Vikrant Shekhawat : May 12, 2022, 03:39 PM
2019-21 में कराए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 के ताजा सर्वे में शौचालय को लेकर बड़ी बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि देश में अब भी 19 प्रतिशत परिवार किसी शौचालय सुविधा का उपयोग नहीं करते। सर्वे के आंकड़े इस वजह से चौंकाते हैं क्योंकि सरकार ने 2019 में ही भारत को खुले में शौच की प्रवृत्ति से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया था।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खुले में शौच के चलन में कमी आई है और 2015-16 में यह 39 फीसदी से कम होकर 2019-21 में 19 फीसदी हो गया है। शौचालयों तक पहुंच बिहार में सबसे कम (62 फीसदी), झारखंड में (70 फीसदी) और ओडिशा में (71 फीसदी) है।
एनएफएचएस-5 में पता चला कि 69 फीसदी परिवार उन्नत शौचालय सुविधा का इस्तेमाल करते हैं, जिसे अन्य परिवारों के साथ साझा नहीं किया जाता। वहीं, 8 फीसदी परिवार ऐसी सुविधा का इस्तेमाल करते हैं, जिसे यदि अन्य किसी से साझा नहीं किया जाए तो उसे उन्नत माना जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 19 फीसदी परिवारों के पास कोई सुविधा नहीं है, जिसका अर्थ हुआ कि परिवार के सदस्य खुले में शौच के लिए जाते हैं। इसमें कहा गया कि 83 परिवार शौचालय की सुविधा का उपयोग करते हैं। 69 फीसदी भारतीय परिवार उन्नत शौचालय सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें किसी के साथ साझा नहीं किया जाता और लोगों को हैजा, टाइफाइड और अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा कम रहता है।
सर्वे में पता चला कि शहरों में रहने वाले 11 फीसदी परिवार साझा शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि गांवों में सात प्रतिशत परिवार ऐसा करते हैं। रिपोर्ट में सुरक्षित पेयजल के बारे में कहा गया है कि 58 फीसदी परिवार पीने से पहले पानी का शोधन नहीं करते। इसमें कहा गया कि जल शोधन शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में कम प्रचलन में है। 66 फीसदी ग्रामीण परिवार पेयजल का शोधन नहीं करते। वहीं, 44 फीसदी शहरी परिवार ऐसा नहीं करते।
एनएफएचएस के अनुसार, पानी को पीने से पहले उबालना और कपड़े से छानना उसे शुद्ध करने के सबसे प्रचलित तरीके हैं। इसमें कहा गया है कि लगभग सभी शहरी परिवारों (99 फीसदी) और ग्रामीण परिवारों (95 फीसदी) की पहुंच पेयजल के उन्नत स्रोतों तक है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि भारत में 41 फीसदी परिवार खाना पकाने के लिए किसी तरह के ठोस ईंधन का इस्तेमाल करते हैं जिनमें लकड़ी या गोबर के कंडे शामिल हैं। एनएफएचएस-5 वर्ष 2019 से 2021 के बीच 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों में करीब 6.37 लाख नमूना परिवारों पर किया गया। इसमें 7,24,115 महिलाएं और 1,01,839 पुरुषों की भागीदारी रही।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खुले में शौच के चलन में कमी आई है और 2015-16 में यह 39 फीसदी से कम होकर 2019-21 में 19 फीसदी हो गया है। शौचालयों तक पहुंच बिहार में सबसे कम (62 फीसदी), झारखंड में (70 फीसदी) और ओडिशा में (71 फीसदी) है।
एनएफएचएस-5 में पता चला कि 69 फीसदी परिवार उन्नत शौचालय सुविधा का इस्तेमाल करते हैं, जिसे अन्य परिवारों के साथ साझा नहीं किया जाता। वहीं, 8 फीसदी परिवार ऐसी सुविधा का इस्तेमाल करते हैं, जिसे यदि अन्य किसी से साझा नहीं किया जाए तो उसे उन्नत माना जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 19 फीसदी परिवारों के पास कोई सुविधा नहीं है, जिसका अर्थ हुआ कि परिवार के सदस्य खुले में शौच के लिए जाते हैं। इसमें कहा गया कि 83 परिवार शौचालय की सुविधा का उपयोग करते हैं। 69 फीसदी भारतीय परिवार उन्नत शौचालय सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें किसी के साथ साझा नहीं किया जाता और लोगों को हैजा, टाइफाइड और अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा कम रहता है।
सर्वे में पता चला कि शहरों में रहने वाले 11 फीसदी परिवार साझा शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि गांवों में सात प्रतिशत परिवार ऐसा करते हैं। रिपोर्ट में सुरक्षित पेयजल के बारे में कहा गया है कि 58 फीसदी परिवार पीने से पहले पानी का शोधन नहीं करते। इसमें कहा गया कि जल शोधन शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में कम प्रचलन में है। 66 फीसदी ग्रामीण परिवार पेयजल का शोधन नहीं करते। वहीं, 44 फीसदी शहरी परिवार ऐसा नहीं करते।
एनएफएचएस के अनुसार, पानी को पीने से पहले उबालना और कपड़े से छानना उसे शुद्ध करने के सबसे प्रचलित तरीके हैं। इसमें कहा गया है कि लगभग सभी शहरी परिवारों (99 फीसदी) और ग्रामीण परिवारों (95 फीसदी) की पहुंच पेयजल के उन्नत स्रोतों तक है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि भारत में 41 फीसदी परिवार खाना पकाने के लिए किसी तरह के ठोस ईंधन का इस्तेमाल करते हैं जिनमें लकड़ी या गोबर के कंडे शामिल हैं। एनएफएचएस-5 वर्ष 2019 से 2021 के बीच 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों में करीब 6.37 लाख नमूना परिवारों पर किया गया। इसमें 7,24,115 महिलाएं और 1,01,839 पुरुषों की भागीदारी रही।