India-Maldives News / 'इंडिया आउट' एजेंडे से राष्ट्रपति मुइज्जू ने किया इनकार, भारत को लेकर कही बड़ी बात

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने ‘इंडिया आउट’ एजेंडे से इनकार करते हुए कहा कि विदेशी सेना की मौजूदगी उनके देश के लिए गंभीर समस्या है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपमान पर उपमंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की और स्पष्ट किया कि मालदीव किसी भी देश के खिलाफ नहीं है।

Vikrant Shekhawat : Sep 27, 2024, 06:30 PM
India-Maldives News: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने यह स्पष्ट किया है कि उनके देश की विदेश नीति में "भारत को बाहर करने" (इंडिया आउट) का कोई एजेंडा नहीं है। उन्होंने यह बयान संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में भाग लेने के दौरान अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय में आयोजित ‘डीन्स लीडरशिप सीरीज’ कार्यक्रम में दिया। मुइज्जू ने कहा कि मालदीव के लोगों के लिए अपने देश में किसी भी विदेशी सेना की उपस्थिति एक गंभीर मुद्दा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मालदीव किसी विशेष देश के खिलाफ है।

विदेशी सेना की उपस्थिति पर चिंता

मालदीव के समाचार पोर्टल ‘अधाधू डॉट कॉम’ के मुताबिक, राष्ट्रपति मुइज्जू ने अपने बयान में कहा, "हम किसी भी देश के खिलाफ नहीं हैं। यह ‘इंडिया आउट’ का एजेंडा नहीं है। लेकिन मालदीव के लोग अपने देश में किसी भी विदेशी सैनिक की उपस्थिति को एक गंभीर समस्या मानते हैं।" मुइज्जू ने जोर देकर कहा कि मालदीव के लोग नहीं चाहते कि एक भी विदेशी सैनिक उनके देश में रहे।

यह बयान तब आया है जब मुइज्जू के नेतृत्व में मालदीव में भारत के सैन्य कर्मियों की उपस्थिति पर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे। मुइज्जू ने अपने चुनावी अभियान के दौरान भी विदेशी सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी, खासकर भारत की सैन्य उपस्थिति पर जोर दिया था, जिसे उनके समर्थक "मालदीव की संप्रभुता के लिए खतरा" मानते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के अपमान पर कार्रवाई

राष्ट्रपति मुइज्जू ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सोशल मीडिया पर अपमान करने वाले उपमंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की है। उन्होंने कहा, "किसी को भी किसी व्यक्ति का, चाहे वह नेता हो या आम नागरिक, अपमान करने का अधिकार नहीं है। हर व्यक्ति की एक प्रतिष्ठा होती है, और मैंने ऐसी टिप्पणियों के खिलाफ उचित कदम उठाए हैं।"

यह बयान उस वक्त आया जब मालदीव में मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद सोशल मीडिया पर मालदीव के उपमंत्रियों ने आलोचनात्मक टिप्पणियां की थीं। ये टिप्पणियां उस संदर्भ में थीं जब प्रधानमंत्री मोदी लक्षद्वीप में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने गए थे, जिसे कुछ लोगों ने मालदीव के पर्यटन क्षेत्र के लिए खतरे के रूप में देखा।

भारत-मालदीव संबंधों में तनाव

भारत और मालदीव के संबंध पिछले कुछ समय से तनावपूर्ण रहे हैं। नवंबर 2023 में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद मुइज्जू ने भारत से आग्रह किया था कि वह अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुला ले। इस कदम से दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आई। भारत ने मुइज्जू के आग्रह के बाद 10 मई 2024 तक अपने सैन्य कर्मियों को मालदीव से वापस बुला लिया था। मुइज्जू के नेतृत्व में मालदीव ने चीन के प्रति अपने झुकाव को स्पष्ट किया, जो भारत के साथ कूटनीतिक और भू-राजनीतिक समीकरणों पर असर डाल रहा है।

लक्षद्वीप यात्रा पर विवाद

प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद, मालदीव के कुछ नेताओं ने इस दौरे पर आपत्ति जताई थी। उनका मानना था कि लक्षद्वीप को मालदीव के पर्यटन क्षेत्र के प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया जा रहा है। मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर है, और इस कारण से देश की राजनीतिक और आर्थिक रणनीतियों में इस क्षेत्र का विशेष महत्व है। मालदीव सरकार के कुछ नेताओं को आशंका थी कि लक्षद्वीप का विकास मालदीव के पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचा सकता है।

भविष्य की चुनौतियां और अवसर

मालदीव के लिए आने वाले समय में भारत के साथ रिश्तों को संतुलित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, खासकर जब चीन की बढ़ती उपस्थिति इस छोटे द्वीपीय देश में अधिक प्रभाव डाल रही है। मुइज्जू के नेतृत्व में मालदीव ने एक संतुलित कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास किया है, जिसमें किसी एक देश के पक्ष में नहीं झुकने की कोशिश की गई है।

हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि मालदीव अपने आंतरिक और बाहरी मुद्दों को कैसे संभालता है और भारत के साथ अपने संबंधों को कैसे मजबूत या संतुलित करता है।