Live Hindustan : Aug 06, 2020, 11:50 AM
Ram Mandir: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे मंदिर की नींव में सम्पूर्ण भारत के तीर्थस्थलों की पवित्र मिट्टी और नदियों का जल पड़ा है। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में मंदिर का भूमिपूजन किया गया। इसके लिए पाक अधिकृत कश्मीर के शारदा पीठ से भी मिट्टी लाई गई। भारत और पाकिस्तान की दुश्मनी के चलते यह इतना आसान नहीं था। पीओके में किसी भारतीय को जाने की इजाजत नहीं है। लेकिन राममंदिर के लिए शारदा पीठ की मिट्टी लाने का ये मिशन एक भारतवंशी दंपति ने ही पूरा किया वो भी चीन के पासपोर्ट पर। दंपति हांगकांग के रास्ते यह मिट्टी लेकर आया। यह दंपति मूल रूप से कर्नाटक का रहने वाला है। बजरंग बली हनुमान की जन्मस्थली भी कर्नाटक में ही है। बजरंग बली, राम-रावण युद्ध में लक्ष्मण के मूर्छित होने पर संजीवनी लाए थे। उसी कर्नाटक के वेंकटेश रमन और उनकी पत्नी पीओके से शारदा पीठ की मिट्टी राममंदिर के लिए ले आए। वे दोनों चीन में रहते हैं। सेवा शारदा पीठ ने उनसे सम्पर्क किया था। पीओके में भारतीयों के जाने पर पाबंदी के नाते वेंकटेश रमन और उनकी पत्नी को चीन के पासपोर्ट पर वहां भेजा गया। यह दंपति हांगकांग से पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद पहुंचा। दोनों वहां से शारदा पीठ गए। वहां का प्रसाद और मिट्टी लेकर हांगकांग होते हुए दिल्ली आ गए। दिल्ली में शारदा पीठ को सौंपी मिट्टी यहां दंपति ने सेवा शारदा पीठ के सदस्य अंजना शर्मा को मिट्टी और प्रसाद सौंपा। शर्मा ने बताया कि वह शारदा पीठ के मुख्य पुजारी रवींद्र पंडित के निर्देश पर अयोध्या आए हैं। शर्मा अपने साथ कर्नाटक के अंजना पर्वत का जल भी लाए। अंजना पर्वत को हनुमान जी का जन्म स्थान माना जाता है। उन्होंने बताया कि गोकर्ण से भी पवित्र जल भूमि पूजन के लिए लाया गया है। श्रीलंका और नेपाल से भी पवित्र मिट्टी और जल लाकर यहां इस्तेमाल किया जाए। कश्मीरी पंडितों के तीन पवित्र स्थलों में से है शारदा पीठ पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित शारदा पीठ कश्मीरी पंडितों के तीन पवित्र स्थलों में से एक है। यह नीलम नदी के किनारे है। यह भारत के उरी से करीब 70 किलोमीटर दूर है। शारदा पीठ तक पहुंचने के दो रास्ते पीओके के शारदा पीठ तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। पहला मुजफ्फराबाद की तरफ से और दूसरा पुंछ-रावलकोट की ओर से। उरी से मुजफ्फराबाद वाला मार्ग प्रचलित है। ज्यादातर लोग यहीं से जाते हैं।पाक ने कॉरिडोर की मंजूरी दी थीपिछले साल 25 मार्च को पाकिस्तान सरकार ने शारदा पीठ तक एक कॉरीडोर को मंजूरी दी थी, ताकि भारत के हिन्दू वहां दर्शन कर सकें।