NASA / नासा के रोवर ने मंगल की मिट्टी में खोजे जीवन के अंश

मंगल ग्रह यानी मार्स पर जीवन के सबूत मिले हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मार्स क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल की मिट्टी पर कार्बनिक मिश्रण खोजा है। नासा के वैज्ञानिकों का दावा है कि यह कार्बनिक मिश्रण दो तरीके से बन सकते हैं। जैविक या अजैविक। लेकिन अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में इसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। उसका नाम है थायोफीन्स।

AajTak : Apr 20, 2020, 10:04 AM
NASA: मंगल ग्रह यानी मार्स पर जीवन के सबूत मिले हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मार्स क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल की मिट्टी पर कार्बनिक मिश्रण खोजा है। नासा के वैज्ञानिकों का दावा है कि यह कार्बनिक मिश्रण दो तरीके से बन सकते हैं। जैविक या अजैविक। लेकिन अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में इसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। 

नासा के मार्स क्यूरियोसिटी रोवर ने जिस कार्बनिक मिश्रण यानी जीवन के अंश की खोज की है, उसका नाम है थायोफीन्स (Thiophenes)। शोधकर्ता जैकब हीन्ज और डर्क शल्ज माकुश ने कहा कि मंगल ग्रह पर थायोफीन्स का मिलना इस बात की संभावना को बढ़ाता है कि वहां कभी जीवन रहा होगा। 

मंगल ग्रह पर जाने वाले अगले रोवर पर काम कर रहे दोनों शोधकर्ताओं का मानना है कि मंगल की सतह यानी मिट्टी में थायोफीन्स का होना ये बताता है कि वहां सूक्ष्म जीवन रहा होगा। या फिर अब भी मौजूद है। हीन्ज और माकुश की यह रिपोर्ट साइंस जर्नल एस्ट्रोबायोलॉजी में प्रकाशित हुई है। 

थायोफीन्स जैसे कार्बनिक मिश्रण दो तरीके से बन सकते हैं। पहला - जैविक यानी उसी ग्रह पर जीवन सूक्ष्म रूप में मौजूद हों या दूसरा - किसी उल्कापिंड से ग्रह पर जीवन आया हो। अगर इसकी रासायनिक प्रक्रिया को देखे तो थायोफीन्स 120 डिग्री सेल्सियस पर सल्फेट रि़डक्शन से भी बन सकते हैं। लेकिन इसमें कोई जैविक प्रक्रिया नहीं होगी। 

वहीं, थायोफीन्स जीवित चीजों से भी बन सकते हैं। हीन्ज और माकुश का मानना है कि ये थायोफीन्स मंगल ग्रह पर 300 करोड़ साल पुराने हो सकते हैं। ये तब की बात है जब मंगल ग्रह बेहद गर्म और गीला था। तब इस ग्रह पर सूक्ष्म जीवन की पूरी संभावना रही होगी। जिनकी वजह से सल्फेट रिडक्शन हुआ और थायोफीन्स बने। 

हीन्ड और माकुश ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि धरती पर थायोफीन्स जैविक प्रक्रिया से ही बनते हैं। लेकिन मंगल ग्रह पर इस बात की प्रमाणिकता को जांचना की थायोफीन्स जैविक है या अजैविक, यह थोड़ा कठिन होगा। 

हालांकि, मंगल ग्रह पर नासा के घूम रहे रोबोट क्यूरियोसिटी ने इस बात के कई हिंट दिए हैं कि लाल ग्रह पर खोजे गए थायोफीन्स जैविक हैं। इसके बावजूद इस पर काफी गहन अध्ययन करने की जरूरत है। 

वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि मंगल ग्रह पर जाने वाला अगला रोवर क्यूरियोसिटी द्वारा किए गए खोजबीन की दोबारा जांच कर उन्हें पुख्ता करेगा। क्योंकि उस रोवर में क्यूरियोसिटी से ज्यादा बेहतरीन और अत्याधुनिक मॉलीक्यूलर एनालाइजर लगा हुआ है। 

अगले मार्स रोवर का नाम है रोजालिंड फ्रैंकलिन। रोजालिंड फ्रैंकलिन को 2022 पर मंगल ग्रह पर भेजने की उम्मीद है। यह लाल ग्रह की सतह पर सात महीने काम करेगा। इसे यूरोपियन और रूसी स्पेस एजेंसी ने मिलकर बनाया है। इसका वजन 310 किलोग्राम है।