भारत-मध्य एशिया शिखर बैठक / पीएम मोदी 27 जनवरी को करेंगे मेजबानी, कई देशों के नेता भाग लेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-मध्य एशियाई देशों की पहली शिखर बैठक की मेजबानी करेंगे। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि यह बैठक वर्चुअल ढंग से 27 जनवरी को होगी। इस पहली शिखर बैठक में कजाख्स्तान, किरगिज रिपब्लिक, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान व उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शिरकत करेंगे। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि यह भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच नेताओं के स्तर पर अपनी तरह का पहला जुड़ाव होगा

Vikrant Shekhawat : Jan 19, 2022, 03:11 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-मध्य एशियाई देशों की पहली शिखर बैठक की मेजबानी करेंगे। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि यह बैठक वर्चुअल ढंग से 27 जनवरी को होगी। 

इस पहली शिखर बैठक में कजाख्स्तान, किरगिज रिपब्लिक, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान व उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शिरकत करेंगे। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि यह भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच नेताओं के स्तर पर अपनी तरह का पहला जुड़ाव होगा। मंत्रालय ने कहा, 'पहला भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के बढ़ते जुड़ाव का प्रतिबिंब है। ये देश भारत के विस्तारित पड़ोस का हिस्सा हैं। 

2015 में पीएम मोदी ने की थी यात्रा

प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में सभी मध्य एशियाई देशों की ऐतिहासिक यात्रा की थी। इसके बाद इन देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर उच्च स्तर पर आदान-प्रदान शुरू हुआ है। विदेश मंत्रियों के स्तर पर भारत-मध्य एशिया वार्ता की शुरुआत 18-20 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में हुई थी। इस बैठक ने भारत-मध्य एशिया संबंधों को गति प्रदान की है। इसके पहले 10 नवंबर, 2021 को नई दिल्ली में अफगानिस्तान पर आयोजित क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में मध्य एशियाई देशों के  राष्ट्रीय सुरक्षा सचिवों ने भागीदारी की थी। इसमें अफगानिस्तान पर एक सामान्य क्षेत्रीय दृष्टिकोण पर चर्चा हुई थी। 

मंत्रालय ने कहा कि पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के कदमों पर चर्चा होने की उम्मीद है। उनके साथ अन्य क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, विशेष रूप से उभरती क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान की संभावना है। बयान में कहा गया है कि यह शिखर सम्मेलन भारत और मध्य एशियाई देशों के नेताओं द्वारा व्यापक और स्थायी साझेदारी को दिए गए महत्व का प्रतीक है।