Sadhguru / ईशा फाउंडेशन ने महिलाओं को गुमराह कर के रखने का आरोप का जारी किया जवाब

सद्गुरु का ईशा फाउंडेशन हाल ही में महिलाओं को गुमराह करने के आरोपों से घिरा है। मद्रास हाई कोर्ट के निर्देश पर पुलिस ने जांच शुरू की। फाउंडेशन ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह संस्था केवल योग और आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए है, न कि विवाह या संन्यास के लिए।

Vikrant Shekhawat : Oct 02, 2024, 10:45 PM
Sadhguru: सद्गुरु का ईशा फाउंडेशन वर्तमान में एक गंभीर विवाद में घिरा हुआ है। इस संस्था पर आरोप लगे हैं कि यह महिलाओं को गुमराह कर उन्हें अपने परिवारों से दूर रखता है। मद्रास हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद, पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की है और फाउंडेशन के सदस्यों से पूछताछ की है। इस बीच, ईशा फाउंडेशन ने इन आरोपों का खंडन करते हुए एक आधिकारिक बयान जारी किया है।

विवाद का कारण

कोयंबटूर के रिटायर्ड प्रोफेसर एस. कामराज ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ शिकायत दर्ज की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनकी दो बेटियों को ईशा योग केंद्र में रहने के लिए गुमराह किया गया और फाउंडेशन ने उन्हें अपने परिवार के साथ संपर्क करने की अनुमति नहीं दी। इस शिकायत के बाद, उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

ईशा फाउंडेशन का उत्तर

ईशा फाउंडेशन ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। संगठन ने कहा है कि उनकी स्थापना का उद्देश्य लोगों को योग और आध्यात्मिकता प्रदान करना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि वे लोगों को विवाह या संन्यास लेने के लिए प्रेरित नहीं करते हैं। "हम मानते हैं कि हर वयस्क व्यक्ति को अपनी दिशा चुनने की स्वतंत्रता है," फाउंडेशन ने कहा।

ईशा योग केंद्र में हजारों लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकांश संन्यासी नहीं हैं। कुछ लोग अपनी स्वेच्छा से ब्रह्मचर्य या संन्यासी के रूप में रह रहे हैं। याचिकाकर्ता ने संन्यासियों को न्यायालय के सामने पेश करने की मांग की थी, जिसे पूरा किया गया। संन्यासियों ने न्यायालय में अपनी इच्छानुसार रह रहे होने की पुष्टि की।

पुलिस जांच और कोर्ट प्रक्रिया

विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता पहले भी तथ्यों की जांच करने के बहाने ईशा फाउंडेशन के परिसर में घुसने की कोशिश कर चुके हैं। उन्होंने फाउंडेशन के खिलाफ आपराधिक शिकायत भी दर्ज कराई थी। इस मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने पुलिस को अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर रोक लगा दी है।

फाउंडेशन ने कहा है कि जो कोई भी संगठन के खिलाफ गलत जानकारी फैलाने में शामिल है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में, पुलिस आश्रम में उपस्थित हर व्यक्ति का बयान दर्ज कर रही है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे स्वेच्छा से वहां रह रहे हैं।

निष्कर्ष

ईशा फाउंडेशन और सद्गुरु के प्रति चल रहे विवाद ने भारतीय समाज में चर्चा का विषय बना दिया है। जब तक अदालत में मामले की सुनवाई चलती है, तब तक यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह विवाद सत्य की पुष्टि करता है या सिर्फ आरोपों तक सीमित रह जाता है। ईशा फाउंडेशन का उद्देश्य लोगों को योग और आध्यात्मिकता के माध्यम से मार्गदर्शन प्रदान करना है, लेकिन वर्तमान स्थिति में उन्हें अपने मूल उद्देश्यों की रक्षा करनी होगी।