Vikrant Shekhawat : Jul 29, 2021, 06:10 PM
Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra modi) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( National Education Policy) 2020 के तहत सुधारों के एक साल पूरे होने के अवसर पर कहा कि शिक्षा नीति को हर तरह के दबाव से मुक्त रखा गया है। जो खुलापन नीति के स्तर पर है, वही खुलापन छात्रों को मिल रहे विकल्पों में भी है। अब छात्र कितना पढ़ें, कितने समय तक पढ़ें, ये सिर्फ संस्थाएं तय नहीं करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों में हिंदी समेत 5 भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं।
पीएम मोदी ने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक साल पूरा होने पर सभी देशवासियों और सभी विद्यार्थियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। इससे पहले उन्होंने शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई पहल (Initiatives) की भी शुरुआत की। बीते एक साल में देश के आप सभी महानुभावों, शिक्षको, प्रधानाचार्यों, नीतिकारों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में बहुत मेहनत की है। उन्होंने कहा कि ये महत्वपूर्ण अवसर ऐसे समय में आया है, जब देश आजादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इंप्लीमेंटेशन आजादी के अमृत महोत्सव का प्रमुख हिस्सा बन गया है।पीएम मोदी ने शिक्षा की महत्ता को लेकर कहा कि भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानि आज कैसी शिक्षा दे रहे है, कैसी दिशा दे रहे हैं। मैं मानता हूं भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़े फैक्टर्स में से एक है।आज के युवाओं की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का आज का युवा अपनी व्यवस्थाएं, अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है। इसलिए, उसे एक्सपोजर चाहिए, उसे पुराने बंधनों, पिंजरों से मुक्ति चाहिए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ युवाओं को ये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है। जिस आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के प्रोग्राम को अभी लॉन्च किया गया है, वो भी हमारे युवाओं को फ्यूचर ओरिएंटेड बनाएगा, AI ड्राइवन इकोनॉमी के रास्ते खोलेगा।उन्होंने कहा कि हमने-आपने दशकों से ये माहौल देखा है जब समझा जाता था कि अच्छी पढ़ाई करने के लिए विदेश ही जाना होगा। लेकिन अच्छी पढ़ाई के लिए विदेश से स्टूडेंट्स भारत आएं, बेस्ट संस्थाएं भारत आएं, ये अब हम देखने जा रहे हैं।राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हर तरह के दबाव से मुक्त रखा गया है। जो खुलापन नीति के स्तर पर है, वही खुलापन छात्रों को मिल रहे विकल्पों में भी है। अब छात्र कितना पढ़ें, कितने समय तक पढ़ें, ये सिर्फ संस्थाएं तय नहीं करेंगी, इसमें छात्रों की भी सहभागिता होगी।पीएम मोदी ने कहा कि आज बन रही संभावनाओं को साकार करने के लिए हमारे युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे होना पड़ेगा, एक कदम आगे का सोचना होगा। हेल्थ हो, डिफेंस हो, इंफ्रास्ट्रक्चर हो, टेक्नालॉजी हो, देश को हर दिशा में समर्थ और आत्मनिर्भर होना होगा।इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब देशी भाषाओं में शुरू किए जाने की बात करते उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज, 5 भारतीय भाषाओं-हिंदी-तमिल, तेलुगू, मराठी और बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। इंजीनिरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल भी डेवलप किया जा चुका है।उन्होंने कहा कि भारतीय साइन लैंग्वेज को पहली बार एक भाषा विषय यानि एक विषय का दर्जा प्रदान किया गया है। अब छात्र इसे एक भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। इससे भारतीय साइन लैंग्वेज को बहुत बढ़ावा मिलेगा, हमारे दिव्यांग साथियों को बहुत मदद मिलेगी।प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का भी शुभारंभ किया जो उच्च शिक्षा में छात्रों के लिए कई प्रवेश और निकास का विकल्प प्रदान करेगा। इसके साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम और उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए दिशा-निर्देश भी जारी करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की जाने वाली पहलों में ग्रेड 1 के छात्रों के लिए तीन महीने का नाटक आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल विद्या प्रवेश, माध्यमिक स्तर पर एक विषय के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा; एनआईएसएचटीएचए 2।0, एनसीआरटी द्वारा डिजाइन किया गया शिक्षक प्रशिक्षण का एक एकीकृत कार्यक्रम; सफल (सीखने के स्तर के विश्लेषण के लिए संरचित मूल्यांकन), सीबीएसई स्कूलों में ग्रेड 3, 5 और 8 के लिए एक योग्यता आधारित मूल्यांकन ढांचा और एक वेबसाइट जो पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समर्पित होगा, शामिल हैं।
इसके अलावा, यह कार्यक्रम राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा ढांचे (एनडीईएआर) और राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी फोरम (एनईटीएफ) के शुभारंभ का भी साक्षी बनेगा।
पीएम मोदी ने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक साल पूरा होने पर सभी देशवासियों और सभी विद्यार्थियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। इससे पहले उन्होंने शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई पहल (Initiatives) की भी शुरुआत की। बीते एक साल में देश के आप सभी महानुभावों, शिक्षको, प्रधानाचार्यों, नीतिकारों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में बहुत मेहनत की है। उन्होंने कहा कि ये महत्वपूर्ण अवसर ऐसे समय में आया है, जब देश आजादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इंप्लीमेंटेशन आजादी के अमृत महोत्सव का प्रमुख हिस्सा बन गया है।पीएम मोदी ने शिक्षा की महत्ता को लेकर कहा कि भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानि आज कैसी शिक्षा दे रहे है, कैसी दिशा दे रहे हैं। मैं मानता हूं भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़े फैक्टर्स में से एक है।आज के युवाओं की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का आज का युवा अपनी व्यवस्थाएं, अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है। इसलिए, उसे एक्सपोजर चाहिए, उसे पुराने बंधनों, पिंजरों से मुक्ति चाहिए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ युवाओं को ये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है। जिस आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के प्रोग्राम को अभी लॉन्च किया गया है, वो भी हमारे युवाओं को फ्यूचर ओरिएंटेड बनाएगा, AI ड्राइवन इकोनॉमी के रास्ते खोलेगा।उन्होंने कहा कि हमने-आपने दशकों से ये माहौल देखा है जब समझा जाता था कि अच्छी पढ़ाई करने के लिए विदेश ही जाना होगा। लेकिन अच्छी पढ़ाई के लिए विदेश से स्टूडेंट्स भारत आएं, बेस्ट संस्थाएं भारत आएं, ये अब हम देखने जा रहे हैं।राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हर तरह के दबाव से मुक्त रखा गया है। जो खुलापन नीति के स्तर पर है, वही खुलापन छात्रों को मिल रहे विकल्पों में भी है। अब छात्र कितना पढ़ें, कितने समय तक पढ़ें, ये सिर्फ संस्थाएं तय नहीं करेंगी, इसमें छात्रों की भी सहभागिता होगी।पीएम मोदी ने कहा कि आज बन रही संभावनाओं को साकार करने के लिए हमारे युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे होना पड़ेगा, एक कदम आगे का सोचना होगा। हेल्थ हो, डिफेंस हो, इंफ्रास्ट्रक्चर हो, टेक्नालॉजी हो, देश को हर दिशा में समर्थ और आत्मनिर्भर होना होगा।इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब देशी भाषाओं में शुरू किए जाने की बात करते उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज, 5 भारतीय भाषाओं-हिंदी-तमिल, तेलुगू, मराठी और बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। इंजीनिरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल भी डेवलप किया जा चुका है।उन्होंने कहा कि भारतीय साइन लैंग्वेज को पहली बार एक भाषा विषय यानि एक विषय का दर्जा प्रदान किया गया है। अब छात्र इसे एक भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। इससे भारतीय साइन लैंग्वेज को बहुत बढ़ावा मिलेगा, हमारे दिव्यांग साथियों को बहुत मदद मिलेगी।प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का भी शुभारंभ किया जो उच्च शिक्षा में छात्रों के लिए कई प्रवेश और निकास का विकल्प प्रदान करेगा। इसके साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम और उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए दिशा-निर्देश भी जारी करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की जाने वाली पहलों में ग्रेड 1 के छात्रों के लिए तीन महीने का नाटक आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल विद्या प्रवेश, माध्यमिक स्तर पर एक विषय के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा; एनआईएसएचटीएचए 2।0, एनसीआरटी द्वारा डिजाइन किया गया शिक्षक प्रशिक्षण का एक एकीकृत कार्यक्रम; सफल (सीखने के स्तर के विश्लेषण के लिए संरचित मूल्यांकन), सीबीएसई स्कूलों में ग्रेड 3, 5 और 8 के लिए एक योग्यता आधारित मूल्यांकन ढांचा और एक वेबसाइट जो पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समर्पित होगा, शामिल हैं।
इसके अलावा, यह कार्यक्रम राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा ढांचे (एनडीईएआर) और राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी फोरम (एनईटीएफ) के शुभारंभ का भी साक्षी बनेगा।