देश / चीन-पाक मिलकर कर रहे भारत के खिलाफ साजिश, डोभाल ने 7 साल पहले किया था आगाह

लद्दाख के पैंगोग और गालवन को लेकर भारत और चीन के बीच संबध बेहद तनावपूर्ण हैं। सरकार जहां मिल्ट्री लेवल से लेकर डिप्लौमेटिक स्तर पर चीन से सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिशों में लगी हुई है वहीं चीन लगातार लाइन आफ एक्चुयल कंट्रोल पर अपने सैनिकों की संख्या में इजाफा कर रहा है। जाहिर है चीन की मंशा खतरनाक है और यही वजह है कि चीन के मामले पर नजर रखने वालों का मानना है।

Zee News : Jun 29, 2020, 01:38 PM
नई दिल्ली: लद्दाख के पैंगोग और गालवन को लेकर भारत और चीन के बीच संबध बेहद तनावपूर्ण हैं। सरकार जहां मिल्ट्री लेवल से लेकर डिप्लौमेटिक स्तर पर चीन से सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिशों में लगी हुई है वहीं चीन लगातार लाइन आफ एक्चुयल कंट्रोल (LAC) पर अपने सैनिकों की संख्या में इजाफा कर रहा है। जाहिर है चीन की मंशा खतरनाक है और यही वजह है कि चीन के मामले पर नजर रखने वालों का मानना है कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

ज़ी मीडिया के पास मौजूद जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने साल 2013 में ही ये अगाह किया था कि चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ जासूसी कर रहा है और नार्थ ईस्ट के उग्रवादी संगठनों को हथियारों की सप्लाई में लगा हुआ है। यही नहीं Chinese Intelligence : From a Party Outfit to Cyber Warriors नाम से लिखे लेख में पूर्व आईबी चीफ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बताया था कि कैसे चीन के भारत समेत दुनिया भर के देशों में जासूस फैले हुए हैं जो सुनियोजित तरीके से चीन के लिए जासूसी कर रहे हैं। जिस समय अजीत डोभाल ने ये लेख लिखा था उस दौरान वो दिल्ली के थिंक टैंक विवेकानंद इंटरनेशल फाउंडेशन से जुड़े हुए था और करीब एक साल बाद एनडीए सरकार में उन्हें एनएसए की जिम्मेदारी दी ।

अजीत डोभाल के मुताबिक चीन के खिलाफ जासूसी दलाईलामा के भारत आने के बाद से तेज कर दी थी और अक्साई चिन के इलाके में ल्हासा और जिनजियांग को जोड़ने वाली नेशनल हाईवे 219 पर सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया था। डोभाल के मुताबिक भारतीय खुफिया एजेंसियों ने उस दौरान चीन की गतिविधियों की जानकारी सरकार को मुहैया करानी शुरू कर दी थी लेकिन सरकार ने एजेंसियों की रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया। 21 नवंबर 1959 को करम सिंह जो कि इंटेलिजेंस ब्यूरो में डिप्टी सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी के पद पर तैनात थे उनकी चीनी सैनिकों से झड़प भी हुई थी जिसमें उनकी मौत हो गई थी।

अजीत डोभाल के मुताबिक जब साल 1959 में दलाईलामा अपने 80 हज़ार सैनिकों के साथ भारत में शरण ली तो उसके बाद से चीनी खुफिया एजेंसियां भारत में काफी सक्रिय हो गई। 2013 में हिमांचल प्रदेश के धर्मशाला से चीनी सेना के एक जासूस Pema Tsering को गिरफ्तार किया गया जो फेक आईडी कार्ड के जरिये अपनी पहचान छुपा कर दलाईलामा की जासूसी कर रहा था।

डोभाल ने ये भी बताया है कि चीन के जासूस भारत में पोलिटिकल इंटिलिजेंस,डिफेंस इंटेलिजेंस और नार्थ ईस्ट के उग्रवादी संगठनों से सांठगांठ कर भारत के खिलाफ साजिश में शामिल पाये गये हैं। 18 जनवरी 2011  को Wang Qing नाम की एक महिला चीनी जासूस को नागालैंड से गिरफ्तार किया गया था जिसने नागालैंड के उग्रवादी गुट T Muivah से सीक्रेट मीटिंग की थी। भारत ने इस मामले में चीन से अधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज कराया था।