वैक्सीन / फाइज़र भारत में कोविड-19 वैक्सीन की मंज़ूरी पाने के अंतिम चरण में है: सीईओ

अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइज़र के सीईओ अल्बर्ट बुर्ला ने मंगलवार को कहा, "फाइज़र भारत में कोविड-19 वैक्सीन की मंज़ूरी पाने के अंतिम चरण में है...उम्मीद है बहुत जल्द हम सरकार के साथ समझौते को अंतिम रूप देंगे।" बायोएनटेक (जर्मनी) से पार्टनरशिप में वैक्सीन विकसित करने वाली फाइज़र ने mRNA तकनीक का इस्तेमाल किया जिसकी प्रभावकारिता दर 90% से अधिक है।

Vikrant Shekhawat : Jun 23, 2021, 09:06 AM
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में बहुत जल्द भारत को एक और हथियार मिलने जा रहा है. अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बौर्ला ने मंगलवार को कहा कि भारत में Pfizer कोविड-19 वैक्सीन की स्वीकृति पाने के लिए प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है. उन्होंने कहा कि मैं यह उम्मीद करता हूं कि बहुत जल्द हम सरकार के साथ अंतिम समझौते पर फैसला कर लेंगे.

गौरतलब है कि फिलहाल देश में तीन कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है. ये वैक्सीन हैं- कोविशील्ड, कोवैक्सीन, और स्पूतनिक-V. इधर, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भारत में जिन दो वैक्सीन- कोविशील्ड और कोवैक्सीन का वैक्सीनेशन कार्यक्रम में इस्तेमाल किया जा रहा है, वे दोनों ही डेल्टा वेरिएंट में प्रभावी हैं. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि लेकिन वे किस हद तक और किस अनुपात में एंटीबॉडी टाइटर्स का उत्पादन करते हैं, इसे हम जल्द ही आपके साथ साझा करेंगे.

केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि डेल्टा और डेल्टा प्लस- भारत समेत दुनिया के 80 देशों में मौजूद है. यह वेरिएंट ऑफ कंसर्न है.  डेल्टा प्लस 9 देशों में है, यूएस, यूके, स्विटजरलैंड, पोलैंड, जापान, पुर्तगाल, रूस, चाइना, नेपाल और भारत. भारत में 22 मामले डेल्टा प्लस के रत्नागिरि और जलगांव में 16 मामले, केरल और एमपी में बाकी 6 छिटपुट मामले आए हैं.  इन राज्यों को एडवाइज़री जारी की गई है कि किस तरह की कार्रवाई करनी है डेल्टा प्लस के लिए.

राजेश भूषण ने आगे कहा कि फिलहाल नंबर के हिसाब से बहुत छोटा है, लेकिन हम नहीं चाहते कि ये कोई बड़ा रूप ले. प्रोटोकॉल फॉलो हो रहा है. INSACOG की 28 लैब्स ने 45 हजार सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की है. जिनमें 22 मामले डेल्टा प्लस के सामने आए हैं.

उन्होंने कहा कि जीनोम सीक्वेंसिग का क्लीनिकल डाटा के साथ मिलान किया जाता है. INSACOG स्वास्थ्य मंत्रालय को जानकारी देता है जो राज्यों को समय समय पर राज्य सरकारों को बताता है कि क्या करना है. कोई भी वेरिंएट मास्क को पार नहीं कर पाता.