देश / शाह फैसल ने पार्टी से इस्तीफा देने से पहले NSA डोभाल से की थी बताचीत

आईएएस से राजनेता बने शाह फैसल ने अपनी ही बनाई पार्टी को छोड़ने का फैसला लिया है। फैसल ने यह फैसला केंद्रीय सरकार के बड़े अधिकारियों से बातचीत करने के बाद लिया है। फैसल ने अपनी पार्टी जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) को अपना फैसला बताने से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ बातचीत की थी।

Live Hindustan : Aug 13, 2020, 08:11 AM
नई दिल्ली | आईएएस से राजनेता बने शाह फैसल ने अपनी ही बनाई पार्टी को छोड़ने का फैसला लिया है। फैसल ने यह फैसला केंद्रीय सरकार के बड़े अधिकारियों से बातचीत करने के बाद लिया है। फैसल ने अपनी पार्टी जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) को अपना फैसला बताने से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ बातचीत की थी। 37 साल के फैसल 2009 में चर्चा में आए, जब वे भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा (UPSC) में टॉप करने वाले पहले कश्मीरी बने थे। उन्होंने इस बात की जानकारी दी कि वो दिल्ली में अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं लेकिन उन्होंने डिटेल्स देने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "मैं सरकार के कुछ लोगों से जो बात कर रहा हूं उसे लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही हैं। मैं आईएएस का सदस्य रहा हूं इसमें कुछ अलग नहीं है अगर मैं सरकार के कुछ लोगों से मिल रहा हूं।" उन्होंने कहा, "मुझे यहां रहना और काम करना है और यह पूरी तरह से सामान्य है।"

NSA  ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। फैसल ने इस बात के सकेंत दिए हैं कि उन्हें फिर से सेवा में बहाल किया जा सकता है। फैसल ने कश्मीर के नौजवानों की आवाज बनने का वादा किया था। उन्होंने एक लंबा रास्ता तय किया था। उनके विचार अब बदल गए हैं। उन्होंने कहा "मुझे लगता है कि हमें यह समझने की जरूरत है कि 1949 में राष्ट्रीय सहमति अनुच्छेद 370 को शामिल करने के बारे में थी और 2019 की राष्ट्रीय सहमति इसे खत्म करने के बारे में थी। हमें राष्ट्र की मनोदशा को समझना होगा और वास्तविकता के साथ आना होगा। ”

पुराने बयानों पर सफाई

2019 की शुरुआत में फैसल ने IAS से इस्तीफे की घोषणा की और सरकार के मुखर आलोचक बन गए। जम्मू और कश्मीर से पिछले साल अगस्त में विशेष दर्जा हटा दिया गया था जिस पर उन्होने ट्वीट कर कहा था, “कश्मीर को राजनीतिक अधिकारों की बहाली के लिए एक लंबे निरंतर अहिंसक राजनीतिक जन आंदोलन की आवश्यकता होगी। अनुच्छेद 370 के खत्म होने ने मुख्यधारा को भी खत्म कर दिया है अब आप या तो एक कठपुतली हो सकते हैं या फिर एक अलगाववादी। मिले-जुले रंग के नहीं।"

हालांकि उन्होंने अब अपने सारे ट्वीट डिलीट कर दिए हैं। कठपुतली और अलगाववादी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा: “मैं राजनीतिक ग्रे जोन के बारे में बात कर रहा था जिसमें चुनावी राजनीति संचालित थी। मैंने कहा कि एक बार ग्रे ज़ोन खत्म हो जाने के बाद लोग आपको कठपुतली या अलगाववादी कहेंगे। मैंने कहा था कि मैं दोनों में से एक भी नहीं हूं।"

उन्होंने कहा: "मैं इस देश का एक गौरवशाली नागरिक हूं जो लोगों के जीवन में बदलाव लाना चाहता है। मैं इन लेबलों को बिल्कुल नहीं पहचानता। " पिछले साल फैसल ने आईएएस छोड़ने के कारणों का उल्लेख करते हुए कहा था  कि कश्मीर तब खतरे में था और उसे अंदर के किसी व्यक्ति की ज़रूरत थी इसलिए उन्होंने वहां अलार्म बेल बजाने का फैसला किया। सरकार के बड़े अफसरों के साथ बातचीत करने के बाद फैसल का कहना है कि वे नई वास्तविकता को स्वीकार करते हैं। “हम कश्मीर में एक नई राजनीतिक वास्तविकता के आमने-सामने हैं। 5 अगस्त के बाद से जमीन पर तथ्य बदल गए हैं। मैं पॉलिटिकली करेक्ट होने की जरूरत के बिना स्थिति की अपनी समझ को स्पष्ट करना चाहता हूं।

बतौर आईएएस कर सकते हैं वापसी

कश्मीर ने अतीत में बहुत कुछ झेला है। मैं पुराने भ्रमों पर ध्यान नहीं देना चाहता, कश्मीरियों को एक बगीचे के रास्ते पर ले जाना चाहता हूं और उस पर अपना करियर बनाना चाहता हूं। मैं  सब कुछ विनम्रता के साथ छोड़ रहा हूं और लोगों को बता रहा हूं कि मैं कुछ ऐसा वादा नहीं कर सकता हूं जिसे मैं पूरा न कर पाऊं। "

उनका कहना है कि लोकतंत्र में आम सहमति गतिशील है और हमें उम्मीद नहीं खोनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उसी संसद ने अतीत में उत्तर दिए हैं और मुझे यकीन है कि वही संसद भविष्य में भी उत्तर प्रदान करेगी। फैसल का आईएएस से दिया इस्तीफा अब भी पेंडिंग है शायद उन्हें फिर से बहाल किया जा सकता है हालांकि उसकी समय रेखा  स्पष्ट नहीं है। 

एक अधिकारी ने कहा, "उन्हें बहाल करने के लिए नियमों को बदला जा सकता है।" फैसल ने कहा है कि वो लोक प्रशासन सेवा में वापस लौटने का विरोध नहीं कर रहे हैं उन्होंने कहा, 'मैं सरकार के साथ काम करने से पीछे नहीं हूं। लोक प्रशासन मेरी विशेषज्ञता का डोमेन है। मैं वहीं बिलोंग करता हूं।" दिल्ली और श्रीनगर में अधिकारियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, "उन्हें जल्द ही फिर से नियुक्त किया जा सकता है, और एक सलाहकार की भूमिका में भी बहाल किया जा सकता है।"