देश / कांग्रेस में सोनिया और राहुल के खिलाफ खुला विद्रोह? 'जी -23' नेता आजाद के समर्थन में आये

पिछले साल अगस्त में, जी -23 समूह के कुछ नेता जिन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की है, वे एक बार फिर जम्मू में इकट्ठा हुए हैं। शनिवार को आयोजित शांति सम्मेलन में पार्टी के गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल समेत कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस पर अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की। खास बात यह है कि पिछले साल इन नेताओं ने पार्टी नेतृत्व से तत्काल फैसले लेने और संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी

Vikrant Shekhawat : Feb 27, 2021, 05:40 PM
जम्मू। पिछले साल अगस्त में, जी -23 समूह के कुछ नेता जिन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की है, वे एक बार फिर जम्मू में इकट्ठा हुए हैं। शनिवार को आयोजित शांति सम्मेलन में पार्टी के गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल समेत कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस पर अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की। खास बात यह है कि पिछले साल इन नेताओं ने पार्टी नेतृत्व से तत्काल फैसले लेने और संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी। वहीं, सूत्रों का कहना है कि इस कार्यक्रम में शामिल लोग राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुए आजाद के व्यवहार से नाराज हैं।

आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, विवेक तन्खा और राज बब्बर जैसे कई कांग्रेस दिग्गज जम्मू में आयोजित शांति सम्मेलन में शामिल हुए। शर्मा ने खुले शब्दों में कहा है कि कोई भी हमें यह नहीं बता सकता है कि हम कांग्रेसी हैं या नहीं। उन्होंने कहा, 'जो लोग कांग्रेस में हैं, वे महात्मा गांधी की सोच को स्वीकार करते हैं, सच कहने की हिम्मत नहीं है, यह कैसे हो सकता है?'

उन्होंने कहा, 'पिछले एक दशक में कांग्रेस कमजोर हुई है, हम कांग्रेस को कमजोर नहीं देखना चाहते क्योंकि हम बड़े हो गए हैं, हममें से कोई भी ऊपर से नहीं आया, खिड़की दरवाजे से नहीं आई - हम छात्र आंदोलन से आए थे, यह अधिकार हमने किसी को यह बताने के लिए नहीं दिया कि हम कांग्रेसी हैं या नहीं।

ऐसा माना जाता है कि कार्यक्रम में भाग लेने वाले नेता गुलाम नबी आज़ाद के इलाज से नाराज़ हैं। वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल ने कहा, 'मुझे समझ नहीं आता कि कांग्रेस पार्टी गुलाम अली आजाद के अनुभव का उपयोग क्यों नहीं कर रही है।' वहीं, तिवारी ने बताया कि वे सभी ग्लोबल फैमिली के बुलावे पर यहां जम्मू में एकत्रित हुए हैं। अभिनेता से राजनेता बने राज बब्बर ने कहा, "लोग कहते हैं जी -23, मैं कहता हूं कि गांधी 23, जी -23 कांग्रेस का भला चाहते हैं, आजाद साहब की यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है, इसका आधा भी काम नहीं हुआ है।"

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "आज, कई वर्षों के बाद हम राज्य का हिस्सा नहीं हैं, हमारी पहचान खत्म हो गई है। राज्य की स्थिति फिर से हासिल करने के लिए हमारी संसद के अंदर और बाहर लड़ाई जारी रहेगी।" जब यहां चुना जाएगा तो मंत्री और मुख्यमंत्री बेरोजगार नहीं होंगे, बेरोजगारी, सड़कों और स्कूलों की यह स्थिति जारी रहेगी। "आजाद ने कहा," मैं राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुआ हूं, मैं राजनीति से सेवानिवृत्त नहीं हुआ हूं और मैं संसद से सेवानिवृत्त नहीं हुआ हूं। पहली बार।"

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, जी -23 समूह के एक नेता ने कहा "जब अन्य दल आज़ाद को सीटें दे रहे हैं, तो प्रधानमंत्री ने उनके बारे में इतना अच्छा कहा।" हमारी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व ने उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया। खास बात यह है कि पार्टी ने कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर मल्लिकार्जुन खड़गे को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। पार्टी नेतृत्व के इस फैसले के कारण जी -23 नेताओं की नाराजगी बढ़ गई है।