दुनिया / सऊदी अरब ने पाकिस्तान की बढ़ाई टेंशन, इमरान खान ने संभाला मोर्चा

पाकिस्तान के लोगों के लिए सऊदी अरब जाना मुश्किल हो गया है। सऊदी में लाखों पाकिस्तानी काम करते हैं और अब हज का भी समय आ रहा है। दरअसल, सऊदी अरब में वही लोग जा पा रहे हैं जिन्होंने फाइजर, एस्ट्राजेनेका, मॉर्डना और जॉनसन की कोरोना वैक्सीन लगवाई है। लेकिन पाकिस्तान में उसके सदाबहार दोस्त चीन की वैक्सीन सिनोफार्मा और सिनोवैक लगाई जा रही है।

Vikrant Shekhawat : Jun 07, 2021, 04:13 PM
पाकिस्तान के लोगों के लिए सऊदी अरब जाना मुश्किल हो गया है। सऊदी में लाखों पाकिस्तानी काम करते हैं और अब हज का भी समय आ रहा है। दरअसल, सऊदी अरब में वही लोग जा पा रहे हैं जिन्होंने फाइजर, एस्ट्राजेनेका, मॉर्डना और जॉनसन की कोरोना वैक्सीन लगवाई है। लेकिन पाकिस्तान में उसके सदाबहार दोस्त चीन की वैक्सीन सिनोफार्मा और सिनोवैक लगाई जा रही है। जो चीन की वैक्सीन लगवा रहे हैं, उन्हें सऊदी अपने यहां नहीं आने दे रहा है। 

चीन की वैक्सीन पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। खास करके उसकी एफिकेसी रेट यानी प्रभावी दर पर। ऐसे में जो पाकिस्तानी सऊदी काम करने जाना चाह रहे हैं या हज यात्रा के लिए जाने की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए मुश्किल पैदा हो गई है।

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, रविवार को पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान खुद सऊदी अरब में चीन की वैक्सीन की स्वीकार्यता नहीं होने के मसले को देख रहे हैं। मध्य-पूर्व के कुछ और देश चीन की वैक्सीन को मान्यता नहीं दे रहे हैं। 

पाकिस्तानी प्रांत सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह और पाकिस्तान में सऊदी अरब के राजदूत नवाफ बिन सईद अहमद अल-मालकी की चार जून को मुलाकात हुई थी। मुराद अली ने सऊदी के राजदूत से इस मसले पर मदद मांगी थी और कहा था कि सऊदी के इस रुख से पाकिस्तानियों को बहुत परेशानी हो रही है। लेकिन इस मामले में सऊदी अरब ने कोई आश्वासन नहीं दिया। 

पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने कहा, ''प्रधानमंत्री ने कैबिनेट से कहा है कि वे इस मामले को लेकर मध्य-पूर्व के संबंधित देशों के संपर्क में हैं।'' रशीद ने चीनी वैक्सीन की तारीफ भी की और कहा कि वे इस मामले में चीन को मदद के लिए उसे सलाम करते हैं। दूसरी तरफ, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि वे किसी और देश से वैक्सीन लाने में असमर्थ है।  

पाकिस्तान ने सऊदी अरब से अनुरोध किया है कि वो चीनी वैक्सीन को लेकर अपने रुख में बदलाव करे। पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने कहा है कि सऊदी अरब इस साल 50 हजार पाकिस्तानियों को हज के लिए अनुमति दे सकता है। शेख रशीद ने कहा कि अगर हर देश अपने पसंद के हिसाब से वैक्सीन को मान्यता देंगे तो पूरी दुनिया को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा चीनी वैक्सीन का निर्यात हुआ है। उन्होंने भारत से तुलना करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने वैक्सीन लगाने का काम पड़ोसियों से ज्यादा अच्छे से किया है। 

हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन की दोनों वैक्सीन को मान्यता दे दी है। इसके बावजूद चीनी वैक्सीन को लेकर दुनिया भर में संदेह बना हुआ है। हाल ही में, वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में भी चीनी वैक्सीन के प्रभावी होने की क्षमता पर सवाल उठाए गए थे।

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, बहरीन और सेशेल्स ने अपने अधिकतर नागरिकों को चीनी वैक्सीन सिनोवैक और सिनोफार्म लगवाई थी। लेकिन इसके बावजूद जब वहां कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे तो इन देशों ने फिर फाइजर की वैक्सीन लगवानी शुरू कर दी। संयुक्त अरब अमीरात का स्वास्थ्य विभाग दुबई में उन लोगों को फिर से फाइजर की वैक्सीन लगवा रहा है जिन्होंने चीन में निर्मित सिनोफार्म की पूरी खुराक लगवा ली थी। 

बहरीन स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव वलीद खलीफा अल मानिया ने बताया कि अब तक चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म की वैक्सीन बहरीन के 60 फीसदी से अधिक नागरिकों को लग चुकी है। उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित, मोटापे के शिकार और 50 साल से अधिक उम्र वाले बहरीन के लोगों को फिर से छह महीने बाद Pfizer-BioNTech की वैक्सीन लगवाने का अनुरोध किया गया है। 

चीन के दोनों टीके निष्क्रिय वायरस से तैयार किए गए हैं। यह टीका बनाने की पुरानी तकनीक है। वहीं फाइजर-बायोएनटेक ने आरएनए को नियोजित करने वाली एक नई तकनीक के जरिये वैक्सीन तैयार की है। गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले जनसंख्या समूहों के बीच सिनोफार्म की एफिकेसी पर प्रकाशित क्लिकल ​​डेटा बहुत कम है। चीनी वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में मध्य पूर्व से 40,382 प्रतिभागी शामिल थे, जिनमें से अधिकांश संयुक्त अरब अमीरात के थे।