Zee News : Aug 06, 2020, 04:40 PM
मुंबई: रिजर्व बैंक ने हाल में 6% से ऊपर निकल चुकी महंगाई पर अंकुश रखने के लिए गुरुवार को नीतिगत ब्याज दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया। दूसरी तरफ घर-परिवारों को सोने के जेवर तथा आभूषणों के बदले मिलने वाले ऋण की सीमा 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दी है। यानी अब सोना गिरवी रखने पर आपको 15% ज्यादा पैसा मिलेगा। ग्राहक 31 मार्च 2021 तक इस छूट का लाभ उठा सकते हैं।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक के बाद निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) को 4.25 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया है। दास ने कहा कि सोने के आभूषण और जेवरों के बदले दिए जाने वाले कर्ज की सीमा को बढ़ाया गया है। वर्तमान में गिरवी रखे जाने वाले सोने के जेवर और आभूषण के मूल्य के 75 प्रतिशत तक कर्ज देने की व्यवस्था है, जिसे बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। यह राहत 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध होगी।साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस के मामलों में तेजी आने से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। धीमी पड़ी आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने कंपनियों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के कर्ज पुनर्गठन की मंजूरी दे दी है। रिजर्व बैंक इससे पहले दो मार्च अंत और मई अंत में हुई दो मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में रेपो दर में कुल 1।15 प्रतिशत की बड़ी कटौती कर चुका है। इसके बाद, पिछले तीन दिन से चल रही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बैठक में गहन विचार विमर्श के बाद प्रमुख नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत पर बरकरार रखने का एकमत से फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि को फिर से पटरी पर लाने, कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए जब तक जरूरी समझा जाएगा मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाए रखने का फैसला किया है। हालांकि इसके साथ ही मुद्रास्फीति को तय दायरे में रखने पर भी ध्यान रहेगा। शक्तिकांत दास ने आवास क्षेत्र और छोटे गैर- बैंकिंग वित्त कंपनियों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त विशेष नकदी सुविधा उपलब्ध कराने की भी घोषणा की।
मुद्रास्फीति को 4% पर रखने का लक्ष्य रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को सामान्यत: चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया गया है। इसके साथ ही यह ऊंचे में छह प्रतिशत और नीचे में दो प्रतिशत तक भी जा सकती है। जून 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति इस दायरे को पार करती हुई 6.09 प्रतिशत पर पहुंच गई। दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था में अप्रैल- मई के निम्न स्तर से सुधार आना शुरू हो गया था लेकिन हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद कई शहरों में फिर से लॉकडाउन लगाए जाने से तेजी से बढ़ती गतिविधियां फिर कमजोर पड़ गईं।
एमएसएमई कर्जदारों के कर्ज का पुनर्गठन करने की अनुमतिछह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने खाद्य जिंसों के महंगा होने की आशंका जताई है। उनके मुताबिक अगली तिमाही (जुलाई से सितंबर) के दौरान मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। हालांकि, उनके मुताबिक 2020- 21 की दूसरी दमाही में इसमें कुछ नरमी आएगी। रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट आने का भी अनुमान व्यक्त किया है। दास ने कहा, "वित्त वर्ष की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी संकुचन के दायरे में रहेगी जबकि पूरे वित्त वर्ष 2020- 21 में भी कुल मिलाकर इसके नकारात्मक रहने का अनुमान है।" कोविड- 19 से उत्पन्न बाधाओं से निपटने के लिये रिजर्व बैंक ने बैंकों को कंपनियों के स्वामित्व में बदलाव किए बिना ही कर्ज समस्या का समाधान करने की अनुमति दी है। एमएसएमई कर्जदारों के कर्ज का पुनर्गठन करने की भी अनुमति दी गई है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक के बाद निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) को 4.25 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया है। दास ने कहा कि सोने के आभूषण और जेवरों के बदले दिए जाने वाले कर्ज की सीमा को बढ़ाया गया है। वर्तमान में गिरवी रखे जाने वाले सोने के जेवर और आभूषण के मूल्य के 75 प्रतिशत तक कर्ज देने की व्यवस्था है, जिसे बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। यह राहत 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध होगी।साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस के मामलों में तेजी आने से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। धीमी पड़ी आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने कंपनियों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के कर्ज पुनर्गठन की मंजूरी दे दी है। रिजर्व बैंक इससे पहले दो मार्च अंत और मई अंत में हुई दो मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में रेपो दर में कुल 1।15 प्रतिशत की बड़ी कटौती कर चुका है। इसके बाद, पिछले तीन दिन से चल रही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बैठक में गहन विचार विमर्श के बाद प्रमुख नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत पर बरकरार रखने का एकमत से फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि को फिर से पटरी पर लाने, कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए जब तक जरूरी समझा जाएगा मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाए रखने का फैसला किया है। हालांकि इसके साथ ही मुद्रास्फीति को तय दायरे में रखने पर भी ध्यान रहेगा। शक्तिकांत दास ने आवास क्षेत्र और छोटे गैर- बैंकिंग वित्त कंपनियों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त विशेष नकदी सुविधा उपलब्ध कराने की भी घोषणा की।
मुद्रास्फीति को 4% पर रखने का लक्ष्य रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को सामान्यत: चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया गया है। इसके साथ ही यह ऊंचे में छह प्रतिशत और नीचे में दो प्रतिशत तक भी जा सकती है। जून 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति इस दायरे को पार करती हुई 6.09 प्रतिशत पर पहुंच गई। दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था में अप्रैल- मई के निम्न स्तर से सुधार आना शुरू हो गया था लेकिन हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद कई शहरों में फिर से लॉकडाउन लगाए जाने से तेजी से बढ़ती गतिविधियां फिर कमजोर पड़ गईं।
एमएसएमई कर्जदारों के कर्ज का पुनर्गठन करने की अनुमतिछह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने खाद्य जिंसों के महंगा होने की आशंका जताई है। उनके मुताबिक अगली तिमाही (जुलाई से सितंबर) के दौरान मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। हालांकि, उनके मुताबिक 2020- 21 की दूसरी दमाही में इसमें कुछ नरमी आएगी। रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट आने का भी अनुमान व्यक्त किया है। दास ने कहा, "वित्त वर्ष की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी संकुचन के दायरे में रहेगी जबकि पूरे वित्त वर्ष 2020- 21 में भी कुल मिलाकर इसके नकारात्मक रहने का अनुमान है।" कोविड- 19 से उत्पन्न बाधाओं से निपटने के लिये रिजर्व बैंक ने बैंकों को कंपनियों के स्वामित्व में बदलाव किए बिना ही कर्ज समस्या का समाधान करने की अनुमति दी है। एमएसएमई कर्जदारों के कर्ज का पुनर्गठन करने की भी अनुमति दी गई है।