देश / लिंचिंग में शामिल लोग हिंदुत्व के खिलाफ: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा गाज़ियाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा है, "अलग-अलग धर्म होने के बावजूद सभी भारतीयों का डीएनए एकसमान है।" उन्होंने कहा, "हिंदू-मुस्लिम एकता भ्रामक है क्योंकि वे अलग नहीं बल्कि एक हैं...पूजा के तरीके के आधार पर लोगों में अंतर नहीं किया जा सकता...लिंचिंग में शामिल लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं।"

Vikrant Shekhawat : Jul 05, 2021, 07:38 AM
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी हैं। उन्होंने राजनीति को एकता खत्म करने का हथियार बताते हुए कहा कि भारत में रहने वाले सभी लोगों का डीएनए एक है, भले ही वे किसी भी धर्म के हों और मुसलमानों को ''डर के इस चक्र'' में नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग कहते हैं कि मुसलमान इस देश में नहीं रह सकते, वे हिंदू नहीं हैं।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम एकता भ्रामक है क्योंकि वे अलग-अलग नहीं, बल्कि एक हैं। पूजा करने के तरीके के आधार पर लोगों में भेद नहीं किया जा सकता। वह राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा गाजियाबाद में 'हिन्दुस्तानी प्रथम, हिन्दुस्तान प्रथम' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। 

मोहन भागवत ने कहा, ''ऐसे कुछ काम हैं, जो राजनीति नहीं कर सकती है। राजनीति लोगों को एक नहीं कर सकती है, राजनीति लोगों को एक करने का उपकरण नहीं बन सकती है, लेकिन एकता खत्म करने का हथियार बन सकती है।'' उन्होंने कहा कि देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं। एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों की महिमा होनी चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने लिंचिंग (पीटकर मार डालने) की घटनाओं में शामिल लोगों पर हमला बोलते हुए कहा, ''वे हिन्दुत्व के खिलाफ हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि लोगों के खिलाफ लिंचिंग के कुछ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं। भागवत ने कहा, ''भय के इस चक्र में न फंसें कि भारत में इस्लाम खतरे में है।''

भागवत ने कहा कि देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं है। आरएसएस प्रमुख ने जोर देकर कहा कि एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों का गौरव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष का एकमात्र समाधान 'संवाद है, न कि 'विसंवाद।' भागवत ने कहा, ''हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात भ्रामक है क्योंकि वे अलग नहीं, बल्कि एक हैं। सभी भारतीयों का डीएनए एक है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों।''

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ''हम एक लोकतंत्र में हैं। यहां हिन्दुओं या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता। यहां केवल भारतीयों का वर्चस्व हो सकता है।'' भागवत ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि वह न तो कोई छवि बनाने के लिए कार्यक्रम में शामिल हुए हैं और न ही वोट बैंक की राजनीति के लिए। उन्होंने कहा कि संघ न तो राजनीति में है और न ही यह कोई छवि बनाए रखने की चिंता करता है। आरएसएस प्रमुख ने कहा, ''यह (संघ) राष्ट्र को सशक्त बनाने और समाज में सभी लोगों के कल्याण के लिए अपना कार्य जारी रखता है।''