Mahakumbh 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को प्रयागराज महाकुंभ के अवसर पर संगम में पवित्र स्नान करेंगे। बुधवार को माघ महीने की अष्टमी तिथि के पुण्यकाल में वे त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर आध्यात्मिक अनुष्ठान संपन्न करेंगे। स्नान के उपरांत प्रधानमंत्री गंगा पूजन करेंगे और देशवासियों की कुशलता एवं समृद्धि की मंगलकामना करेंगे।
प्रधानमंत्री का महाकुंभ यात्रा कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगभग एक घंटे का कार्यक्रम तय किया गया है।
- सुबह 10 बजे: प्रधानमंत्री विशेष वायुयान से बमरौली एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे।
- हेलीपैड आगमन: इसके बाद सेना के तीन हेलीकॉप्टरों से अरैल स्थित डीपीएस मैदान के हेलीपैड पर उतरेंगे।
- संगम यात्रा: कार द्वारा वीआईपी जेटी पहुंचने के बाद, निषादराज क्रूज से संगम तट की ओर प्रस्थान करेंगे।
- पवित्र स्नान और पूजा: प्रधानमंत्री त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के बाद गंगा आरती करेंगे।
- संन्यासी समुदाय से भेंट: इस दौरान वे विभिन्न अखाड़ों, आचार्यवाड़ा, दंडीवाड़ा और खाकचौक के संतों व प्रतिनिधियों से संवाद करेंगे।
- वापसी: लगभग एक घंटे बाद प्रधानमंत्री प्रयागराज से प्रस्थान करेंगे।
महाकुंभ 2024 और पीएम मोदी की श्रद्धा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पूर्व 13 दिसंबर 2024 को संगम तट पर गंगा आरती और पूजन कर चुके हैं। उन्होंने इस महाआयोजन की सफलता के लिए मंगलकामना की थी। इससे पहले 2019 के कुंभ मेले में भी वे प्रयागराज पहुंचे थे और विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया था।
2019 कुंभ में स्वच्छता कर्मियों का सम्मान
2019 के कुंभ मेले के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छता कर्मियों के प्रति सम्मान दर्शाते हुए उनके पैर धोकर सामाजिक समरसता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया था। इस अप्रत्याशित सम्मान से स्वच्छता कर्मी भाव-विभोर हो गए थे और उनकी आँखों में कृतज्ञता के आंसू छलक आए थे। यह पल प्रधानमंत्री मोदी के जीवन के सबसे अविस्मरणीय क्षणों में से एक था।
महाकुंभ की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता
महाकुंभ का आयोजन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। यह आयोजन श्रद्धालुओं को आत्मशुद्धि, तप और धर्मपरायणता की प्रेरणा देता है। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से महाकुंभ 2024 को नई ऊर्जा और महत्व मिलेगा।
प्रधानमंत्री का यह दौरा न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और एकता का संदेश देने वाला ऐतिहासिक अवसर होगा।