Dollar vs Rupee / गिरता डॉलर-मजबूत होता रुपया, ट्रंप और USA को कैसे पहुंचाएगा फायदा?

डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में डॉलर की कमजोरी उनके आर्थिक एजेंडे के लिए फायदेमंद हो सकती है. वे अमेरिका को मैन्युफैक्चरिंग महाशक्ति बनाना चाहते हैं, जिससे व्यापार घाटा कम हो. डॉलर कमजोर होने से अमेरिकी निर्यात सस्ता होगा, लेकिन महंगाई और वैश्विक अस्थिरता बढ़ सकती है.

Dollar vs Rupee: डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां हमेशा अमेरिकी व्यापार और आर्थिक प्रभाव को मजबूत करने पर केंद्रित रही हैं. 2017 में जब वे पहली बार राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने अमेरिकी डॉलर की मजबूती को लेकर सवाल उठाए थे. अब, अपने दूसरे कार्यकाल में, डॉलर लगातार कमजोर हो रहा है, और यह ट्रंप की आर्थिक रणनीति का अहम हिस्सा बन सकता है.

डॉलर की कमजोरी: ट्रंप के लिए लाभदायक सौदा?

ट्रंप का मानना है कि डॉलर की अधिक मजबूती अमेरिका के व्यापार घाटे का बड़ा कारण है. एक मजबूत डॉलर अमेरिकी वस्तुओं को महंगा बनाता है, जिससे अमेरिकी उत्पादों की मांग घटती है और आयात सस्ता हो जाता है. नतीजतन, अमेरिकी कंपनियां उत्पादन को विदेशों में स्थानांतरित कर देती हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है. ट्रंप की नीति इसी असंतुलन को सुधारने पर केंद्रित हो सकती है.

अमेरिका का व्यापार घाटा और मैन्युफैक्चरिंग

2024 में लगातार चौथे साल अमेरिका का व्यापार घाटा एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक रहा, जो यह दर्शाता है कि देश में उत्पादन घट रहा है और अमेरिका आयात पर अधिक निर्भर हो रहा है. हालांकि बेरोजगारी दर कम बनी हुई है, लेकिन ट्रंप की प्राथमिकता घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और अमेरिका को उत्पादन का हब बनाना है.

डॉलर का वैश्विक प्रभाव

अमेरिकी डॉलर दुनिया की सबसे प्रभावशाली मुद्रा बनी हुई है, और अधिकांश अंतरराष्ट्रीय व्यापार इसी में होता है. दुनिया के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 60% डॉलर में है. हालांकि, ट्रंप इस शक्ति संतुलन को बदलने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे अमेरिका के निर्यातकों को फायदा हो लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है.

क्या ट्रंप डॉलर का अवमूल्यन करेंगे?

अगर ट्रंप ‘मार-ए-लागो डील’ जैसी कोई रणनीति अपनाते हैं, तो वे वैश्विक व्यापार भागीदारों पर डॉलर की वैल्यू कम करने का दबाव बना सकते हैं. इससे अमेरिकी निर्यात सस्ता होगा और व्यापार घाटा कम हो सकता है. हालांकि, कमजोर डॉलर से महंगाई और वैश्विक बाजार में अस्थिरता आ सकती है.