Vikrant Shekhawat : Jun 10, 2022, 07:53 AM
Nirjala Ekadashi 2022 : हिंदू धर्म में व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. व्रत रखने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. व्रत रखने से स्वास्थ्य बेहतर होता है. विज्ञान भी इस बात को स्वीकार करता है. वर्तमान समय में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष चल रहा है. इस ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं इस एकादशी के बारे में
Nirjala Ekadashi 2022 Date: इस बार एकादशी तिथि दो दिन पड़ने से लाेग संशय में हैं कि निर्जला एकादशी व्रत 10 जून यानी आज रखें या कल. आप भी ऐसा सोच रहे तो जान लें कि इस बार निर्जला एकादशी व्रत 11 जून को रखा जाएगा. पूरे वर्ष में 24 एकादशी तिथि (Nirjala Ekadashi Tithi) होती है. इनमें से सभी एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi Vart) व्रत रखा जाता है.
निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है?मान्यता है क निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है. ये व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है. इस व्रत को रखने से मनुष्य के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं. इस व्रत का विशेष पुण्य शास्त्रों में बताया गया है. यही कारण है कि लोग इस एकादशी का वर्षभर इंतजार करते हैं.
निर्जला एकादशी व्रत का पारण कब है? (Nirjala Ekadashi 2022 Vrat Paran)निर्जला एकादशी व्रत में पारण का उतना ही महत्व है जितना की व्रत पूजा का. मान्यता है कि एकादशी व्रत का पारण यदि विधि पूर्वक न किया जाए तो इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी की तिथि को किया जाता है. इसमें शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है.
निर्जला एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त, पारण का समय (Nirjala Ekadashi 2022 Puja Shubh Muhurat Paran Time)ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का प्रारंभ: 10 जून, शुक्रवार, सुबह 07:25 बजे से.
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का समापन: 11 जून, शनिवार, सुबह 05:45 बजे.
वरीयान योग: प्रात:काल से रात 11:36 बजे तक.
रवि योग: प्रात: 05:23 बजे से अगले दिन 11 जून, शनिवार, सुबह 03:37 बजे तक.
दिन का शुभ समय: 11:53 बजे से लेकर दोपहर 12:48 बजे तक.
निर्जला एकादशी व्रत का पारण समय: 11 जून, शनिवार, दोपहर 01:44 बजे से शाम 04:32 बजे तक.
उदया तिथि के कारण दोनों ही दिन यानी 10 और 11 जून को व्रत रखा जा सकता है. लेकिन 11 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखना और 12 जून को पारण करना ज्यादा शुभ माना जा रहा है. वहीं जो लोग 10 जून को व्रत रख रहे वे 11 जून को पारण कर सकते हैं.
निर्जला एकादशी पूजा विधि (Nirjala Ekadashi Puja Vidhi)
निर्जला एकादशी व्रत में क्या न करें?
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व (Significance of Nirjala Ekadashi)पौराणिक कथा है कि भीम की भूख अत्यंत तीव्र थी वे भूखा नहीं रह सकते थे इसके कारण कभी व्रत नहीं रखते थे. तब वेद व्यास जी ने उनको बताया था कि वर्ष में सिर्फ एक निर्जला एकादशी व्रत रखने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाएगा. निर्जला एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी व्रत विधिपूर्वक संपन्न करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और मृत्यु के बाद भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ में स्थान मिलता है.
Nirjala Ekadashi 2022 Date: इस बार एकादशी तिथि दो दिन पड़ने से लाेग संशय में हैं कि निर्जला एकादशी व्रत 10 जून यानी आज रखें या कल. आप भी ऐसा सोच रहे तो जान लें कि इस बार निर्जला एकादशी व्रत 11 जून को रखा जाएगा. पूरे वर्ष में 24 एकादशी तिथि (Nirjala Ekadashi Tithi) होती है. इनमें से सभी एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi Vart) व्रत रखा जाता है.
निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है?मान्यता है क निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है. ये व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है. इस व्रत को रखने से मनुष्य के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं. इस व्रत का विशेष पुण्य शास्त्रों में बताया गया है. यही कारण है कि लोग इस एकादशी का वर्षभर इंतजार करते हैं.
निर्जला एकादशी व्रत का पारण कब है? (Nirjala Ekadashi 2022 Vrat Paran)निर्जला एकादशी व्रत में पारण का उतना ही महत्व है जितना की व्रत पूजा का. मान्यता है कि एकादशी व्रत का पारण यदि विधि पूर्वक न किया जाए तो इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी की तिथि को किया जाता है. इसमें शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है.
निर्जला एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त, पारण का समय (Nirjala Ekadashi 2022 Puja Shubh Muhurat Paran Time)ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का प्रारंभ: 10 जून, शुक्रवार, सुबह 07:25 बजे से.
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का समापन: 11 जून, शनिवार, सुबह 05:45 बजे.
वरीयान योग: प्रात:काल से रात 11:36 बजे तक.
रवि योग: प्रात: 05:23 बजे से अगले दिन 11 जून, शनिवार, सुबह 03:37 बजे तक.
दिन का शुभ समय: 11:53 बजे से लेकर दोपहर 12:48 बजे तक.
निर्जला एकादशी व्रत का पारण समय: 11 जून, शनिवार, दोपहर 01:44 बजे से शाम 04:32 बजे तक.
उदया तिथि के कारण दोनों ही दिन यानी 10 और 11 जून को व्रत रखा जा सकता है. लेकिन 11 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखना और 12 जून को पारण करना ज्यादा शुभ माना जा रहा है. वहीं जो लोग 10 जून को व्रत रख रहे वे 11 जून को पारण कर सकते हैं.
निर्जला एकादशी पूजा विधि (Nirjala Ekadashi Puja Vidhi)
- निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए.
- सबसे पहले घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करनी चाहिए.
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करने के बाद फूल और तुलसी पत्र चढ़ाना चाहिए.
- भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए
- इसके बाद आरती करनी चाहिए और निर्जला एकादशी व्रत कथा पढ़नी या चुननी चाहिए.
- इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए.
निर्जला एकादशी व्रत में क्या न करें?
- मांस, मदिरा, तामसिक भोज्य पदार्थों का सेवन न करे.
- निर्जला एकादशी व्रत में पानी तक पीना वर्जित होता है.
- यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो निर्जला एकादशी व्रत न करें, क्योंकि यह बहुत ही कठिन व्रत है.
- निर्जला एकादशी के दिन मन में किसी के प्रति द्वेष, घृणा, क्रोध न रखें.
- व्रत के दिन काम, मोह, लालच जैसी बुरी आदतों से दूर रहें.
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व (Significance of Nirjala Ekadashi)पौराणिक कथा है कि भीम की भूख अत्यंत तीव्र थी वे भूखा नहीं रह सकते थे इसके कारण कभी व्रत नहीं रखते थे. तब वेद व्यास जी ने उनको बताया था कि वर्ष में सिर्फ एक निर्जला एकादशी व्रत रखने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाएगा. निर्जला एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी व्रत विधिपूर्वक संपन्न करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और मृत्यु के बाद भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ में स्थान मिलता है.