Vikrant Shekhawat : May 13, 2022, 02:16 PM
NEET PG 2022: सुप्रीम कोर्ट ने स्नातकोत्तर मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-पीजी 2022) को स्थगित करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, 21 मई को होने वाली नीट पीजी परीक्षा 2022 को स्थगित करने की मांग को खारिज कर दिया।
नीट पीजी 21 मई को ही होगीपीठ ने कहा कि यह हितों के टकराव जैसा मामला है। इससे लाखों लोग प्रभावित होंगे। परीक्षा टालने से पाठ्यक्रम में देरी होगी और इससे रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी का संकट पैदा हो सकता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि वह परीक्षा स्थगित करने के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकती है, जिससे उन लाखों उम्मीदवारों को कठिनाई होगी, जिन्होंने पंजीकरण कराया है और इसके लिए तैयारी की है। नीट पीजी परीक्षा 21 मई को ही होगी। सरकार चाहे तो टाल सकती है, लेकिन कोर्ट दखल नहीं देगासुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश कुमार खन्ना ने नीट 2021 काउंसलिंग में देरी का मुद्दा उठाया और बताया कि उम्मीदवारों को परेशानी हो रही है। वे काउंसलिंग में भाग लेने के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे। इसलिए परीक्षा आठ से 10 सप्ताह टाली जाए।
इस पर एएसजी ने कोर्ट को बताया कि 2.6 लाख उम्मीदवार तैयारी कर रहे हैं। इस पर खन्ना ने कहा कि वे बहुमत से परीक्षा टलवाना चाहते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है। इस पर पीठ ने कहा कि अगर सरकार परीक्षा स्थगित करने का निर्णय लेती है, तो वही ठीक रहेगा, लेकिन शीर्ष अदालत ऐसे निर्देश नहीं दे सकती। नीट 2022 को 2021 से जोड़कर देखना भी उचित नहीं है।
मेडिकल छात्र संगठन लगातार उठा रहे मांगअखिल भारतीय मेडिकल छात्र संघ (AIMSA) द्वारा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा को स्थगित करने के लिए बुधवार, चार मई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। इसके अलावा मेडिकल छात्रों के दो अन्य संगठन FAIMA और UDFA भी लगातार नीट पीजी परीक्षा टालने की मांग को लेकर आवाज उठा रहे हैं। संगठनों की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तथा प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राहत देने की मांग भी गई थी। आईएमए ने भी की मांग, मंत्री बोले - सिर्फ सात राज्यों में सिमटा मामलावहीं, आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया से मुलाकात भी की था और परीक्षा टालने का आग्रह किया था। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। मंत्री ने कहा कि वे मामले को देख रहे हैं, लेकिन ऐसा मुश्किल है। क्योंकि सिर्फ राज्य ही परीक्षा टालने के पक्ष में है।
नीट पीजी 21 मई को ही होगीपीठ ने कहा कि यह हितों के टकराव जैसा मामला है। इससे लाखों लोग प्रभावित होंगे। परीक्षा टालने से पाठ्यक्रम में देरी होगी और इससे रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी का संकट पैदा हो सकता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि वह परीक्षा स्थगित करने के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकती है, जिससे उन लाखों उम्मीदवारों को कठिनाई होगी, जिन्होंने पंजीकरण कराया है और इसके लिए तैयारी की है। नीट पीजी परीक्षा 21 मई को ही होगी। सरकार चाहे तो टाल सकती है, लेकिन कोर्ट दखल नहीं देगासुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश कुमार खन्ना ने नीट 2021 काउंसलिंग में देरी का मुद्दा उठाया और बताया कि उम्मीदवारों को परेशानी हो रही है। वे काउंसलिंग में भाग लेने के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे। इसलिए परीक्षा आठ से 10 सप्ताह टाली जाए।
इस पर एएसजी ने कोर्ट को बताया कि 2.6 लाख उम्मीदवार तैयारी कर रहे हैं। इस पर खन्ना ने कहा कि वे बहुमत से परीक्षा टलवाना चाहते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है। इस पर पीठ ने कहा कि अगर सरकार परीक्षा स्थगित करने का निर्णय लेती है, तो वही ठीक रहेगा, लेकिन शीर्ष अदालत ऐसे निर्देश नहीं दे सकती। नीट 2022 को 2021 से जोड़कर देखना भी उचित नहीं है।
मेडिकल छात्र संगठन लगातार उठा रहे मांगअखिल भारतीय मेडिकल छात्र संघ (AIMSA) द्वारा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा को स्थगित करने के लिए बुधवार, चार मई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। इसके अलावा मेडिकल छात्रों के दो अन्य संगठन FAIMA और UDFA भी लगातार नीट पीजी परीक्षा टालने की मांग को लेकर आवाज उठा रहे हैं। संगठनों की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तथा प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राहत देने की मांग भी गई थी। आईएमए ने भी की मांग, मंत्री बोले - सिर्फ सात राज्यों में सिमटा मामलावहीं, आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया से मुलाकात भी की था और परीक्षा टालने का आग्रह किया था। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। मंत्री ने कहा कि वे मामले को देख रहे हैं, लेकिन ऐसा मुश्किल है। क्योंकि सिर्फ राज्य ही परीक्षा टालने के पक्ष में है।