Vikrant Shekhawat : Jun 05, 2022, 08:30 AM
Delhi: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मुख्तार अब्बास नकवी को फिर से राज्यसभा नहीं भेजा। अटकलें लगाई जा रही थीं कि मुख्तार अब्बास नकवी को बीजेपी रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार सकती है लेकिन ये अटकलें बस अटकलें बनकर रह गईं। बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के आजम खान के गढ़ में घनश्याम लोधी को टिकट दे दिया है।
बीजेपी ने मुख्तार अब्बास नकवी को न तो राज्यसभा भेजा और ना ही रामपुर संसदीय सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में ही उम्मीदवार बनाया। यानी फिलहाल मुख्तार अब्बास नकवी खाली हाथ ही रह गए हैं। ऐसे में अब ये चर्चा शुरू हो गई है कि मुख्तार अब्बास नकवी केंद्र में कब तक मंत्री बने रहेंगे, क्योंकि जल्द ही उनका राज्यसभा का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। संसदीय राजनीति में किनारे किए जाने के बाद मुख्तार अब्बास नकवी का अगला कदम क्या होगा, ये भी सवाल है?मुख्तार अब्बास नकवी को बीजेपी ने साल 2016 में झारखंड से राज्यसभा भेजा था। मुख्तार अब्बास नकवी का राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्यकाल 7 जुलाई को पूरा हो रहा है। माना जा रहा था कि बीजेपी, मुख्तार अब्बास नकवी को इस बार भी झांरखंड से ही राज्यसभा भेज देगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बीजेपी ने झारखंड से इस बार आदित्य साहू को राज्यसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया।मुख्तार अब्बास नकवी के साथ जिन दो अन्य केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और निर्मला सीतारमण का कार्यकाल खत्म हो रहा था, दोनों को राज्यसभा भेज दिया गया। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और आजम खान के इस्तीफे से रिक्त हुई आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव भी होने थे।बीजेपी ने जब मुख्तार अब्बास नकवी को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार नहीं बनाया, तब ये माना जाने लगा कि शायद पार्टी उन्हें आजम खान के गढ़ रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दे। ये चर्चा आधारहीन भी नहीं थी। रामपुर मुस्लिम बाहुल्य सीट है और मुख्तार अब्बास नकवी की गिनती बीजेपी के बड़े मुस्लिम चेहरों में होती है।राज्यसभा के बाद लोकसभा के दरवाजे बंदबीजेपी ने अब लोकसभा उपचुनाव के लिए भी अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है जिसमें मुख्तार अब्बास नकवी का नाम नहीं है। बीजेपी ने रामपुर सीट से घनश्याम लोधी और आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव निरहुआ को टिकट दिया है। राज्यसभा के बाद अब मुख्तार अब्बास नकवी के लिए लोकसभा के दरवाजे बंद हो गए हैं, ऐसे कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में फिर से फेरबदल देखने को मिलेगा?क्या कहते हैं नियमभारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जो किसी भी सदन का सदस्य ना हो, वह अधिकतम छह महीने तक सरकार में मंत्री पद पर रह सकता है। नियम ये भी कहते हैं कि छह महीने के भीतर अगर संबंधित व्यक्ति लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य नहीं चुना जाता है तो उसे अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।1 साल तक रह सकते हैं मंत्रीइस्तीफे के बाद भी अगर प्रधानमंत्री चाहें तो उसे फिर से मंत्री बना सकते हैं लेकिन ये मौका भी बस एक बार ही मिल सकता है। नियमों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति दोनों में से किसी भी सदन का सदस्य निर्वाचित हुए बगैर अधिकतम एक साल तक सरकार में मंत्री रह सकता है। लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब सरकार का मुखिया यानी प्रधानमंत्री चाहे।
शुरू हो गया कयासों का दौरक्या मुख्तार अब्बास नकवी के मामले में ऐसा होगा या बीजेपी छह महीने के अंदर उन्हें सदन में भेज लेगी? क्या मुख्तार अब्बास नकवी की पीएम मोदी के मंत्रिमंडल से छुट्टी हो जाएगी? इन सवालों के जवाब तो आने वाला वक्त ही देगा लेकिन फिलहाल, कयासों का दौर फिर से शुरू हो गया है।
बीजेपी ने मुख्तार अब्बास नकवी को न तो राज्यसभा भेजा और ना ही रामपुर संसदीय सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में ही उम्मीदवार बनाया। यानी फिलहाल मुख्तार अब्बास नकवी खाली हाथ ही रह गए हैं। ऐसे में अब ये चर्चा शुरू हो गई है कि मुख्तार अब्बास नकवी केंद्र में कब तक मंत्री बने रहेंगे, क्योंकि जल्द ही उनका राज्यसभा का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। संसदीय राजनीति में किनारे किए जाने के बाद मुख्तार अब्बास नकवी का अगला कदम क्या होगा, ये भी सवाल है?मुख्तार अब्बास नकवी को बीजेपी ने साल 2016 में झारखंड से राज्यसभा भेजा था। मुख्तार अब्बास नकवी का राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्यकाल 7 जुलाई को पूरा हो रहा है। माना जा रहा था कि बीजेपी, मुख्तार अब्बास नकवी को इस बार भी झांरखंड से ही राज्यसभा भेज देगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बीजेपी ने झारखंड से इस बार आदित्य साहू को राज्यसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया।मुख्तार अब्बास नकवी के साथ जिन दो अन्य केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और निर्मला सीतारमण का कार्यकाल खत्म हो रहा था, दोनों को राज्यसभा भेज दिया गया। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और आजम खान के इस्तीफे से रिक्त हुई आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव भी होने थे।बीजेपी ने जब मुख्तार अब्बास नकवी को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार नहीं बनाया, तब ये माना जाने लगा कि शायद पार्टी उन्हें आजम खान के गढ़ रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दे। ये चर्चा आधारहीन भी नहीं थी। रामपुर मुस्लिम बाहुल्य सीट है और मुख्तार अब्बास नकवी की गिनती बीजेपी के बड़े मुस्लिम चेहरों में होती है।राज्यसभा के बाद लोकसभा के दरवाजे बंदबीजेपी ने अब लोकसभा उपचुनाव के लिए भी अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है जिसमें मुख्तार अब्बास नकवी का नाम नहीं है। बीजेपी ने रामपुर सीट से घनश्याम लोधी और आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव निरहुआ को टिकट दिया है। राज्यसभा के बाद अब मुख्तार अब्बास नकवी के लिए लोकसभा के दरवाजे बंद हो गए हैं, ऐसे कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में फिर से फेरबदल देखने को मिलेगा?क्या कहते हैं नियमभारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जो किसी भी सदन का सदस्य ना हो, वह अधिकतम छह महीने तक सरकार में मंत्री पद पर रह सकता है। नियम ये भी कहते हैं कि छह महीने के भीतर अगर संबंधित व्यक्ति लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य नहीं चुना जाता है तो उसे अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।1 साल तक रह सकते हैं मंत्रीइस्तीफे के बाद भी अगर प्रधानमंत्री चाहें तो उसे फिर से मंत्री बना सकते हैं लेकिन ये मौका भी बस एक बार ही मिल सकता है। नियमों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति दोनों में से किसी भी सदन का सदस्य निर्वाचित हुए बगैर अधिकतम एक साल तक सरकार में मंत्री रह सकता है। लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब सरकार का मुखिया यानी प्रधानमंत्री चाहे।
शुरू हो गया कयासों का दौरक्या मुख्तार अब्बास नकवी के मामले में ऐसा होगा या बीजेपी छह महीने के अंदर उन्हें सदन में भेज लेगी? क्या मुख्तार अब्बास नकवी की पीएम मोदी के मंत्रिमंडल से छुट्टी हो जाएगी? इन सवालों के जवाब तो आने वाला वक्त ही देगा लेकिन फिलहाल, कयासों का दौर फिर से शुरू हो गया है।