Rajasthan News / लोगों के बीच हिंदू किस तरह से रहते हैं? राजस्थान में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बताया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने बारां, राजस्थान में 'स्वयंसेवक एकीकरण' कार्यक्रम में हिंदू समाज को एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हिंदू सद्भावना से रहते हैं और समाज को भाषा, जाति और क्षेत्रीय मतभेदों से ऊपर उठकर अपनी सुरक्षा के लिए संगठित होना चाहिए।

Vikrant Shekhawat : Oct 06, 2024, 05:00 PM
Rajasthan News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने राजस्थान के बारां में आयोजित 'स्वयंसेवक एकीकरण' कार्यक्रम में हिंदू समाज की एकजुटता और संवाद के महत्व पर जोर दिया। अपने संबोधन में उन्होंने हिंदू समाज की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए इसे सद्भावना और समर्पण से परिपूर्ण बताया। भागवत ने स्पष्ट किया कि हिंदू समाज का आधार सभी को अपनाने और निरंतर संवाद के माध्यम से रहने में निहित है। उनका कहना था कि यह समाज प्राचीन काल से अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखता आया है, भले ही "हिंदू" शब्द बाद में आया हो।

हिंदू समाज की सुरक्षा और एकजुटता पर जोर

भागवत ने अपने भाषण में यह बात प्रमुखता से रखी कि हिंदू समाज को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भाषा, जाति और क्षेत्रीय विवादों के मतभेदों को समाप्त करके समाज को एकजुट होना चाहिए। इसके लिए आचरण में अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्यों के प्रति समर्पण जैसे गुणों की आवश्यकता है।

उन्होंने जोर दिया कि हिंदू समाज को किसी भी तरह की बाहरी चुनौतियों से निपटने के लिए एक मजबूत और एकजुट समाज बनना होगा। भागवत ने कहा, "हमें समाज को कमजोर करने वाले सभी प्रकार के आंतरिक मतभेदों को दूर करके, अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना चाहिए।"

समाज के निर्माण में परिवारों की भूमिका से आगे की सोच

मोहन भागवत ने यह भी कहा कि समाज केवल व्यक्तियों और उनके परिवारों से नहीं बनता है, बल्कि उन व्यापक चिंताओं पर आधारित होता है जिनसे व्यक्ति आध्यात्मिक पूर्णता की ओर अग्रसर हो सकता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि समाज को उसकी पूरी क्षमता तक पहुंचाने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर सभी को मिलकर काम करना चाहिए।

भागवत का कहना था कि समाज का निर्माण केवल भौतिक तत्वों से नहीं होता, बल्कि उसके पीछे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की एक मजबूत नींव होती है, जिसके माध्यम से समाज समग्र रूप से विकास कर सकता है।

RSS की अद्वितीय कार्यप्रणाली और सामाजिक भूमिका

भागवत ने RSS को एक अद्वितीय संगठन बताते हुए कहा कि यह केवल एक यांत्रिक संगठन नहीं है, बल्कि विचारधारा और मूल्यों पर आधारित है। संघ की कार्यप्रणाली उसके समूह के नेताओं से लेकर स्वयंसेवकों, उनके परिवारों और बड़े पैमाने पर समाज तक फैलती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वयंसेवकों को हमेशा समुदायों के बीच संपर्क बनाए रखना चाहिए और समाज को सशक्त बनाने के प्रयासों में निरंतर लगे रहना चाहिए।

भागवत ने कहा कि RSS का उद्देश्य समाज में मौजूद कमजोरियों को दूर करना है। इसके लिए सामाजिक संपर्क और सामुदायिक कमियों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

सामाजिक न्याय, स्वास्थ्य, और शिक्षा पर फोकस

समाज में सुधार और विकास के लिए भागवत ने सामाजिक सद्भाव, न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्वयंसेवकों को आह्वान किया कि वे अपने परिवारों और समाज के बीच स्वदेशी मूल्यों, पर्यावरणीय चेतना, और नागरिकता के प्रति जागरूकता को बढ़ावा दें।

भागवत ने यह भी कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा इसकी ताकत और एकता से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि देश के प्रवासियों की सुरक्षा और सम्मान तभी सुनिश्चित हो सकता है जब राष्ट्र मजबूत और एकजुट हो।

स्वयंसेवकों की बड़ी संख्या में उपस्थिति

इस कार्यक्रम में 3,827 स्वयंसेवकों ने भाग लिया, जो RSS की शक्ति और उसकी विचारधारा के प्रति समर्पण का प्रतीक था। इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी रमेश अग्रवाल, जगदीश सिंह राणा, रमेश चंद मेहता और वैद्य राधेश्याम गर्ग भी उपस्थित थे, जिन्होंने कार्यक्रम में भाग लेकर स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन किया।

निष्कर्ष

मोहन भागवत के इस संबोधन ने स्पष्ट रूप से हिंदू समाज की एकता, सुरक्षा, और सामाजिक जिम्मेदारियों पर जोर दिया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को एकजुट होने और समाज में मौजूद चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। RSS के इस कार्यक्रम ने न केवल संगठन की विचारधारा को मजबूती से प्रस्तुत किया, बल्कि समाज में एकजुटता और सुधार के लिए एक नया संदेश भी दिया।