे में समंदर की लहरों को चीरते हुए करीब 1000 किलोमीटर तक नाव चलाकर आंध्र प्रदेश और ओडिशा स्थित अपने गांव के पास पहुंचे। लॉकडाउन के पहले चरण का ऐलान होने के बाद करीब एक महीने तक चेन्नई में फंसे रहने के बाद इन प्रवासी मछुआरों ने वहां एक नाव खरीदी फिर 1080 किलोमीटर के सफर पर बचते-बचाते रात के अंधेरे में निकल पड़े।

Jansatta : Apr 23, 2020, 01:32 PM
India Lockdown: लॉकडाउन का दूसरा चरण खत्म होने में अब दस दिन ही बचे हैं लेकिन मजदूरों में अभी भी उसका खौफ साफ झलक रहा है। इसकी बानगी चेन्नई में भी दिखी, जब दो दर्जन से ज्यादा मछुआरे रात के अंधेरे में समंदर की लहरों को चीरते हुए करीब 1000 किलोमीटर तक नाव चलाकर आंध्र प्रदेश और ओडिशा स्थित अपने गांव के पास पहुंचे। लॉकडाउन के पहले चरण का ऐलान होने के बाद करीब एक महीने तक चेन्नई में फंसे रहने के बाद इन प्रवासी मछुआरों ने वहां एक नाव खरीदी फिर 1080 किलोमीटर के सफर पर बचते-बचाते रात के अंधेरे में निकल पड़े।

इस टीम में 27 मछुआरे शामिल थे जो चेन्नई में एक मछली व्यापारी के लिए काम करते थे। अचानक एक रात सभी वहां व्यापारी के ठिकाने से फरार हो गए और पांच दिन बाद 20 अप्रैल को ओडिशा-आंध्र सीमा पर इछापुरम तट पर पहुंच गए। हालांकि, समुद्र तट पर पहुंचते ही वहां पहले से तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया और सभी को क्वारंटीन सेंटर में भेज दिया।

अंग्रेजी अखबार ‘द टेलिग्राफ’ से ओडिशा के गंजम जिले के कलेक्टर विजय अमृता कुलंगे ने इन मछुआरों के समुद्र से यात्रा करने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा, “सभी 27 मछुआरे, जो एक लकड़ी की नाव में चेन्नई से आ रहे थे, सोमवार की सुबह ओडिशा और आंध्र सीमा पर आंध्र प्रदेश के इछापुरम के पास दनकुरु समुद्र तट पर पहुंचे। उनमें से दस प्रवासी ओडिशा के हैं, जबकि बाकी सभी आंध्र प्रदेश के निवासी हैं।”

जब मछुआरों से पूछा गया कि क्या रात के अंधेरे में लहरों के बीच नाव चलाना रोमांचकारी था तो उन्होंने कहा कि चेन्नई में रोज कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों से वे सभी लोग डरे हुए थे। ओडिशा के प्रवासियों में से एक, कृष्ण बेहरा ने कहा, “जैसे ही चेन्नई में कोरोनोवायरस के मामलों की संख्या बढ़ी, हम घबरा गए। हम घर लौटना चाहते थे लेकिन कोई परिवहन उपलब्ध नहीं था। हमने आपस में बात की और अंत में समुद्र के रास्ते अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया।”

मछुआरों ने बताया कि सभी ने नाव खरीदने के लिए सात हजार रुपये दिए। इस तरह 1.73 लाख रुपये में मछुआरों ने नाव खरीदी। यह नाव तीन साल पुरानी है। इसमें 9HP का इंजन लगा हुआ है। एक मछुआरे ने कहा कि हमलोगों ने नाव के मालिक को भरोसे में लिया, उसके बाद उन्होंने इसे हमें सौंप दिया। बता दें कि तमिलनाडु में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमण के 1500 मामले सामने आ चुके हैं।