Drugs / राजीव गांधी ने बैन किया था ये नशा, जिसके बवंडर में आज फंसा हुआ है बॉलीवुड

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उनके परिजनों ने रिया चक्रवर्ती पर कई आरोप लगाए थे। इसके बाद पूरा मामला अब बॉलीवुड के ड्रग कनेक्शन पर जाकर रुक गया है। कल तक एनसीबी की ओर से कई नामी फिल्मी हस्त‍ियों को नोटिस भेजे जाने के बाद अब गांजे पर एक बार फिर से सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। जहां दुनिया के कई हिस्सों में इस नशे से कमाई हो रही है, वहीं भारत में इस पर बैन के चलते ये तस्करी के जरिये बिक रहा है।

AajTak : Sep 24, 2020, 02:42 PM
Drugs: सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उनके परिजनों ने रिया चक्रवर्ती पर कई आरोप लगाए थे। इसके बाद पूरा मामला अब बॉलीवुड के ड्रग कनेक्शन पर जाकर रुक गया है। कल तक एनसीबी की ओर से कई नामी फिल्मी हस्त‍ियों को नोटिस भेजे जाने के बाद अब गांजे पर एक बार फिर से सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है।

वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2016 के मुताबिक दुनिया में 54% गांजे का सेवन होता है। एमफेटामाइन (नशे की गोली) 17%, कोकेन का 12%, हिरोइन का 12% का इस्तेमाल होता है। बता दें कि राजीव गांधी सरकार ने अमेरिका के दबाव के चलते भारत में गांजे पर बैन लगा दिया था। जबकि इस नशे से कमाई सबसे ज्यादा होती है।

जहां दुनिया के कई हिस्सों में इस नशे से कमाई हो रही है, वहीं भारत में इस पर बैन के चलते ये तस्करी के जरिये बिक रहा है। अब सोचने वाली बात ये है कि जब एक ही पौधे से भांग, हशीश और गांजा तीनों मिलते हैं तो भांग इतना धड़ल्ले से क्यों बिक रही है और गांजे-हशीश पर इतना बवंडर क्यों मचा है। 

इसके पीछे शायद भांग का धार्मिक कनेक्शन भी एक वजह है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान श‍िव को भांग धतूरा ब‍िल्व पत्र आदि अर्पण क‍िया जाता है। इसलिए भांग एक तरह से भगवान भोलेनाथ का प्रसाद बन जाती है। इसे ठंडाई बनाकर पिया जाता है। इसका नशा इंसान के दिमाग को सुस्त करता है, इसका तेज नशा कई बार जानलेवा तक साबित हो सकता है, लेकिन इसे लेकर मान्यता के चलते ये काफी प्रचलित है। 

जहां श‍िवरात्र‍ि और होली पर भांग की ठंडाई किसी तरह सवालों के घेरे में नहीं आती। वहीं भांग से ही मिलने वाले दूसरे पदार्थों गांजा और हशीश के इस्तेमाल से व्यक्त‍ि को एक साल की जेल या 10 हजार रुपये तक जुर्माना भरना पड़ सकता है। 

कैसे एक ही पौधे से मिलते हैं गांजा-भांग 

एक ही पौधा है जिसकी पत्त‍ियां पीसकर भांग बनती हैं। वहीं एक भांग के पौधे के फूलों और फूलों के पास की पत्तियों और तने को सुखाकर इससे गांजा बनाया जाता है। फिर इसी गांजे को तंबाकू की तरह सुलगाकर चिलम या सिगरेट रैप से इसका धुआं नशे के तौर पर लिया जाता है।

अमेरिका के दबाव में लगा बैन 

भारत ने साल 1985 में नारकोटिक्स और साइकोट्रॉपिक सब्सटैंस एक्ट में भांग के पौधे (कैनबिस) के फल और फूल के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में रखा था। वहीं इसकी पत्तियों पर कोई बैन नहीं लगा था। बताते हैं कि 1961 में नारकोटिक्स ड्रग्स पर हुए सम्मेलन में भारत ने इस पौधे को हार्ड ड्रग्स की श्रेणी में रखने का विरोध किया था, फिर अमेरिका के दबाव में आकर भारत ने ये कदम उठाया। 

इन राज्यों में भांग भी बैन 

देश के कुछ राज्यों जैसे असम में भांग का इस्तेमाल और पज़ेशन गैर कानूनी है, तो महाराष्ट्र में बगैर लाइसेंस के भांग को उगाना, रखना, इस्तेमाल करना या उससे बने किसी भी पदार्थ का सेवन करना गैर कानूनी है। 

कितनी है भांग की खपत 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 3 फीसदी आबादी 3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने साल 2018 में कैनेबीज का इस्तेमाल किया। इजरायल बेस्ड फर्म सीडो के एक अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में ही 2018 में 32।38 मीट्रिक टन कैनेबीज की खपत हुई। कैनेबीज को कानूनी करने की वकालत करने वाले एक थिंक टैंक की पिछले महीने की रिपोर्ट के मुताबिक अगर इस पर टैक्स लगा दिया जाए तो सरकार को 725 करोड़ रुपये की कमाई हो सकती है।

केंद्रीय महिला और बाल विकास विभाग मंत्री मेनका गांधी ने पैरवी की है कि मनोवैज्ञानिक विकारों को ठीक करने के लिए मरीजुआना (गांजे) पर लगे प्रतिबंध के फैसले में आंशिक बदलाव लाया जाए। ऐसे दुनिया के बहुत से देशों ने किया है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्‍यक्षता वाले ग्रुप ऑफ मिनिस्‍टर्स ने पहले इस बारे में एक ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार की है। हो सकता है कि भविष्य में सरकार इस पर लगा बैन हटा दे। 

बैन न हो तो हो सकती है कमाई 

भांग सिर्फ नशे के लिए नहीं बल्क‍ि चिकित्सकीय उपचार में भी काम आती है। इसका इस्तेमाल भूख बढ़ाने के लिए, डायबिटीज, डायरिया, ज्वाइनडिस, पेन किलर और कैंसर के लिए किया जाता है। यहां तक कि अगर इस पर बैन न हो तो भारत में इससे तैयार होने वाली दवाओं की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है। समय समय पर इसलिए इस पर लगे बैन को हटाने की बात होती रहती है।