दुनिया / असम में अफ्रीकन स्‍वाइन फीवर का प्रकोप, 2800 सूअर मरे, वायरस के चीन से आने का संदेह

कोरोना वायरस के साथ पूर्वोत्‍तर राज्‍य असम अब एक और समस्या अफ्रीकन स्‍वाइन फीवर से निपटने की तैयारी में जुटा हुआ है। यह राज्‍य ASF का केंद्रबिंदु बन गया है और फरवरी माह से इस वायरस के काण राज्‍य में करीब 2800 सूअर की मौत हो चुकी है। यह वायरस इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित सूअरों की मृत्युदर 100 प्रतिशत है।

NDTV : May 05, 2020, 10:50 AM
गुवाहाटी: कोरोना वायरस के साथ पूर्वोत्‍तर राज्‍य असम अब एक और समस्या अफ्रीकन स्‍वाइन फीवर (ASF) से निपटने की तैयारी में जुटा हुआ है। यह राज्‍य ASF का केंद्रबिंदु बन गया है और फरवरी माह से इस वायरस के काण राज्‍य में करीब 2800 सूअर की मौत हो चुकी है। यह वायरस इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित सूअरों की मृत्युदर 100 प्रतिशत है। असम का दावा है कि वायरस भी नोवल कोरोना वायरस की तरह ही चीन से आया है। ASF के कारण चीन में 2018 और 2020 के बीच करीब 60 प्रतिशत सुअरों की मौत हो गई थी।

मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पशु चिकित्सा और वन विभाग को अफ्रीकन स्‍वाइन फीवर से राज्य के सूअरों को बचाने के लिए एक व्यापक रोडमैप बनाने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्‍चरल रिसर्च (ICAR) के नेशनल पिग रिसर्च सेंटर के साथ काम करने के लिए कहा है। राज्य के पशुपालन मंत्री अतुल बोरा ने एक विशेष इंटरव्‍यू में NDTV से कहा, स्थिति "चिंताजनक" है। राज्य ने तय किया है कि यह संक्रमित सूअरों को नहीं मारेगा बल्कि "जैवसुरक्षा उपायों को लागू करेगा जो लॉकडाउन के अनुरूप हैं।

ASF के प्रकोप के बाद, एक विशेषज्ञ दल का गठन किया गया था। मुख्यमंत्री सोनोवाल ने सूअर उद्योग को इस हमले से बचाने के लिए वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने और नियंत्रित करने की आवश्यकता पर दोहराया था। सीएम ने आईसीएआर और क्षेत्रीय उद्यमिता प्रबंधन संस्थान (आरआईएलईएम) के डॉक्टरों के साथ बैठक की और समस्या को कम करने के लिए राज्य के बुखार और रणनीति की विस्तार से चर्चा की। बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री सोनोवाल ने पशु चिकित्सा और पशुपालन विभाग को इस वायरस के प्रकोप की रोकथाम के उपाय करने के लिए भी कहा। उन्होंने विभाग से सूअर पालन क्षेत्र में लगे लोगों की संख्या और उनकी वित्तीय देनदारी का पता लगाने के लिए भी कहा ताकि सरकार उन्हें दंड से बचाने के लिए बेलआउट पैकेज की घोषणा करने के लिए व्यावहारिक कदम उठा सके।

गौरतलब है कि अफ्रीकी स्वाइन फीवर का पहला मामला 1921 में केन्या और इथियोपिया में सामने आया था। राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD), भोपाल ने पुष्टि की है कि यह अफ्रीकी स्वाइन फ्लू है। विभाग द्वारा 2019 की जनगणना के अनुसार, असम की सूअरों की संख्‍या  आबादी 21 लाख थी जो हाल के दिनों में यह बढ़कर 30 लाख हो गई है।