Sadhguru / ईशा फाउंडेशन को SC से बड़ी राहत, एक पिता ने लगाया 2 बेटियों को बंधक बनाने का आरोप

सद्गुरु जग्गी वासुदेव और उनके ईशा फाउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने फाउंडेशन पर अपनी बेटियों को बंधक बनाने का आरोप लगाया था।

Vikrant Shekhawat : Oct 03, 2024, 02:20 PM
Sadhguru: ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रमुख सद्गुरु जग्गी वासुदेव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के बाद फाउंडेशन के खिलाफ जांच चल रही थी। यह मामला रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज द्वारा हाईकोर्ट में दायर की गई एक याचिका से जुड़ा हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी बेटियों लता और गीता के ईशा फाउंडेशन के आश्रम में बंधक बनाए जाने का आरोप लगाया था। इस याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस को जांच के आदेश दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी भी संस्थान में पुलिस बल की फौज नहीं भेजी जा सकती। चीफ जस्टिस ने कामराज की बेटियों से ऑनलाइन बातचीत के बाद फैसला सुनाया। बेटियों ने स्पष्ट किया कि वे अपनी मर्जी से ईशा फाउंडेशन के आश्रम में रह रही हैं और जब चाहें आश्रम से बाहर आ सकती हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रोकते हुए कहा कि उनकी स्वतंत्र इच्छा का सम्मान किया जाना चाहिए।

मद्रास हाईकोर्ट का आदेश और पुलिस जांच

मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को पुलिस को आदेश दिया था कि वे ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी अदालत के सामने पेश करें। इसके बाद 1 अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी आश्रम में जांच के लिए पहुंचे थे। इस पर ईशा फाउंडेशन ने आपत्ति जताई थी और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

ईशा फाउंडेशन का पक्ष

ईशा फाउंडेशन ने अपने बचाव में प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमें सभी आरोपों को निराधार बताया गया था। फाउंडेशन ने कहा कि उनके आश्रम में लोग अपनी मर्जी से आते हैं और आश्रम किसी को विवाह न करने या संन्यासी बनने के लिए बाध्य नहीं करता। ईशा फाउंडेशन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके संस्थान का उद्देश्य योग और आध्यात्मिकता के माध्यम से लोगों की भलाई करना है।

प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया कि ईशा योग केंद्र में हजारों लोग रहते हैं, जिनमें से कुछ ने ब्रह्मचर्य या संन्यासी जीवन का चुनाव किया है, लेकिन यह उनकी स्वतंत्र इच्छा पर आधारित है। फाउंडेशन ने आशा जताई कि अदालत का फैसला सत्य को उजागर करेगा और सभी विवादों का अंत होगा।

आगे की राह

अब, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ईशा फाउंडेशन को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन मामले की जांच अभी समाप्त नहीं हुई है। आने वाले समय में इस पर क्या निष्कर्ष निकलेगा, यह देखना बाकी है।