US Election 2024: पेंसिल्वेनिया में एक बार फिर मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों और कानूनी कार्रवाइयों ने 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की निष्पक्षता पर गंभीर चिंताएं बढ़ा दी हैं। पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में वहां के चुनावी प्रक्रिया पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। डेमोक्रेटिक रणनीतिकारों का मानना है कि ट्रंप द्वारा झूठे दावों और मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों का मकसद चुनाव परिणाम को प्रभावित करना है।
कड़ी प्रतिस्पर्धा में ट्रंप और कमला हैरिस
राष्ट्रपति चुनाव से ठीक चार दिन पहले हुए जनमत सर्वेक्षणों के अनुसार, ट्रम्प वर्तमान डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा में हैं। पेंसिल्वेनिया समेत सात महत्वपूर्ण राज्यों में विभाजन की स्थिति को देखते हुए चुनाव परिणाम किसी भी ओर झुक सकते हैं, जिससे 2024 का यह चुनाव अत्यधिक संवेदनशील बन गया है।
2020 की यादें: जब धोखाधड़ी के आरोप बने विवाद का कारण
2020 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप ने हार के बाद बड़े पैमाने पर मतदाता धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। उनका दावा था कि डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जो बाइडेन की जीत व्यापक धांधली का नतीजा थी। इन्हीं आरोपों ने 6 जनवरी, 2021 को यूएस कैपिटल पर हिंसा को जन्म दिया, जब ट्रंप समर्थकों की एक भीड़ ने कांग्रेस द्वारा चुनावी वोटों की गिनती रोकने के उद्देश्य से हमला कर दिया था। पेंसिल्वेनिया के नीति रणनीतिकार काइल मिलर का कहना है कि "यह चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के प्रयासों का एक दोबारा बीजारोपण है।"
पेंसिल्वेनिया में फिर से उठे मतदाता धोखाधड़ी के मुद्दे
31 अक्टूबर को ट्रंप ने एक बार फिर मतदाता धोखाधड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संदिग्ध मतदाता पंजीकरण फॉर्म की जांच उनके आरोप का सबूत है। जब इस सप्ताह मेल-इन मतपत्र प्राप्त करने के लिए लंबी कतारें देखी गईं, तो उनके कुछ समर्थकों ने इसे मतदाताओं के दमन का प्रयास बताया। हालांकि, राज्य के अधिकारी और लोकतंत्र समर्थक समूह इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ये घटनाएं चुनावी प्रणाली की पारदर्शिता को साबित करती हैं, न कि मतदाता दमन को।
ट्रंप अभियान द्वारा दायर मुकदमा और न्यायिक हस्तक्षेप
ट्रम्प के अभियान द्वारा पेंसिल्वेनिया में मतदाता धोखाधड़ी के दावे को लेकर एक मुकदमा दायर किया गया, जिसके बाद फिलाडेल्फिया के उत्तर में बक्स काउंटी में मेल-इन मतपत्र की समय सीमा तीन दिन बढ़ा दी गई। ट्रंप के अभियान का आरोप है कि कुछ मतदाताओं को समय सीमा से पहले ही हटाया गया था। इसके बाद स्थानीय चुनाव अधिकारियों ने लैंकेस्टर और यॉर्क काउंटियों में संभावित संदिग्ध पंजीकरणों की जांच शुरू की। हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इन पंजीकरणों ने अवैध वोटिंग को प्रभावित किया है।
मतदाता प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल
2024 के चुनाव से पहले ट्रंप के आरोप और कानूनी कार्रवाइयां अमेरिकी मतदाता प्रणाली की निष्पक्षता पर प्रश्न खड़े कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ऐसे आरोप और मुकदमे जारी रहते हैं, तो यह भविष्य के चुनावों के लिए भी एक चिंताजनक संकेत हो सकता है। चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बनाए रखना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, और यह तब तक संभव नहीं होगा जब तक सभी दल चुनावी नतीजों को बिना किसी अविश्वास के स्वीकार नहीं करते।
निष्कर्ष
पेंसिल्वेनिया में उठे मतदाता धोखाधड़ी के आरोप और उनके लिए किए गए कानूनी संघर्ष, चुनाव प्रक्रिया को चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं। ट्रंप द्वारा लगाए गए इन आरोपों का उद्देश्य अब लोकतंत्र की स्थिरता पर गहराई से सवाल खड़ा कर रहा है। ऐसे में अमेरिकी चुनाव प्रणाली की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बरकरार रखने के लिए देश के नेताओं और प्रशासन को विशेष सावधानी बरतनी होगी।