Science / NASA ने बृहस्पति पर जीवन को लेकर किया बड़ा खुलासा, यहां हैं घाटियां, समंदर और बगीचे भी !

अब तक वैज्ञानिकों सिर्फ मंगल ग्रह (Life on Mars) पर ही जीवन की संभावनाएं दिखी थीं, लेकिन अब एक और ग्रह भी जीवन जीने लायक परिस्थितियां दिखी हैं। ये ग्रह है बृहस्पति। वैज्ञानिकों को बृहस्पति ग्रह (Life on Jupiter) के ठंडे और बर्फीले चांद यूरोपा (Europa) पर एक बगीचा दिखा है। इसे दखने के बाद उनकी उम्मीदें बढ़ गईं है। भविष्य में यूरोपा पर वे जीवन की संभावनाएं तलाशने लगे हैं।

Vikrant Shekhawat : Jul 14, 2021, 04:37 PM
Delhi: अब तक वैज्ञानिकों सिर्फ मंगल ग्रह (Life on Mars) पर ही जीवन की संभावनाएं दिखी थीं, लेकिन अब एक और ग्रह भी जीवन जीने लायक परिस्थितियां दिखी हैं। ये ग्रह है बृहस्पति। वैज्ञानिकों को बृहस्पति ग्रह (Life on Jupiter) के ठंडे और बर्फीले चांद यूरोपा (Europa) पर एक बगीचा दिखा है। इसे दखने के बाद उनकी उम्मीदें बढ़ गईं है। भविष्य में यूरोपा पर वे जीवन की संभावनाएं तलाशने लगे हैं।

वैज्ञानिक इस बात की खोज में लग गए हैं कि आखिर यूरोपा की बर्फीली ज़मीन पर झाड़ियां और घास जैसी आकृतियां कैसे दिख रही हैं? NASA का कहना है कि अंतरिक्ष के कचरों के टकराने की वजह से ये गड्ढे यूरोपा पर दिख रहे हैं। गड्ढों के साथ ही यहां घाटियां, दरारें और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी आकृतियां भी दिख रही हैं। इनमें से कुछ आकृतियां काफी गहरे रंग की भी हैं, जिन्हें घास और झाड़ियां माना जा रहा है।

रेडिएशन की वजह से नहीं पनपता जीवन

इस जगह पर रेडिएशन का स्तर पर काफी ज्यादा है। NASA की स्टडी कहती है कि यूरोपा पर दिखने वाले इम्पैक्ट क्रेटर अंतरिक्ष के कचरे के टकराने की वजह से बने हैं। यहां की परिस्थिति पर यूरोपा क्लिपर मिशन (Europa Clipper Mission) के तहत निगरानी रखी जा रही है। यूरोपा के ऊपर जो बर्फ की मोटी और कड़ी परत है, उसके नीचे एक खारा सागर भी है, जहां जीवन की संभावना सबसे ज्यादा मानी जाती है। जब ये पानी बर्फ की ऊपरी परत से बाहर निकल सकेगा, तो यूरोपा पर जीवन की उत्पत्ति भी हो पाएगी।

हो रही है जीवन की संभावनाओं की खोज

12 जुलाई को नेचर एस्ट्रोनॉमी कें प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि यूरोपा की सतह पर 12 इंच के गड्ढे हैं। इन गड्ढों की संख्या करोड़ों में है। फिलहाल यूरोपा पर विनाशकारी रेडिएशन की वजह से यहां केमिकल बायोसिग्नेचर जीवन के रूप में पनप नहीं पा रहे हैं। जैसे-जैसे रेडिएशन कम होगा, वैसे ही जीवन की उत्पत्ति की संभावना बढ़ जाएगी। यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई की प्लैनेटरी रिसर्च साइंटिस्ट एमिली कॉस्टेलो ने कहा कि अगर हमें केमिकल बायोसिग्नेचर मिलते हैं तो हम यह दावा कर सकते हैं कि इम्पैक्ट गार्डेनिंग हो रही है। यूरोपा क्लिपर मिशन को नासा सिर्फ एस्ट्रोबायोलॉजिकल अध्ययन के लिए ही भेज रहा है। इसका मकसद जीवन की संभावनाओं की खोज करना है।