मध्यप्रदेश / अगर कोई साथ में सेल्फी लेना चाहता है तो उसे पार्टी फंड में ₹100 देने चाहिए: एमपी की मंत्री

मध्य प्रदेश की मंत्री उषा ठाकुर ने कहा है, "सेल्फी लेने में बहुत समय बर्बाद होता है और अक्सर हम इसके चलते प्रोग्राम में कई घंटे लेट हो जाते हैं।" उन्होंने आगे कहा, "पार्टी के संगठनात्मक दृष्टिकोण से, अगर कोई भी शख्स मेरे साथ सेल्फी खींचता है तो उसे बीजेपी की स्थानीय इकाई में ₹100 जमा करने चाहिए।"

Vikrant Shekhawat : Jul 19, 2021, 08:03 AM
भोपाल: मध्यप्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर जहां जाती हैं, वहां उनके साथ सेल्फी लेने वाले लोगों की भीड़ जमा हो जाती है। इस चक्कर में उनका समय खराब हो जाता है। ऐसे में उन्होंने एक नया फरमान जारी किया है कि अगर मंत्री के साथ सेल्फी लेना है, तो 100 रुपये देने होंगे। 

खंडवा में मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि सेल्फी से समय बहुत खराब होता है। लोगों की भीड़ लग जाती है और कई बार इस चक्कर में हम लेट भी हो जाते हैं। उन्होंने कहा, संगठनात्मक दृष्टि से हमने विचार किया है कि हमारे यहां मंडल कार्यकारिणी है।

इसलिए संगठनात्मक दृष्टि से यह विचार किया गया है कि जो व्यक्ति सेल्फी लेना चाहेगा वह सौ रुपये का शुल्क हमारे मंडल कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष के पास जमा करा देगा और यह राशि संगठन के काम आ सकेगी।

बता दें कि पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर के खिलाफ करीब साढ़े पांच महीने पहले मामला दर्ज करने के लिए पुलिस को लिखित शिकायत करने वाले वन विभाग के उप रेंजर राम सुरेश दुबे को जाली दस्तावेज के आधार पर पदोन्नति पाने के आरोप में निलंबित किया गया था।

इंदौर वन मंडल अधिकारी नरेंद्र पाण्ड्या ने रविवार को बताया, कर्मचारी मुकेश यादव ने राम सुरेश दुबे के खिलाफ लिखित शिकायत की थी कि उसने (दुबे) जाली दस्तावेज पेश किए हैं और वन रक्षक से डिप्टी रेंजर के पद पर पदोन्नति पाई है। यह शिकायत कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान आई, इसलिए इस आरोप की जांच करने में समय लगा। ये आरोप सही पाए गए थे, जिसके बाद उसे दो दिन पहले निलंबित किया गया था।

कहा- शिकायत करने के बाद से पीछे पड़े हैं अधिकारी

इस बारे में संपर्क किए जाने पर दुबे ने बताया, जब से मैंने इस साल जनवरी में मध्यप्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर के खिलाफ शिकायत की है, तब से वरिष्ठ अधिकारी एवं स्थानीय नेता मेरे पीछे लगे हुए हैं। मेरे वरिष्ठ अधिकारी मेरी एक छोटी सी भी गलती तब से लगातार ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, मेरे क्षेत्राधिकार में आने वाली वन भूमि में कोई अतिक्रमण तो नहीं है, इसकी तलाश में भी टीमें आईं, लेकिन उन्हें कोई गड़बड़ी नहीं मिली। आखिर में उन्होंने मेरे एक सहकर्मी द्वारा मुझ पर लगाए गए जाली दस्तावेज के झूठे आरोप पर निलंबित कर दिया।