Live Hindustan : Aug 14, 2020, 01:35 PM
Coronavirus Vaccine: दुनियाभर में फैली कोरोना वायरस महामारी के लिए रूस ने 'स्पूतनिक वी' नामक वैक्सीन बनाई है। राष्ट्रपति पुतिन ने दावा किया है कि यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है और असरदार है। हालांकि, दुनिया के कई एक्सपर्ट्स इसके पूरी तरह से सुरक्षित होने के दावे पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अब रूस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने वैक्सीन को लेकर नया दावा किया है।रूस के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कोरोना वैक्सीन 'स्पूतनिक वी' कम से कम दो सालों तक कोरोना वायरस से सुरक्षा प्रदान करेगी। रूसी न्यूज एजेंसी टीएसएसएस के अनुसार, गामालेया अनुसंधान केंद्र के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा, 'रूस की कोरोना वैक्सीन का असर सिर्फ छह महीने या सालभर तक के लिए नहीं होगा, बल्कि यह दो साल तक असर करेगी और वायरस को दूर रखेगी।'अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग गामालेया अनुसंधान केंद्र और एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक हैं। यह वही संस्थान है, जिसने कोरोना वायरस की वैक्सीन को विकसित किया है। रूस के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन का पहला बैच दो सप्ताह के अंदर ही आ जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने बुधवार को कहा, 'कोरोनो वायरस संक्रमण के खिलाफ वैक्सीन के पहले पैकेजेस अगले दो सप्ताह के भीतर प्राप्त हो जाएंगे।'वहीं, रूस की कोरोना वैक्सीन पर दुनिया के कई देशों के एक्सपर्ट्स सवाल उठा रहे हैं। पिछले सप्ताह जहां डब्लूएचओ ने वैक्सीन की जल्दबाजी को लेकर आगाह किया था, वहीं अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ एंथोनी फॉसी ने वैक्सीन को लेकर रूस और चीन दोनों के ऊपर सही प्रक्रिया का पालन करने पर संदेह जताया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि संगठन अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करने के लिए रूस के साथ संपर्क में है।'अन्य देशों को भी उपलब्ध कराई जाएगी वैक्सीन' इससे पहले, रूसी स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ विकसित की गई वैक्सीन निश्चित रूप से कारगर है और यह अन्य देशों को भी उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन घरेलू स्तर पर इसकी मांग को ध्यान में रखकर आपूर्ति करना हमारी पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि हमारे विदेशी साथी वैक्सीन विकसित करने में मामले में प्रतिस्पर्धा महसूस कर रहे हैं इसलिए उन्होंने ऐसे विचार व्यक्त किए हैं जिन्हें हम आधारहीन मानते हैं। रूस ने वैक्सीन का विकास निश्चित क्लीनिकल जानकारी और डाटा को ध्यान में रखकर किया है।'