Vikrant Shekhawat : Sep 06, 2024, 09:31 AM
Mohan Bhagwat: 5 सितंबर को मणिपुर में शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने वाले शंकर दिनकर काणे (भैयाजी) का शताब्दी वर्ष मनाया गया। इस विशेष अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने उनकी शिक्षा और समाज सेवा के कार्यों की सराहना की। भागवत ने मणिपुर की वर्तमान चुनौतीपूर्ण स्थिति पर प्रकाश डाला, जहां सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है और सामाजिक अशांति का माहौल है।भागवत ने कहा, "शंकर दिनकर काणे ने 1971 तक बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया और उन्हें महाराष्ट्र लाकर उनकी शिक्षा और रहने की व्यवस्था की। मणिपुर में कठिन परिस्थितियों के बावजूद, संघ के स्वयंसेवक संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में मजबूती से डटे हैं और शांति बहाल करने का प्रयास कर रहे हैं।"मणिपुर में जातीय संघर्ष के बीच, भागवत ने संघ के स्वयंसेवकों की निष्ठा और उनके काम को भी सराहा। उन्होंने कहा कि संघ न केवल स्थिति को सामान्य बनाने के लिए काम कर रहा है, बल्कि दोनों जातियों के बीच द्वेष और क्रोध को कम करने के लिए भी प्रयासरत है।भागवत ने इस अवसर पर शंकर दिनकर काणे के काम की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी मेहनत और तपस्या के कारण ही पूर्वांचल क्षेत्र में समय के साथ सकारात्मक बदलाव आया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रभावशाली देश बनाने की दिशा में काणे जैसे लोगों की निरंतर कोशिशें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।आरएसएस प्रमुख ने भारत के भविष्य के संदर्भ में कहा कि देश को अपने सपनों को साकार करने के लिए अभी दो और पीढ़ियों की मेहनत की आवश्यकता होगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की प्रगति में रुकावट डालने वालों से निपटते हुए हमें अपने उद्देश्यों की ओर आगे बढ़ना होगा।