News18 : Sep 05, 2020, 08:52 AM
नई दिल्ली। सितंबर महीने की 5वीं तारीख को टीचर्स डे मनाया जाता है। तमाम टीचर्स ऐसे हैं जिन्होंने न जाने कितने ही छात्रों के बहुत ऊंचाई पर पहुंचा दिया। हम आपको कुछ ऐसे ही टीचर्स के बारे में बताना चाहते हैं जो कि समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं-
1 आनंद कुमारआनंद कुमार गरीब बच्चों को आईआईटी-जेईई में एडमिशन दिलाने के लिए सुपर 30 चलाते हैं। कुमार को खुद भी गणित में काफी रुचि रही है। कहा जाता है कि पैसे के अभाव में वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ने नहीं जा पाए। साल 2000 में शुरू किए गए इस कोचिंग का काफी नाम है। इनके जीवन पर डॉक्युमेंट्री और फिल्म भी बन चुकी है।
2 आदित्य कुमारआदित्य कुमार लोगों में शिक्षा के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए साइकिल पर सवार होकर लखनऊ से रांची तक यात्रा की। वे समाज के छोटे तबके में जागरुकता फैलाने का काम करते हैं। यहां तक कि गरीब बच्चों को गणित, और भाषा फ्री में पढ़ाते हैं। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इनकी तारीफ की थी।3 राजेश कुमार शर्माराजेश कुमार शर्मा ने दिल्ली में मेट्रो के प्लाईओवर के नीचे एक तरह से अपना स्कूल ही शुरू कर दिया। कॉलेज ड्रॉप आउट राजेश की किराना की दुकान है। लेकिन साथ ही वे गरीब बच्चों को यमुना नगर मेट्रो स्टेशन के फ्लाई ओवर के नीचे साल 2007 से ही गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं। भले ही वे कोई फिक्स्ड सिलेबस को फॉलो नहीं करते हों लेकिन इस समय उनसे पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 200 के करीब है।
4 अब्दुल मलिककेरल के मल्लापुरम में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए रोज़ाना नदी तैर कर पार जाते हैं ताकि वे समय पर पहुंच सकें। जब उनसे पूछा गया कि वे ऐसा क्यों करते हैं तो उन्होंने कहा कि रास्ते से जाने पर उन्हें 12 किलोमीटर की दूरी 3 घंटे में पार करनी पड़ेगी जिसे वे तैर कर सिर्फ 15 मिनट में ही पूरा कर लेते हैं। उनकी कहानी मशहूर होने के बाद किसी ने उन्हें फाइबर की नाव भी देने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, सरकार की तरफ से इस पर क्या कदम उठाया गया यह साफ नहीं है।
5 बाबर अलीखुद स्कूल पढ़ते हुए भी बाबर अली ने बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। मौजूदा समय में वे करीब 800 सौ बच्चो को पढ़ाते हैं और करीब 10 टीचर भी उनके साथ उनके स्कूल में पढ़ाते हैं। इस समय उनकी उम्र 24 साल है लेकिन वे 16 साल से ही पढ़ा रहे हैं। बीबीसी ने उन्हें सबसे कम उम्र का हेडमास्टर कहा था।
6 अरविंद गुप्ताअरविंद गुप्ता ने कबाड़ से खिलौने बनाकर बच्चों को पढ़ाने का तरीका निकाला। आईआईटी कानपुर के छात्र रहे अरविंद गुप्ता का कहना है कि सिर्फ बातों की तुलना में छोटे कदम उठाना ज्यादा ठीक रहता है। उन्होंने इसके ऊपर एक किताब भी लिखी है।
7 रोशनी मुखर्जीविप्रो में काम करने वाली रोशनी मुखर्जी 9वीं से 12वीं के बच्चों के लिए वीडियो बनाकर पढ़ाने का काम करती हैं। इन्होंने साल 2011 में एग्जाम फियर शुरू किया। इस समय यूट्यूब पर इनके 75 हज़ार से ज्यादा सब्सक्राइबर्स और 3800 से ज्यादा वीडियो हैं।
8 प्रोफेसर संदीप देसाईप्रोफेसर संदीप देसाई महाराष्ट्र और राजस्थान में अपने स्कूलों को चलाने के लिए मुंबई के लोकल ट्रेन में भीख मांगते हैं। भीख मांगकर वे गरीब बच्चों के लिए इंग्लिश मीडियम स्कूल चलाते हैं।
9 विमला कौल20 साल पहले रिटायर होने के बाद विमला कौल गरीब बच्चों को अपने पति के साथ मिलकर पढ़ाती हैं। सरकारी स्कूलों की हालत देखकर उन्होंने अपने 4 कमरे के अपार्टमेंट में अपना स्कूल गुलदस्ता के नाम से शुरू किया। साल 2009 में उनके पति की मौत के बाद भी वे मुहिम में जुटी हुई हैं।
10 भारती कुमारीबाबर अली की ही तरह भारती कुमारी ने 12 साल की उम्र से ही पढ़ाना शुरू कर दिया। भारती अपने गांव के बच्चों को इंग्लिश, हिंदी और गणित पढ़ाती हैं।
11 मोतिउर्रहमान खानरहमान खान पटना में आईएएस,आईपीएस और आईआरएस के लिए बच्चों को कोचिंग देते हैं। वे गुरु दक्षिणा के रूप में सिर्फ 11 रुपये लेते हैं।
1 आनंद कुमारआनंद कुमार गरीब बच्चों को आईआईटी-जेईई में एडमिशन दिलाने के लिए सुपर 30 चलाते हैं। कुमार को खुद भी गणित में काफी रुचि रही है। कहा जाता है कि पैसे के अभाव में वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ने नहीं जा पाए। साल 2000 में शुरू किए गए इस कोचिंग का काफी नाम है। इनके जीवन पर डॉक्युमेंट्री और फिल्म भी बन चुकी है।
2 आदित्य कुमारआदित्य कुमार लोगों में शिक्षा के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए साइकिल पर सवार होकर लखनऊ से रांची तक यात्रा की। वे समाज के छोटे तबके में जागरुकता फैलाने का काम करते हैं। यहां तक कि गरीब बच्चों को गणित, और भाषा फ्री में पढ़ाते हैं। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इनकी तारीफ की थी।3 राजेश कुमार शर्माराजेश कुमार शर्मा ने दिल्ली में मेट्रो के प्लाईओवर के नीचे एक तरह से अपना स्कूल ही शुरू कर दिया। कॉलेज ड्रॉप आउट राजेश की किराना की दुकान है। लेकिन साथ ही वे गरीब बच्चों को यमुना नगर मेट्रो स्टेशन के फ्लाई ओवर के नीचे साल 2007 से ही गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं। भले ही वे कोई फिक्स्ड सिलेबस को फॉलो नहीं करते हों लेकिन इस समय उनसे पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 200 के करीब है।
4 अब्दुल मलिककेरल के मल्लापुरम में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए रोज़ाना नदी तैर कर पार जाते हैं ताकि वे समय पर पहुंच सकें। जब उनसे पूछा गया कि वे ऐसा क्यों करते हैं तो उन्होंने कहा कि रास्ते से जाने पर उन्हें 12 किलोमीटर की दूरी 3 घंटे में पार करनी पड़ेगी जिसे वे तैर कर सिर्फ 15 मिनट में ही पूरा कर लेते हैं। उनकी कहानी मशहूर होने के बाद किसी ने उन्हें फाइबर की नाव भी देने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, सरकार की तरफ से इस पर क्या कदम उठाया गया यह साफ नहीं है।
5 बाबर अलीखुद स्कूल पढ़ते हुए भी बाबर अली ने बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। मौजूदा समय में वे करीब 800 सौ बच्चो को पढ़ाते हैं और करीब 10 टीचर भी उनके साथ उनके स्कूल में पढ़ाते हैं। इस समय उनकी उम्र 24 साल है लेकिन वे 16 साल से ही पढ़ा रहे हैं। बीबीसी ने उन्हें सबसे कम उम्र का हेडमास्टर कहा था।
6 अरविंद गुप्ताअरविंद गुप्ता ने कबाड़ से खिलौने बनाकर बच्चों को पढ़ाने का तरीका निकाला। आईआईटी कानपुर के छात्र रहे अरविंद गुप्ता का कहना है कि सिर्फ बातों की तुलना में छोटे कदम उठाना ज्यादा ठीक रहता है। उन्होंने इसके ऊपर एक किताब भी लिखी है।
7 रोशनी मुखर्जीविप्रो में काम करने वाली रोशनी मुखर्जी 9वीं से 12वीं के बच्चों के लिए वीडियो बनाकर पढ़ाने का काम करती हैं। इन्होंने साल 2011 में एग्जाम फियर शुरू किया। इस समय यूट्यूब पर इनके 75 हज़ार से ज्यादा सब्सक्राइबर्स और 3800 से ज्यादा वीडियो हैं।
8 प्रोफेसर संदीप देसाईप्रोफेसर संदीप देसाई महाराष्ट्र और राजस्थान में अपने स्कूलों को चलाने के लिए मुंबई के लोकल ट्रेन में भीख मांगते हैं। भीख मांगकर वे गरीब बच्चों के लिए इंग्लिश मीडियम स्कूल चलाते हैं।
9 विमला कौल20 साल पहले रिटायर होने के बाद विमला कौल गरीब बच्चों को अपने पति के साथ मिलकर पढ़ाती हैं। सरकारी स्कूलों की हालत देखकर उन्होंने अपने 4 कमरे के अपार्टमेंट में अपना स्कूल गुलदस्ता के नाम से शुरू किया। साल 2009 में उनके पति की मौत के बाद भी वे मुहिम में जुटी हुई हैं।
10 भारती कुमारीबाबर अली की ही तरह भारती कुमारी ने 12 साल की उम्र से ही पढ़ाना शुरू कर दिया। भारती अपने गांव के बच्चों को इंग्लिश, हिंदी और गणित पढ़ाती हैं।
11 मोतिउर्रहमान खानरहमान खान पटना में आईएएस,आईपीएस और आईआरएस के लिए बच्चों को कोचिंग देते हैं। वे गुरु दक्षिणा के रूप में सिर्फ 11 रुपये लेते हैं।