News18 : Jul 13, 2020, 09:17 AM
इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) की राजधानी इस्लामाबाद (Islamabad) में हिंदू मंदिर (Hindu Temple) बनाने को लेकर छिड़े विवाद और कट्टरपंथी मुसलमानों और मौलानाओं की धमकियों से एक बार फिर इमरान खान (Imran Khan) सरकार की असलियत खुलकर सामने आ गयी है। अब ये साफ़ हो गया है कि इमरान खान चाहे भी तो कट्टरपंथी मौलानाओं के सामने उनकी एक नहीं चलती। इमरान सरकार ने राजधानी इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर बनाने की मंजूरी दी थी और इसके लिए 10 करोड़ रुपए का बजट भी पास किया था, हालांकि मौलानाओं की धमकी के बाद सरकार पीछे हट गयी है। मुस्लिम कट्टरपंथियों ने न सिर्फ मंदिर की दीवार तोड़ी बल्कि वहां आकर जबरदस्ती नमाज़ भी अदा की। पाकिस्तानी हिंदुओ का आरोप है कि बंटवारे के दौरान वहां 428 मंदिर थे जिनमें से 408 पर कब्ज़ा कर वहां कोई दुकान खोल दी गई है या फिर कोई ऑफिस चल रहा है।
पाकिस्तान बनने के बाद से ही वहां रह गए अन्य धर्मों के लोगों के साथ अत्याचार की बातें सामान्य हो गयीं थीं। ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट ने एक सर्वे कर बताया है कि जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो बड़ी संख्या में हिंदू और सिख पाकिस्तान से हिन्दुस्तान गए थे। उस दौरान पाकिस्तान की धरती पर 428 मंदिर मौजूद थे। हालांकि 1990 आते-आते इन सभी मंदिरों को धीरे-धीरे कब्जे में लेकर यहां अब दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल्स, दफ्तर, सरकारी स्कूल या फिर मदरसे खोल दिए गए हैं। इस सर्वे में अआरोप लगाया गया है कि पाकिस्तान सरकार ने इवैक्यूई प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड को अल्पसंख्यकों की पूजा वाले स्थलों की 1.35 लाख एकड़ जमीन लीज पर दे दी थी। इस ट्रस्ट ने ही इन सारे मंदिरों कि ज़मीन हड़प ली।इमरान सरकार ने 400 मंदिरों का रेनोवेशन कराने का वादा कियाभारत में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद पाकिस्तान में भी इसकी प्रतिक्रिया में 100 से ज्यादा मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया था। बीते अप्रैल में इमरान सरकार ने 400 मंदिरों को दोबारा खोलने का फैसला लिया था। जिन मंदिरों की हालत खराब थी उनकी सरकारी पैसे से मरम्मत के लिए से ही फंड भी दिया जाने का ऐलान किया गया था। साल 2019 में पाकिस्तान के सियालकोट में 1 हजार साल से भी ज्यादा पुराना शिवाला तेजा मंदिर दोबारा खोला गया था। ये मंदिर आजादी के बाद से ही बंद पड़ा था और 1992 के बाद इसे भारी नुकसान भी पहुंचाया गया था। इस मंदिर के रेनोवेशन पर 50 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हुए थे।पाकिस्तान में स्थित कई मंदिरों की कहानी ऐसी है जिन्हें अब होटल, दुकान या किसी मदरसे में तब्दील कर दिया गया है। इस सर्वे के मुताबिक काली बाड़ी नाम के एक प्रसिद्द मंदिर को दारा इस्माइल खान ने खरीदकर ताज महल होटल में तब्दील कर दिया है। इसके आलावा खैबर पख्तूनख्वाह के बन्नू जिले में एक हिंदू मंदिर था जहां अब मिठाई की दुकान है। कोहाट में शिव मंदिर था जिसे सरकारी स्कूल में बदल दिया गया है। इसके आलावा रावलपिंडी में भी एक हिंदू मंदिर था जिसे पहले ढहाया गया और बाद में वहां कम्युनिटी सेंटर बना दिया गया। चकवाल में भी 10 मंदिरों को तोड़कर कमर्शियल कॉम्प्लैक्स बना दिया गया। इसके आलावा एब्टाबाद में सिखों के गुरुद्वारा को तोड़कर वहां कपड़े की दुकान खोल दी गई। पाकिस्तान सरकार के एक ताजा सर्वे के मुताबिक, साल 2019 में सिंध में 11, पंजाब में 4, बलूचिस्तान में 3 और खैबर पख्तूनख्वाह में 2 मंदिर चालू स्थिति में हैं।
धर्म परिवर्तन के दबाव में जी रहे अल्पसंख्यकपाकिस्तान में हर साल जबरन धर्मपरिवर्तन के हजारों मामले सामने आते हैं। पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम लड़कियों के जबरन अपहरण, धर्म परिवर्तन और इसके बाद जबरन किसी मुसलमान से उनकी शादी आम बात है। यूनाइटेड स्टेट्स कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम के डेटा की मानें तो पाकिस्तान में हर साल 1 हजार से ज्यादा लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इनमें ज्यादातर हिंदू और क्रिश्चियन लड़कियां ही होती हैं।पाकिस्तान में हिंदू आबादी को लेकर भी अलग-अलग आंकड़े हैं। पाकिस्तान में आखिरी बार 1998 में जनगणना हुई थी। 2017 में भी हुई है, लेकिन अभी तक धर्म के हिसाब से आबादी का डेटा जारी नहीं किया गया है। पाकिस्तान के स्टेटिक्स ब्यूरो के डेटा के मुताबिक, 1998 में वहां की कुल आबादी 13.23 करोड़ थी। उसमें से 1.6% यानी 21,11 लाख हिंदू आबादी थी। मार्च 2017 में लोकसभा में दिए गए एक जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि 1998 की जनगणना के मुताबिक, पाकिस्तान में हिंदू आबादी 1,6% यानी करीब 30 लाख है। हालांकि पाकिस्तान हिंदू काउंसिल का कहना है कि वहां 80 लाख से ज्यादा हिंदू आबादी है, जो पाकिस्तान की कुल आबादी का लगभग 4% है।
पाकिस्तान बनने के बाद से ही वहां रह गए अन्य धर्मों के लोगों के साथ अत्याचार की बातें सामान्य हो गयीं थीं। ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट ने एक सर्वे कर बताया है कि जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो बड़ी संख्या में हिंदू और सिख पाकिस्तान से हिन्दुस्तान गए थे। उस दौरान पाकिस्तान की धरती पर 428 मंदिर मौजूद थे। हालांकि 1990 आते-आते इन सभी मंदिरों को धीरे-धीरे कब्जे में लेकर यहां अब दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल्स, दफ्तर, सरकारी स्कूल या फिर मदरसे खोल दिए गए हैं। इस सर्वे में अआरोप लगाया गया है कि पाकिस्तान सरकार ने इवैक्यूई प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड को अल्पसंख्यकों की पूजा वाले स्थलों की 1.35 लाख एकड़ जमीन लीज पर दे दी थी। इस ट्रस्ट ने ही इन सारे मंदिरों कि ज़मीन हड़प ली।इमरान सरकार ने 400 मंदिरों का रेनोवेशन कराने का वादा कियाभारत में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद पाकिस्तान में भी इसकी प्रतिक्रिया में 100 से ज्यादा मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया था। बीते अप्रैल में इमरान सरकार ने 400 मंदिरों को दोबारा खोलने का फैसला लिया था। जिन मंदिरों की हालत खराब थी उनकी सरकारी पैसे से मरम्मत के लिए से ही फंड भी दिया जाने का ऐलान किया गया था। साल 2019 में पाकिस्तान के सियालकोट में 1 हजार साल से भी ज्यादा पुराना शिवाला तेजा मंदिर दोबारा खोला गया था। ये मंदिर आजादी के बाद से ही बंद पड़ा था और 1992 के बाद इसे भारी नुकसान भी पहुंचाया गया था। इस मंदिर के रेनोवेशन पर 50 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हुए थे।पाकिस्तान में स्थित कई मंदिरों की कहानी ऐसी है जिन्हें अब होटल, दुकान या किसी मदरसे में तब्दील कर दिया गया है। इस सर्वे के मुताबिक काली बाड़ी नाम के एक प्रसिद्द मंदिर को दारा इस्माइल खान ने खरीदकर ताज महल होटल में तब्दील कर दिया है। इसके आलावा खैबर पख्तूनख्वाह के बन्नू जिले में एक हिंदू मंदिर था जहां अब मिठाई की दुकान है। कोहाट में शिव मंदिर था जिसे सरकारी स्कूल में बदल दिया गया है। इसके आलावा रावलपिंडी में भी एक हिंदू मंदिर था जिसे पहले ढहाया गया और बाद में वहां कम्युनिटी सेंटर बना दिया गया। चकवाल में भी 10 मंदिरों को तोड़कर कमर्शियल कॉम्प्लैक्स बना दिया गया। इसके आलावा एब्टाबाद में सिखों के गुरुद्वारा को तोड़कर वहां कपड़े की दुकान खोल दी गई। पाकिस्तान सरकार के एक ताजा सर्वे के मुताबिक, साल 2019 में सिंध में 11, पंजाब में 4, बलूचिस्तान में 3 और खैबर पख्तूनख्वाह में 2 मंदिर चालू स्थिति में हैं।
धर्म परिवर्तन के दबाव में जी रहे अल्पसंख्यकपाकिस्तान में हर साल जबरन धर्मपरिवर्तन के हजारों मामले सामने आते हैं। पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम लड़कियों के जबरन अपहरण, धर्म परिवर्तन और इसके बाद जबरन किसी मुसलमान से उनकी शादी आम बात है। यूनाइटेड स्टेट्स कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम के डेटा की मानें तो पाकिस्तान में हर साल 1 हजार से ज्यादा लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इनमें ज्यादातर हिंदू और क्रिश्चियन लड़कियां ही होती हैं।पाकिस्तान में हिंदू आबादी को लेकर भी अलग-अलग आंकड़े हैं। पाकिस्तान में आखिरी बार 1998 में जनगणना हुई थी। 2017 में भी हुई है, लेकिन अभी तक धर्म के हिसाब से आबादी का डेटा जारी नहीं किया गया है। पाकिस्तान के स्टेटिक्स ब्यूरो के डेटा के मुताबिक, 1998 में वहां की कुल आबादी 13.23 करोड़ थी। उसमें से 1.6% यानी 21,11 लाख हिंदू आबादी थी। मार्च 2017 में लोकसभा में दिए गए एक जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि 1998 की जनगणना के मुताबिक, पाकिस्तान में हिंदू आबादी 1,6% यानी करीब 30 लाख है। हालांकि पाकिस्तान हिंदू काउंसिल का कहना है कि वहां 80 लाख से ज्यादा हिंदू आबादी है, जो पाकिस्तान की कुल आबादी का लगभग 4% है।