महाराष्ट्र / 16-17 अप्रैल की रात करियर में सबसे कठिन रही, 168 मरीज़ों को किया शिफ्ट: बीएमसी आयुक्त

बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने अपने करियर की 'सबसे कठिन रातों में से एक' के बारे में बताया है। बकौल आयुक्त, 16-17 अप्रैल की रात को सूचना मिली कि 168 कोविड-19 मरीज़ों वाले 6 अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है जिसके बाद मरीज़ों को उसी रात कोविड-19 केंद्र शिफ्ट किया गया। उन्होंने कहा, "राहत मिली कि...किसी की जान नहीं गई।"

मुंबई. देश में बढ़ते हुए कोरोना केसों के बीच लोग ऑक्सीजन संकट का भी सामना कर रहे हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कुछ राज्य सरकारें ऑक्सीजन की कमी का ठीकरा केंद्र  पर फोड़ रही हैं। जबकि सच्चाई कुछ और है। महाराष्ट्र में बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने राज्य सरकारों के झूठ का पर्दाफाश करते हुए बताया कि कैसे कुछ ही सेकंड में उन्हें केंद्र की ओर से जवाब मिला और मुंबई की ऑक्सीजन की समस्या को केंद्र की मदद से काफी हद तक हल कर दिया गया। 

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने बताया कि 16-17 अप्रैल की रात को उनके पास खबर आई कि मुंबई में 6 अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है। उन्होंने बताया कि इन अस्पतालों में 168 मरीज थे। इन्हें शिफ्ट कराने के लिए बीएमसी की ओर से रात को 1 बजे 5 बजे के बीच 150 एंबुलेंस लगाई गईं। सभी मरीजों को कोविड सेंटर लाया गया। यहां भाग्यवश 3,600 बेड खाली थे। इनमें से 850 बेड ऑक्सीजन युक्त थे। बीएमसी सभी मरीजों का जान बचाने में सफल रही। 

केंद्र से मांगी मदद

इकबाल ने बताया कि वे इस घटना के बाद पूरी रात नहीं सो पाए। करीब सुबह 7 बजे उन्होंने भारत सरकार के अधिकारियों, जिनमें कैबिनेट सचिव, गृह सचिव और हेल्थ सचिव शामिल थे। उन्होंने यही मैसेज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री समेत 8 नेताओं को भेजा। उन्होंने कहा, यह समस्या का समाधान नहीं था। लेकिन उनके मैसेज भेजने के सिर्फ 15-20 सेकंड बाद केंद्रीय सचिव राजीव गौबा का फोन उनके पास आया। उन्होंने इकबाल से पूछा कि वे क्या चाहते हैं। इकबाल ने कहा, हमें राज्य में ऑक्सीजन आयात करनी पड़ेगी। इकबाल ने उन्हें बताया कि इतने कम समय में ऑक्सीजन नहीं बनाई जा सकती। और हल्दिया से ऑक्सीजन आने में 8 दिन लग रहे हैं।

बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह ने कहा, मैंने उन्हें बताया कि जामनगर में रिलायंस इंडस्ट्री से सिर्फ 16 घंटे में ऑक्सीजन मुंबई आ सकती है। इस बार केंद्रीय सचिव गौबा ने कहा कि ऑक्सीजन का ऐसा आवंटन केवल एक शहर के लिए नहीं किया जा सकता है। इस पर इकबाल ने कहा कि आप महाराष्ट्र के लिए आवंटन करा दीजिए, मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि यह मुंबई आ जाएगी। तब जामनगर से 125 MT ऑक्सीजन महाराष्ट्र को आवंटित कराई गई। उसी शाम से टैंकर आने लगे और मुंबई में केंद्र सरकार की मदद से ऑक्सीजन की समस्या इतिहास बन गई। 

जब इकबाल से पूछा गया कि दूसरी लहर में केंद्र और राज्य ऑक्सीजन सप्लाई समेत तमाम मुद्दों पर एक दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं, ऐसे में हम इसे कैसे हल कर सकते हैं?

इस पर उन्होंने कहा, जिस तरह की कहानियां सामने आ रही हैं, वे वास्तविक नहीं है। क्योंकि राज्य और केंद्र के  बीच की ज्यादातर बातें अफसरों के बीच होती हैं। इसलिए जब हम भारत सरकार में अपने सहयोगियों से बात कर रहे होते हैं, तो वे हमारे बैचमेट की तरह या सीनियर या जूनियर की तरह ही होते हैं। किसी ने यह नहीं पाया कि भारत सरकार हमारी मदद करने को तैयार नहीं है। हालांकि, उनके पास अपनी समस्याएं हैं। जैसे हम सीख रहे हैं, वे भी सीख रहे हैं। 

बीएमसी कमिश्नर ने आगे कहा, इसलिए ऐसा कोई विवाद नहीं हुआ ... उदाहरण के लिए, जब मैंने कैबिनेट सचिव से ऑक्सीजन एयरलिफ्ट के लिए अनुरोध किया, तो उन्होंने कहा कि हम इस पर गौर कर रहे हैं, लेकिन कुछ समस्याएं सामने आ रही हैं। बाद में मुझे महसूस हुआ कि एक पूरा टैंकर एयरलिफ्ट नहीं किया जा सकता है। यह फट सकता है।

सवाल - तो क्या केंद्र-राज्य के मतभेद कभी काम के बीच में नहीं आए?

इकबाल ने कहा, मुझे इस प्रश्न का उत्तर बहुत ही सशक्त तरीके से देना चाहिए। भारत सरकार को दोष नहीं देना चाहिए। अगर किसी को दोषी ठहराया जाना है, तो यह राज्य हैं। मैं आपको बताता हूं ऐसा क्यों? जहां तक ​​महाराष्ट्र का संबंध है, हम आंकड़ों के साथ बहुत ईमानदार रहे हैं। हम हर दिन 60,000 से अधिक नए केस आने के भी आंकड़े दे रहे थे, जब पूरा देश हम पर हंस रहा था। भारत के कई राज्य यह स्वीकार करने के लिए भी तैयार नहीं थे कि उनके यहां कितने मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में केंद्र उन्हें कैसे आवंटित करता।