AajTak : May 05, 2020, 12:13 PM
अमेरिका: वैज्ञानिक कह रहे हैं कि धरती को सबसे ज्यादा ऊर्जा देने वाला अपना सूरज कम चमक रहा है। उसकी रोशनी में कमी आई है। सूरज आकाशगंगा में मौजूद उसके जैसे अन्य तारों की तुलना में कमजोर पड़ गया है। थोड़ा बहुत नहीं। काफी ज्यादा कमजोर हो गया है। अब वैज्ञानिक ये पता कर रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
सूरज धरती का इकलौता ऊर्जा स्रोत है। लेकिन पिछले 9000 सालों से ये लगातार कमजोर होता जा रहा है। इसकी चमक कम हो रही है। ये दावा किया है जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप से मिले आकंड़ों का अध्ययन करके यह खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि हमारे आकाशगंगा में मौजूद सूरज जैसे अन्य तारों की तुलना में अपने सूरज की धमक और चमक फीकी पड़ रही है। वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं जान पाए हैं कि कहीं ये किसी तूफान से पहले की शांति तो नहीं है। सूरज और उसके जैसे अन्य तारों का अध्ययन उनकी उम्र, चमक और रोटेशन के आधार पर की गई है। पिछले 9000 सालों में इसकी चमक में पांच गुना की कमी आई है।मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ। एलेक्जेंडर शापिरो ने बताया कि हम हैरान हैं अपने सूरज से ज्यादा एक्टिव तारे मौजूद हैं हमारी आकाशगंगा में। हमने सूरज का उसके जैसे 2500 तारों से तुलना की है उसके बाद इस निषकर्ष पर पहुंचे हैं। सूरज पर ये रिपोर्ट तैयार करने वाले दूसरे वैज्ञानिक डॉ। टिमो रीनहोल्ड ने बताया कि सूरज पिछले कुछ हजार साल से शांत है। ये गणना हम सूर्य की सतह पर बनने वाले सोलर स्पॉट से कर लेते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सोलर स्पॉट की संख्या में भी कमी आई है। सन 1610 के बाद से लगातार सूर्य पर बनने वाले सोलर स्पॉट कम हुए हैं। अभी पिछले साल ही करीब 264 दिनों तक सूरज में एक भी स्पॉट बनते नहीं देखा गया था। सोलर स्पॉट तब बनते हैं जब सूरज के केंद्र से गर्मी की तेज लहर ऊपर उठती है। इससे बड़ा विस्फोट होता है। अंतरिक्ष में सौर तूफान उठता है।
सूरज धरती का इकलौता ऊर्जा स्रोत है। लेकिन पिछले 9000 सालों से ये लगातार कमजोर होता जा रहा है। इसकी चमक कम हो रही है। ये दावा किया है जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप से मिले आकंड़ों का अध्ययन करके यह खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि हमारे आकाशगंगा में मौजूद सूरज जैसे अन्य तारों की तुलना में अपने सूरज की धमक और चमक फीकी पड़ रही है। वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं जान पाए हैं कि कहीं ये किसी तूफान से पहले की शांति तो नहीं है। सूरज और उसके जैसे अन्य तारों का अध्ययन उनकी उम्र, चमक और रोटेशन के आधार पर की गई है। पिछले 9000 सालों में इसकी चमक में पांच गुना की कमी आई है।मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ। एलेक्जेंडर शापिरो ने बताया कि हम हैरान हैं अपने सूरज से ज्यादा एक्टिव तारे मौजूद हैं हमारी आकाशगंगा में। हमने सूरज का उसके जैसे 2500 तारों से तुलना की है उसके बाद इस निषकर्ष पर पहुंचे हैं। सूरज पर ये रिपोर्ट तैयार करने वाले दूसरे वैज्ञानिक डॉ। टिमो रीनहोल्ड ने बताया कि सूरज पिछले कुछ हजार साल से शांत है। ये गणना हम सूर्य की सतह पर बनने वाले सोलर स्पॉट से कर लेते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सोलर स्पॉट की संख्या में भी कमी आई है। सन 1610 के बाद से लगातार सूर्य पर बनने वाले सोलर स्पॉट कम हुए हैं। अभी पिछले साल ही करीब 264 दिनों तक सूरज में एक भी स्पॉट बनते नहीं देखा गया था। सोलर स्पॉट तब बनते हैं जब सूरज के केंद्र से गर्मी की तेज लहर ऊपर उठती है। इससे बड़ा विस्फोट होता है। अंतरिक्ष में सौर तूफान उठता है।
डॉ। टिमो रीनहोल्ड ने बताया कि अगर हम सूरज की उम्र से 9000 साल की तुलना करें तो ये बेहद छोटा समय है। हल्के-फुल्के अंदाज में कहा जाए तो हो सकता है कि सूरज थक गया हो और वह एक छोटी सी नींद ले रहा हो। ऐसा माना जाता है कि सूरज 4।6 बिलियन साल पुराना है। इस तुलना में 9000 साल कुछ भी नहीं है। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ने इस स्टडी में ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्ल और दक्षिण कोरिया के स्कूल ऑफ स्पेस रिसर्च को भी शामिल किया है। इस स्टडी में शामिल डॉ। समी सोलंकी ने बताया कि किसी भी तारे का अपनी धुरी पर घूमना उसके चुंबकीय क्षेत्र की मजबूती को बताता है। चुंबकीय क्षेत्र मजबूत होता है तो तारे के केंद्र और सतह की क्रियाएं सही होती हैं। इसी से पता चलता है कि सूरज कितना रेडिएशन कर रहा है। कितना चमक रहा है। वहां आग के विस्फोट हो रहे हैं या नहीं। डॉ। सोलंकी ने बताया कि अगर सूरज की रोशनी में कमी आई है। वहां आग के विस्फोट नहीं हो रहे हैं। सोलर स्पॉट नहीं बन रहे हैं। इसका मतलब ये है कि जरूर सूरज बाकी तारों की तुलना में कमजोर हुआ है। उसकी चमक धीमी पड़ी है।The Sun has been 'a little sleepy' over the past 9,000 years and shines a lot less brightly than other similar stars https://t.co/UqXzHaedl1
— Daily Mail Online (@MailOnline) May 1, 2020